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Bhargavastra: भारत का 'भार्गवास्त्र', जिसके बारे में जान उड़ जाएंगी चीन-पाकिस्तान की नींद

Bhargavastra: नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान में हालिया सैन्य एक्शन के बाद भले ही तनाव कुछ कम हुआ है। लेकिन खतरा अभी टला नहीं है।
06:00 PM May 14, 2025 IST | Pushpendra Trivedi
Bhargavastra: नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान में हालिया सैन्य एक्शन के बाद भले ही तनाव कुछ कम हुआ है। लेकिन खतरा अभी टला नहीं है।

Bhargavastra: नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान में हालिया सैन्य एक्शन के बाद भले ही तनाव कुछ कम हुआ है। लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि भारत लगातार अपनी सुरक्षा को मजबूत करने में जुटा हुआ है। इसी बीच भारत को नया काउंटर ड्रोन सिस्टम 'भार्गवास्त्र' मिला है। ये खास अस्त्र दुश्मनों के ड्रोन अटैक लिए काल है। यह ड्रोन के खतरे से निपटने में बेहद मददगार हो सकता है। अभी भार्गवास्त्र का परीक्षण किया जा रहा है, जिसमें अब तक ये सफल रहा है। आइए जानते हैं कि भार्गवास्त्र क्या है जिससे चीन-पाकिस्तान की नींदें उड़ना तय है।

क्या है भार्गवास्त्र

सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) ने एक नया काउंटर ड्रोन सिस्टम 'भार्गवास्त्र' बनाया है। यह सिस्टम ड्रोन के खतरे से निपटने में बहुत मददगार होगा। 13 मई 2025 को गोपालपुर में इसका परीक्षण किया गया। भारतीय सेना के अधिकारियों के सामने यह परीक्षण हुआ। इसमें लगे सिस्टम के सभी माइक्रो रॉकेट ने तय टारगेट को निशाना बनाया और मिशन में सफल रहे। यह सिस्टम ड्रोन हमलों को रोकने में एक बड़ी सफलता है।

'भार्गवास्त्र' एक कम कीमत वाला एंट्री ड्रोन सिस्टम है। यह 'हार्ड किल' मोड में काम करता है। इसका मतलब है कि यह ड्रोन को सीधे नष्ट कर सकता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की ओर से भारत के बॉर्डर एरिया में कई जगह ड्रोन से हमले की कोशिशें हुईं। हालांकि हमारे एंटी ड्रोन सिस्टम ने उन्हें फेल कर दिया। आजकल जिस तरह से ड्रोन अटैक का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में यह सिस्टम बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।

गोपालपुर के सीवर्ड फायरिंग रेंज में परीक्षण

गोपालपुर के सीवर्ड फायरिंग रेंज में काउंटर ड्रोन सिस्टम 'भार्गवास्त्र' की टेस्टिंग हुई। परीक्षण के दौरान, इस रॉकेट ने सभी मापदंडों को पूरा किया। SDAL के अनुसार, यह तकनीक बड़े पैमाने पर ड्रोन हमलों को कम करने में सक्षम है। कुल तीन परीक्षण किए गए। पहले दो परीक्षणों में, एक-एक रॉकेट दागा गया। तीसरे परीक्षण में, 2 सेकंड के भीतर दो रॉकेट एक साथ दागे गए। इसे 'साल्वो मोड' कहते हैं। चारों रॉकेट ने उम्मीद के मुताबिक काम किया।

सभी जरूरी चीजें सही पाई गईं। कंपनी का कहना है कि यह सिस्टम ड्रोन हमलों से सुरक्षा में एक नया कदम है। सभी चार रॉकेट ने उम्मीद के मुताबिक काम किया और आवश्यक लॉन्च पैरामीटर हासिल किए। इसका मतलब है कि रॉकेट ने वैसा ही काम किया जैसा उनसे उम्मीद की गई थी। इस नए सिस्टम से चीन-पाकिस्तान की नींद उड़नी तय है।

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