G7 Summit 2025 के लिए PM नरेंद्र मोदी तैयार, कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन कवर करने पहुंचे हिंद फर्स्ट नेटवर्क के CEO डॉ. विवेक भट्ट
G7 summit 2025: कनाडा के अल्बर्टा के कनानैस्किस शहर में आयोजित 51वें जी7 शिखर सम्मेलन में समूह सात देशों - कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका के दिग्गज नेता वैश्विक मुद्दों पर गहन चर्चा के लिए मिल रहे हैं। इस सम्मेलन में शिरकत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi in G7 summit 2025) भी विशेष रूप से आमंत्रित किए गए हैं। तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन मंगलवार, 17 जून को समाप्त होगा। G7 शिखर सम्मेलन को कवर करने के लिए हिंद फर्स्ट नेटवर्क के मुख्य संपादक एवं चैनल प्रमुख डॉ. विवेक भट्ट भी कनाडा से पल-पल की सटीक जानकारी सबसे पहले दे रहे हैं। G7 समिट में क्या कुछ खास होने वाला है आइए जानते हैं।
G7 में PM नरेंद्र मोदी की छठी भागीदारी
इस साल G7 शिखर सम्मेलन की 50वीं वर्षगांठ है। G7 की स्थापना 50 वर्ष पहले 1975 में हुई थी, तब फ्रांस ने समूह की पहली बैठक की मेजबानी की थी। वर्ष 2025, G7 साझेदारी और सहयोग की आधी सदी का प्रतीक के रूप में मनाया जा रहा है। पिछले 5 दशकों में, G7 समिट अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा, वैश्विक आर्थिक समृद्धि और सतत विकास के लिए एक प्रेरक शक्ति रहा है। जबकि, भारत G7 का सदस्य (G7 summit 2025) नहीं है, भारतीय प्रधानमंत्री पिछले शिखर सम्मेलनों की बैठकों में भाग ले चुके हैं। यह G7 शिखर सम्मेलनों के आउटरीच सत्र में भारत की 12वीं भागीदारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi Visit Canada) की छठी भागीदारी है।
G7 सम्मेलन में शामिल हैं ये देश
G7 देशों (कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, UK और USA) ने 1975 में फ्रांस में G6 के रूप में पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। कनाडा अगले वर्ष इसमें शामिल हुआ। 2010-2014 तक, रूस इस समूह का हिस्सा था और इसे G8 कहा जाता था। G7 के नेता हर मिलते हैं, जिसमें वार्षिक अध्यक्षता सात देशों के बीच घूमती रहती है। दरअसल, G7 एक औपचारिक संस्था नहीं है जिसका कोई चार्टर और सचिवालय हो, अध्यक्षता प्रत्येक वर्ष के शिखर सम्मेलन का एजेंडा निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार होती है। G7 के सदस्य वर्तमान में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 45 फीसदी और दुनिया की 10 फीसदी से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत और चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को शामिल करके G7 को G10 या D10 (लोकतंत्र 10) में विस्तारित करने के बारे में चर्चा हुई है।
G7 में इन तमाम मुद्दों पर होती ही चर्चा
आर्थिक मुद्दों पर अपने शुरुआती फोकस से, G7 धीरे-धीरे शांति और सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी, विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन समेत तमाम वैश्विक चुनौतियों पर परामर्श के लिए एक माकूल मंच बन गया है। 2003 से, गैर-सदस्य देशों (एशिया और अफ्रीका के पारंपरिक रूप से विकासशील देश) को 'आउटरीच' सत्रों में आमंत्रित किया गया है। G7 ने गैर-सरकारी हितधारकों के साथ भी बातचीत की है, जिसके परिणामस्वरूप व्यापार, नागरिक समाज, श्रम, विज्ञान और शिक्षा, थिंक-टैंक, महिला अधिकार और युवाओं से संबंधित मुद्दों पर कई सहभागिता समूह बनाए गए हैं। वे G7 प्रेसीडेंसी को सिफारिशें प्रदान करते हैं।
अब तक भारत 11 G7 समिट आउटरीच सत्र में शामिल
बता दें कि, भारत ने अब तक 11 जी7 शिखर सम्मेलन आउटरीच (PM Narendra Modi G7 summit 2025) सत्रों में भाग लिया है। सबसे पहले वर्ष 2003 (फ्रांस), 2005 (UK), 2006 (रूस), 2007 (जर्मनी), 2008 (जापान), 2009 (इटली), 2019 (फ्रांस), 2021 (यूके), जर्मनी (2022), जापान (2023), और इटली (2024) जी7 शिखर सम्मेलन आउटरीच सत्र शामिल हुआ है। भारत की ओर से सभी भागीदारी प्रधानमंत्री के स्तर पर रही है।
G7 के लिए भारत का बढ़ता महत्व
