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ग्रेटर नोएडा में टॉयलेट में धमाका, फ्लश दबाते ही लहूलुहान हुआ लड़का

ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-36 में टॉयलेट में जोरदार धमाका! 16 साल का लड़का फ्लश दबाते ही झुलसा, मीथेन गैस बनी वजह। सीवर की खराब हालत पर लोग भड़के। पूरी खबर पढ़ें।
10:18 PM May 05, 2025 IST | Girijansh Gopalan

पाकिस्तान में पुलिस-सेना भिड़े, ‘तुम्हारा जनरल जूते की नोक पर’ वाला वीडियो वायरलग्रेटर नोएडा में एक अजीबो-गरीब हादसा हो गया, जिसने सबको हैरान कर दिया। सेक्टर-36 में एक घर के टॉयलेट में धमाका हो गया। हां, आपने सही सुना, टॉयलेट में! ये वाकया तब हुआ जब एक 16 साल का लड़का शौचालय में फ्लश दबाने गया। फ्लश दबाते ही ऐसा जोरदार धमाका हुआ कि लड़का बुरी तरह झुलस गया और बाथरूम में ही गिर पड़ा। ये सब सुनकर तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं, लेकिन हकीकत यही है।

क्या था धमाके की वजह?

बताया जा रहा है कि ये ब्लास्ट टॉयलेट सीट में सीवर की वजह से जमा हुई मीथेन गैस की वजह से हुआ। ये गैस जब ज्यादा मात्रा में इकट्ठा हो जाती है और बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिलता, तो धमाके का रूप ले सकती है। सेक्टर-36 के मकान नंबर सी-364 के पास हुए इस हादसे ने पूरे इलाके में खौफ पैदा कर दिया।

लड़के की हालत कैसी?

धमाके के बाद परिजनों ने फौरन घायल लड़के को कासना के जिम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया। डॉक्टरों का कहना है कि अब उसकी हालत स्थिर है और इलाज चल रहा है। लेकिन सोचिए, एक आम दिन में टॉयलेट जाना किसी के लिए इतना खतरनाक साबित हो सकता है, ये तो कोई सोच भी नहीं सकता।

सीवर की बदहाली है असल विलेन

स्थानीय लोग इस हादसे के लिए सीवर सिस्टम की खराब हालत को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि ग्रेटर नोएडा में सीवर की व्यवस्था चौपट है। पहले सीवर लाइनों में वेंट पाइप लगाए जाते थे, जिससे मीथेन जैसी गैसें आसानी से बाहर निकल जाती थीं। लेकिन अब ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। गैस पाइप में ही जमा होती रहती है और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

लोगों ने बताया कि पी-3 गोलचक्कर के पास उद्यमन होटल के आसपास डेढ़ साल से सीवर लाइन टूटी पड़ी है। कई बार शिकायत की गई, लेकिन नतीजा सिफर। स्थानीय लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। उनका कहना है कि सीवर विभाग में ऐसे लोग बैठे हैं, जिन्हें तकनीकी जानकारी की कमी है।

अब क्या चाहते हैं लोग?

इस हादसे के बाद इलाके में डर और गुस्सा दोनों है। लोग मांग कर रहे हैं कि पूरे इलाके के सीवर सिस्टम की जांच हो। जहां-जहां गैस जमा होने का खतरा है, वहां वेंटिलेशन की व्यवस्था की जाए। उनका कहना है कि अगर वक्त रहते ध्यान दिया गया होता, तो ये हादसा टाला जा सकता था।

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