G7 summit 2025: PM नरेंद्र मोदी के दौरे से आएगी भारत-कनाडा संबंधों में मजबूती? दोनों देशों के लिए बेहद खास है सम्मेलन
India Canada Relation: कनाडा में 51वें G7 शिखर सम्मेलन में शिरकत करने के लिए विश्व के सात प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हो रहे हैं। यह छठी बार है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस प्रतिष्ठित वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस शिखर सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी ग्लोबल साउथ की आवाज को मजबूती से रखेंगे और साथ ही 'आत्मनिर्भर भारत' और 'विकसित भारत 2047' की दृष्टि को भी रेखांकित करेंगे। वह वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के योगदान, जैसे कि डिजिटल परिवर्तन, हरित ऊर्जा, और वैश्विक स्वास्थ्य पहल, पर जोर दे सकते हैं। प्रधानमंत्री के इस दौरे को भारत-कनाडा संबंधों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच कुछ राजनयिक कटुता के बावजूद, जी7 शिखर सम्मेलन कहीं न कहीं आपसी सहयोग को बढ़ाने का अवसर प्रदान कर सकता है।
PM मोदी कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ कर सकते हैं द्विपक्षीय वार्ता
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कनाडाई समकक्ष यानी कनाडा के पीएम मार्क कार्नी के साथ द्विपक्षीय वार्ता में व्यापार, निवेश और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा कर सकते हैं। जी7 समिट में भारत की भागीदारी वैश्विक मंच पर उसकी रणनीतिक भूमिका को और मजबूत करती है। भारतीय प्रधानमंत्री ने इससे पहले भी जी7 शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, डिजिटल अर्थव्यवस्था, और कोविड-19 महामारी जैसी वैश्विक चुनौतियों पर भारत के दृष्टिकोण को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। इस बार भी पीएम मोदी वैश्विक शांति, सतत विकास और समावेशी विकास जैसे मुद्दों पर भारत की स्थिति को स्पष्ट रूप से रखने वाले हैं।
भारत-कनाडा संबंधों में आएगी मजबूती!
बता दें कि, भारत-कनाडा संबंधों (India Canada Diplomatic tension) को लोगों से लोगों के बीच संपर्क, बढ़ते व्यापार और निवेश संबंधों, भारतीय छात्रों की मजबूत उपस्थिति और विज्ञान, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के क्षेत्रों में सहयोग की जबरदस्त संभावनाओं के माध्यम से बल मिलता है। यही वजह है कि 14 मार्च, 2025 को कनाडाई पीएम मार्क कार्नी की नियुक्ति के बाद से, दोनों देश अपने समकक्षों और वरिष्ठ अधिकारियों के जरिए लगातार संपर्क में हैं।
एक दशक में प्रधानमंत्री मोदी की पहली कनाडा यात्रा
पिछले कुछ वर्षों से दोनों देशों में चली आ रही राजनयिक तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कनाडा दौरा क्यों अहम माना जा रहा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी की एक दशक में यह पहली कनाडा यात्रा है। बता दें कि कनाडा के पीएम कार्नी के निमंत्रण पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15-17 जून, 2025 तक कनानसकीस में जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा का दौरे पर हैं। साल 2015 में उनकी पिछली यात्रा के दौरान, द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ा दिया गया था।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर काम करते हैं भारत और कनाडा
बता दें कि, भारत और कनाडा अंतरराष्ट्रीय मंचों (India Canada Relation) पर काम करते हैं, खासकर संयुक्त राष्ट्र (UN), एफएटीएफ (FATF) और G-20 के माध्यम से। भारतीय पक्ष की ओर से NIA और कनाडा की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा खुफिया सलाहकार (NSIA), RCMP, कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS) सहित वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों के बीच भी बैठकें हुई हैं।
भारत और कनाडा में व्यापार और निवेश स्थिति
बता दें कि, 2024 में वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार (Trade between India and Canada) 8.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो उम्मीद से बहुत कम है। भारत ने 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया और 4.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात किया। साल 2024 में सेवाओं का द्विपक्षीय व्यापार 14.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जिसमें भारत ने 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया और 11.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सेवाओं का आयात किया। व्यापार और निवेश पर छठी भारत-कनाडा मंत्रिस्तरीय वार्ता (MDTI) 8 मई 2023 को ओटावा में आयोजित की गई। अब तक प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौते (EPTA) वार्ता के दस दौर आयोजित किए जा चुके हैं। कनाडाई पेंशन फंड भारत पर लगातार आशावादी बने हुए हैं, और उन्होंने भारत में संचयी रूप से 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है, जो उनके पोर्टफोलियो का बहुत छोटा हिस्सा है।
