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7 मई के बाद सोशल मीडिया पर हुई चैट पर सरकार की नजर, जल्द सामने आएगा कई पाक जासूसों का सच

पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले नेटवर्क को लेकर भारतीय खुफिया एजेंसियों ने अब कमर कस ली है। 7 मई से शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब देश की सीमाओं के भीतर और बाहर, दोनों ओर की बातचीत पर...
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पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले नेटवर्क को लेकर भारतीय खुफिया एजेंसियों ने अब कमर कस ली है। 7 मई से शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब देश की सीमाओं के भीतर और बाहर, दोनों ओर की बातचीत पर गहरी नजर रखी जा रही है। इसी निगरानी के चलते अब यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा जैसे कुछ नाम सामने आ रहे हैं, जिनकी गतिविधियां अब सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर हैं।

हर संदिग्ध संदेश पर पैनी नजर

जांच एजेंसियां अब उन चैट्स, ईमेल्स और डिजिटल मैसेजिंग के हर टुकड़े को खंगाल रही हैं जो 7 मई के बाद सीमा पार हुए हैं। इसका मकसद है – यह जानना कि क्या किसी भारतीय नागरिक ने पाकिस्तानी एजेंसियों या आतंकवादी संगठनों से संपर्क साधा है? खासकर, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कौन-कौन लोग दुश्मन देशों के एजेंटों के संपर्क में आए।

आतंक समर्थकों की पहचान शुरू

सूत्रों के मुताबिक, यह पूरा अभियान उन 'देशद्रोहियों' की पहचान के लिए है जो भारत में बैठे-बैठे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI या जिहादी नेटवर्क के इशारों पर काम कर रहे हैं। इन संदिग्धों में कुछ ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) भी शामिल हो सकते हैं जो आतंकियों को जमीन स्तर पर मदद पहुंचाते हैं।

अब हर मूवमेंट पर नजर

जांच एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर और सीमावर्ती राज्यों में सक्रिय सभी संदिग्धों की गतिविधियों पर सीधा निगरानी तंत्र तैनात कर दिया है। अधिकारी बताते हैं कि अगर किसी को ISI या पाक समर्थक किसी समूह से जुड़ा पाया गया, तो उससे सख्ती से पूछताछ की जाएगी। ज़रूरत पड़ने पर उसे हिरासत में लेकर आगे की जानकारी जुटाई जाएगी।

सेना की गोपनीय जानकारी लीक करने का भी शक

खास बात ये है कि जांच एजेंसियों को शक है कि कुछ लोग भारतीय सेना की मूवमेंट या रणनीति से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां भी पाकिस्तान तक पहुंचा रहे थे। यही कारण है कि हर उस व्यक्ति की डिजिटल गतिविधि को स्कैन किया जा रहा है जो सुरक्षा के लिहाज से अहम इलाकों में सक्रिय रहा है।

ओवरग्राउंड नेटवर्क का पर्दाफाश होगा

अधिकारियों का मानना है कि यह अभियान सिर्फ व्यक्तिगत जासूसों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे एक बड़ा ओवरग्राउंड नेटवर्क सामने आ सकता है जो जम्मू-कश्मीर से बाहर भी फैला हुआ है। इस नेटवर्क का लिंक सीधे पाकिस्तान स्थित मास्टरमाइंड्स और ISI से हो सकता है। यह जांच NIA और SIA जैसी एजेंसियों को आतंक की अगली साजिशों को समय रहते रोकने में मदद करेगी।

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