G7 समिट के लिए भारत के बढ़ते महत्व को आइए आसान भाषा में समझते हैं। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में भारत को नियमित रूप से G7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में आमंत्रित किया गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि आज, भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसकी अर्थव्यवस्था कम से कम 3 G7 सदस्य देशों - फ्रांस, इटली और कनाडा से अधिक है। इतना ही नहीं भारत ने 2023 में अपनी G20 अध्यक्षता समाप्त कर ली है और वह ग्लोबल साउथ की एक मजबूत आवाज बनकर आगे बढ़ा है। भारत ने पिछले G7 शिखर सम्मेलनों में अपने शिरकत के दौरान हमेशा ग्लोबल साउथ के मुद्दों को सामने लाया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, पिछले साल यानी 2024 में अपुलिया में G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के दौरान कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्य सागर जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने के लिए शामिल हुए थे। इस साल भी यह सत्र बहुत खास रहने वाला है।
Landed in Cyprus. My gratitude to the President of Cyprus, Mr. Nikos Christodoulides for the special gesture of welcoming me at the airport. This visit will add significant momentum to India-Cyprus relations, especially in areas like trade, investment and more.@Christodulides pic.twitter.com/szAeUzVCem
— Narendra Modi (@narendramodi) June 15, 2025
साइप्रस पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत
जी7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने से पहले साइप्रस पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्य स्वागत हुआ। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा है, "साइप्रस पहुंच गया हूं। हवाई अड्डे पर मेरा स्वागत करने के विशेष सम्मान के लिए साइप्रस के राष्ट्रपति श्री निकोस क्रिस्टोडौलिडेस का आभार। यह यात्रा भारत-साइप्रस संबंधों को महत्वपूर्ण गति प्रदान करेगी, विशेष रूप से व्यापार, निवेश और अन्य क्षेत्रों में। मैं भारतीय समुदाय को इस स्नेह के लिए धन्यवाद देता हूं। भारत आने वाले समय में साइप्रस के साथ संबंधों को और गहरा करने के लिए काम करता रहेगा।"
Boosting business linkages!
President Nikos Christodoulides and I interacted with leading CEOs in order to add vigour to commercial linkages between India and Cyprus. Sectors like innovation, energy, technology and more offer immense potential. I also talked about India’s… pic.twitter.com/hVcbloCMyP
— Narendra Modi (@narendramodi) June 15, 2025
व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा!
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर लिखा है, "राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस और मैंने भारत और साइप्रस के बीच वाणिज्यिक संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए अग्रणी सीईओ के साथ बातचीत की। नवाचार, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं। मैंने पिछले दशक में भारत के सुधार पथ के बारे में भी बात की।"
#WATCH | Nicosia, Cyprus: Prime Minister Narendra Modi says, "President, for the Grand Cross of the Order of Makarios III, I express heartfelt gratitude to you, the Government of Cyprus and the people of Cyprus. This is an honour not just to Narendra Modi but to 140 crore… https://t.co/Vh2PKEOT3C pic.twitter.com/t84gzPSl1G
— ANI (@ANI) June 16, 2025
प्रधानमंत्री को ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III सम्मान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, "राष्ट्रपति जी, ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III सम्मान के लिए मैं आपका, साइप्रस सरकार का और साइप्रस के लोगों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। यह सिर्फ नरेंद्र मोदी का ही नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है; यह उनकी क्षमताओं और आकांक्षाओं का सम्मान है। यह हमारी संस्कृति, भाईचारे और वसुधैव कुटुम्बकम की विचारधारा का सम्मान है। मैं इसे भारत और साइप्रस के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों, हमारे साझा मूल्यों और आपसी समझ को समर्पित करता हूं। मैं सभी भारतीयों की ओर से इस सम्मान को बड़ी विनम्रता और कृतज्ञता के साथ स्वीकार करता हूं। यह पुरस्कार शांति, सुरक्षा, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और हमारे लोगों के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है।"
ये भी पढ़ें: ईरान के खामेनेई कहां हुए अंडरग्राउंड? वो बंकर जहां कभी हमला नहीं कर पाएगा इजराइल
ये भी पढ़ें: Guru Purnima 2025: कब है गुरु पूर्णिमा? जानें क्यों मनाया जाता है यह पर्व
.