भारत और कनाडा के बीच असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग
कनाडा ने भारत की NSG सदस्यता का समर्थन किया है, और असैन्य परमाणु क्षेत्र में भारत के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। जून 2010 में कनाडा के साथ एक परमाणु सहयोग समझौते (NCA) पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके अलावा असैन्य परमाणु सहयोग पर एक संयुक्त समिति का गठन किया गया था। इसकी छठी बैठक 2019 में ओटावा में हुई थी। इसके बाद साल 2015 में पीएम की कनाडा यात्रा के दौरान, परमाणु ऊर्जा विभाग ने अगले 5 वर्षों में 7 मिलियन पाउंड यूरेनियम सांद्रता खरीदने के लिए सास्काटून स्थित कंपनी कैमेको के साथ 350 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट किया था। सितंबर 2015 में, भारत के परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड ने परमाणु सुरक्षा और नियामक मुद्दों में अनुभवों का आदान-प्रदान करने के लिए कनाडाई परमाणु सुरक्षा आयोग के साथ एक व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए। वहीं, 2018 में तत्कालीन कनाडाई पीएम ट्रूडो की यात्रा के दौरान, भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग और कनाडा के प्राकृतिक संसाधन विभाग के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग के संबंध में एक MoU हस्ताक्षर किए गए।
कनाडा में भारतीय छात्रों की संख्या अधिक
कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा समूह भारतीय छात्रों का रहा है (2022 में 41 फीसदी)। हाल ही में इमिग्रेशन (Immigration) पर सख्ती ने भारतीय छात्रों के अवसरों और कनाडाई विश्वविद्यालयों (Indian students in Canada) के वित्त दोनों को प्रभावित किया है। 2025 की पहली तिमाही में भारतीय छात्रों को जारी किए जाने वाले वीजा की संख्या 2024 की पहली तिमाही की तुलना में 31 फीसदी कम हो गई। इसको लेकर कनाडा के पीएम कार्नी ने कहा है कि 2027 तक विदेशी छात्रों और श्रमिकों सहित अस्थायी निवासियों की संख्या देश की आबादी के 5 फीसदी से अधिक नहीं होगी।
नई शिक्षा नीति के तहत भारत में विदेशी परिसर स्थापित
वहीं, नई शिक्षा नीति द्वारा उच्च शिक्षा क्षेत्र को खोलने से कनाडाई विश्वविद्यालयों के लिए भारत में विदेशी परिसर स्थापित करने का अवसर पैदा होता है। नए UGC नियम शीर्ष-500 विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में पूर्ण-डिग्री परिसर स्थापित करने और विदेशी योग्यताओं की मान्यता को सुव्यवस्थित करने की अनुमति देते हैं। इसके अलावा उच्च शिक्षा में द्विपक्षीय सहयोग (छात्र और संकाय आदान-प्रदान, शोध और पाठ्यक्रम विकास, शैक्षिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता आदि के लिए) पर जून 2010 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे और फरवरी 2018 में कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री ट्रूडो की भारत की राजकीय यात्रा के दौरान इसे नवीनीकृत किया गया था। इतना ही नहीं, स्थानीय भारतीय समुदाय के समर्थन से मॉन्ट्रियल में कॉनकॉर्डिया विश्वविद्यालय में एक गुरु नानक देव चेयर की स्थापना की गई है। इसके अलावा मैकगिल, अल्बर्टा, साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय, कैलगरी और गुएल्फ सहित कनाडा के विभिन्न विश्वविद्यालयों में ICCR चेयर स्थापित किए गए हैं।
विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण में सहयोग
भारत और कनाडा दोनों देश 1990 के दशक से अंतरिक्ष विज्ञान, पृथ्वी अवलोकन, उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं और अंतरिक्ष मिशनों (India Canada Science Technology Cooperation) के लिए जमीनी समर्थन के क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं। इसरो और सीएसए (कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी) ने बाहरी अंतरिक्ष की खोज और उपयोग के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन और विशेष रूप से उपग्रह ट्रैकिंग और अंतरिक्ष खगोल विज्ञान को संबोधित करने वाली दो कार्यान्वयन व्यवस्थाएं की हैं। एंट्रिक्स ने कनाडा से कई नैनो उपग्रह भी लॉन्च किए हैं। बता दें कि, इसरो ने 12 जनवरी, 2018 को लॉन्च किए गए अपने 100वें उपग्रह PSLV में कनाडा का पहला LEO उपग्रह भी भारतीय अंतरिक्ष बंदरगाह श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से ही रवाना किया था। ऐसे में सामुदायिक परिवर्तन और सतत विकास में तेजी लाने के लिए दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की भावना के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। माना जा रहा है कि मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से दोनों देशों के बीच सकारात्मक दिशा में बात आगे बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
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