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भारत कैसे बन पाएगा विकसित राष्ट्र? 100 करोड़ भारतीयों के पास सिर्फ ज़रूरी चीज़ों के लिए ही है पैसा!

भारत 2047 तक विकसित होने का सपना देख रहा है, लेकिन ब्लूम वेंचर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की 90% आबादी के पास खर्च करने के लिए अतिरिक्त पैसा नहीं है। पढ़ें पूरी खबर।
07:04 AM Feb 27, 2025 IST | Girijansh Gopalan
भारत 2047 तक विकसित होने का सपना देख रहा है, लेकिन ब्लूम वेंचर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की 90% आबादी के पास खर्च करने के लिए अतिरिक्त पैसा नहीं है। पढ़ें पूरी खबर।

भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का सपना देख रहा है। सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं कि देश को आर्थिक और औद्योगिक रूप से आगे बढ़ाया जाए। लेकिन, एक हालिया रिपोर्ट ने इस विकास के मॉडल पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 90% आबादी यानी करीब 100 करोड़ लोगों के पास अपनी बुनियादी जरूरतों के अलावा कोई अतिरिक्त पैसा नहीं है। वे किसी तरह अपना मासिक खर्च पूरा कर रहे हैं और उनकी पूरी आमदनी यहीं खत्म हो जाती है।

क्या कहती है रिपोर्ट?

ब्लूम वेंचर्स की ‘इंडस वैली एनुअल रिपोर्ट 2025’ के अनुसार, भारत में धन का असमान वितरण लगातार बढ़ रहा है। अमीर लोग और ज्यादा अमीर होते जा रहे हैं, जबकि गरीब वर्ग की स्थिति जस की तस बनी हुई है। रिपोर्ट बताती है कि भारत में अफोर्डेबल रियल एस्टेट सेक्टर में भी गिरावट देखी गई है। पांच साल पहले यह बाजार 40% था, लेकिन अब यह घटकर सिर्फ 18% रह गया है। देश के अधिकांश लोग सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी कर पा रहे हैं, कोई अतिरिक्त बचत नहीं कर पा रहे। महंगे प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ी है, जिससे अमीर वर्ग को ज्यादा फायदा मिल रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भारत में आर्थिक असमानता और अधिक गहरी हुई है।

महंगे प्रोडक्ट्स की बढ़ती मांग

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में उपभोक्ता बाजार अब किफायती उत्पादों के बजाय प्रीमियम प्रोडक्ट्स की ओर बढ़ रहा है। कोल्डप्ले और एड शीरन के हाल ही में हुए हाउसफुल कॉन्सर्ट्स को “एक्सपीरियंस इकोनॉमी” के बढ़ते प्रभाव के रूप में देखा जा रहा है। इससे संकेत मिलता है कि उच्च आय वर्ग के लोग अपनी लाइफस्टाइल पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं, जबकि निम्न और मध्यम वर्ग अपनी जरूरी जरूरतों को पूरा करने में ही संघर्ष कर रहा है।

मध्यम वर्ग को बजट से थोड़ी राहत

हाल ही में पेश किए गए केंद्रीय बजट 2024 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 लाख रुपये तक की आय पर इनकम टैक्स में छूट देने का ऐलान किया। इससे देश के 92% वेतनभोगी लोगों को सीधा फायदा मिलेगा और उनकी खर्च करने की क्षमता में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह छूट दीर्घकालिक आर्थिक असमानता को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई

‘डेक्कन हेराल्ड’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1990 में भारत के शीर्ष 10% अमीर लोगों के पास देश की कुल आय का 34% हिस्सा था, जो 2025 में बढ़कर 57.7% हो गया है। दूसरी ओर, देश के सबसे गरीब 50% लोगों की हिस्सेदारी 22.2% से घटकर सिर्फ 15% रह गई है। यह आंकड़े बताते हैं कि धन का वितरण असमान होता जा रहा है और गरीब और ज्यादा गरीब होते जा रहे हैं।

चीन से 13 साल पीछे है भारत की खपत

रिपोर्ट के अनुसार, भारत की उपभोक्ता खपत दर भले ही दुनिया की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर हो, लेकिन यह अभी भी चीन से 13 साल पीछे है। उदाहरण के लिए, 2023 में भारत की प्रति व्यक्ति खपत $1,493 थी, जबकि चीन ने यह आंकड़ा 2010 में ही पार कर लिया था।

क्या भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बन पाएगा?

रिपोर्ट के निष्कर्षों को देखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को पूरा कर पाएगा? अगर देश में आर्थिक असमानता इसी तरह बनी रही, तो यह सपना पूरा करना बेहद मुश्किल हो सकता है। सरकार को न सिर्फ आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देना होगा, बल्कि धन के समान वितरण को भी प्राथमिकता देनी होगी।

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