युद्ध की चेतावनी के दौरान कैसे पहचानें सायरन? जानें ग्रीन और रेड अलर्ट की आवाज में अंतर
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव फिर से सुर्खियों में है। पाकिस्तान ने पहलगाम में हमला किया, तो भारत ने 7 मई की रात को ऑपरेशन सिंदूर चलाकर जवाब दिया। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया और कई आतंकी ढेर हुए। इसके बाद पाकिस्तान ने ड्रोन हमलों से भारत के कुछ ठिकानों को निशाना बनाया। इस दौरान बॉर्डर इलाकों में सायरन बजाकर ब्लैकआउट कर दिया गया। ऐसे में सायरन की आवाज को समझना जरूरी हो जाता है, ताकि खतरे और सुरक्षा के संकेतों का पता चल सके। तो चलिए, बताते हैं कि रेड और ग्रीन अलर्ट सायरन को कैसे पहचानें।
रेड और ग्रीन अलर्ट को समझने का फंडा
जब कोई इमरजेंसी होती है, जैसे हवाई हमला या ऑपरेशन सिंदूर जैसी सिचुएशन, तो चेतावनी देने के लिए सायरन बजाए जाते हैं। इन सायरनों की आवाज को गौर से सुनना और उनका मतलब समझना बहुत जरूरी है। वैसे तो कई तरह की आवाजें सुनाई देती हैं, लेकिन खतरे से पहले बजने वाला सायरन 2 से 5 किलोमीटर तक सुनाई देता है। ये एंबुलेंस के सायरन से बिल्कुल अलग होता है। ये तेज, अलार्म जैसी आवाज होती है, जो वॉर्निंग सिस्टम की तरह काम करती है। इसकी आवाज 120-140 डेसिबल तक होती है। इसका मकसद है कि एयर स्ट्राइक या हमले से पहले लोगों को अलर्ट करना।
रेड अलर्ट सायरन: खतरे की घंटी
रेड अलर्ट सायरन तब बजता है, जब हवाई हमला या मिसाइल अटैक होने वाला हो। इसकी आवाज तेज और लहरदार होती है, यानी कभी ऊंची, कभी नीची। ये आवाज एक खास अंतराल पर ऊपर-नीचे होती रहती है। इसे करीब 5 मिनट तक बजाया जाता है। ये ऐसी आवाज है, जो सुनते ही लोग चौंक जाते हैं और फटाफट अलर्ट हो जाते हैं।
ग्रीन अलर्ट सायरन: खतरा टला, अब राहत
ग्रीन अलर्ट सायरन का मतलब है कि अब खतरा टल गया है। इसके बाद लोग बंकरों, घरों या आश्रयों से बाहर निकल सकते हैं और अपनी पुरानी रूटीन शुरू कर सकते हैं। इसकी आवाज स्थिर और सीधी होती है, बिना किसी उतार-चढ़ाव के। रेड अलर्ट की तरह इसमें लहरदार धुन नहीं होती। इसे करीब 1 मिनट तक बजाया जाता है। ये आवाज बताती है कि अब सब कुछ नॉर्मल है।
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