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750 किडनियां बेची, 7 साल तक चीरे इंसानों के शरीर...गुरुग्राम किडनी कांड के सरगना की क्रूरता की कहानी

गुरुग्राम में 750 अवैध किडनी ट्रांसप्लांट, 7 साल तक चलता रहा इंसानी अंगों का खौफनाक कारोबार बेनकाब
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सांकेतिक तस्वीर

Gurgaon Kidney Scandal: गुरुग्राम किडनी कांड के खुलासे के बाद डॉ. अमित कुमार और उनके सहयोगी डॉ. देवेंद्र शर्मा उर्फ 'डॉक्टर डेथ' सुर्खियों में आ गए। पुलिस जांच के अनुसार, इस अवैध किडनी रैकेट का मास्टरमाइंड डॉ. अमित था, जिसकी क्रूरता के सामने देवेंद्र भी फीका पड़ता था।

बिना किसी सर्जिकल योग्यता या अनुभव के अमित खुद किडनियां निकालता और अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, सऊदी अरब और ग्रीस जैसे देशों से आए ग्राहकों के शरीर में प्रत्यारोपित करता था। (Gurgaon Kidney Scandal)गुरुग्राम की अदालत ने उसे 'झोला छाप' करार दिया था। यह कहानी 2007-08 की सर्दियों में सामने आई थी।

एक शिकायत से सामने आ गया कांड

2008 में मुरादाबाद के एक व्यक्ति की शिकायत ने इस कांड का पर्दाफाश किया। उसने दावा किया कि उसकी किडनी अवैध रूप से निकाल ली गई। इस शिकायत के बाद गुरुग्राम पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की।

यह खबर फैलते ही डॉ. अमित और उनके भाई जीवन कुमार ने अपना ऑपरेशन थिएटर बंद कर फरार हो गए। हालांकि, पुलिस ने 7 फरवरी 2008 को नेपाल से अमित को गिरफ्तार कर लिया। उसकी निशानदेही पर हरियाणा, यूपी और दिल्ली में छापेमारी कर पांच अन्य डॉक्टरों को भी हिरासत में लिया गया। ये सभी डॉक्टर आयुर्वेदिक पढ़ाई किए हुए थे, जिन्हें सर्जरी का कोई ज्ञान या अनुभव नहीं था।

फर्जी अस्पताल किडनी का गोरख धंधा

पुलिस ने फरीदाबाद के एक गेस्ट हाउस को भी सील किया, जिसे अस्पताल का रूप दिया गया था। जांच में खुलासा हुआ कि यह रैकेट सात साल से चल रहा था। डॉ. अमित और उनके सहयोगी डॉ. उपेंद्र इसका संचालन करते थे, जबकि डॉ. देवेंद्र जैसे अन्य लोग सहयोगी की भूमिका में थे।

ये लोग बिहार, बंगाल, यूपी और दिल्ली से गरीब लोगों को नौकरी या सरकारी योजनाओं का लालच देकर फंसाते, फिर धोखे से उनकी किडनी निकाल लेते। इसके बाद पीड़ितों को 25-30 हजार रुपये देकर उनका मुंह बंद करने की कोशिश की जाती।

विदेशी ग्राहकों का काला कारोबार

डॉ. अमित गरीबों की किडनियां निकालकर विदेशी ग्राहकों को प्रत्यारोपित करता था। हर किडनी के लिए वह 40-50 लाख रुपये वसूलता, जिसमें से उसे 30-35 लाख रुपये का मुनाफा होता। उसने सीबीआई पूछताछ में कबूल किया कि सात साल में उसने 750 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट किए।

डॉ अमित ने पार की क्रूरता की हदें!

जांच में सामने आया कि किडनी निकालने के बाद कई बार सिलाई में लापरवाही बरती गई, जिससे कुछ पीड़ितों की मौत हो गई। डॉ. अमित ने गुरुग्राम और फरीदाबाद के अलावा ग्रेटर नोएडा और मेरठ में भी दो फर्जी अस्पताल और 10 से अधिक लैब स्थापित किए थे।

सीबीआई ने इस मामले की जांच की और 2013 में गुरुग्राम की अदालत ने सीबीआई की चार्जशीट के आधार पर अमित और अन्य आरोपियों को 7 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई।

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