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UP में बकरे की जगह केक से कुर्बानी: लोनी में मनाई गई ईको-फ्रेंडली बकरीद, जानिए विधायक की अपील ने कैसे बदली तस्वीर?

लोनी में मुस्लिम समुदाय ने बकरी की कुर्बानी की जगह केक काटा। विधायक की अपील से जन्मी यह पहल भाईचारे और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बनी।
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Eco-Friendly Bakrid: UP के गाजियाबाद जिले के लोनी में इस बार बकरीद का त्योहार एक अनोखे अंदाज में मनाया गया। यहां के मुस्लिम समुदाय ने पारंपरिक बकरे की कुर्बानी की जगह केक काटकर प्रतीकात्मक कुर्बानी दी। यह नया तरीका स्थानीय विधायक नंदकिशोर गुर्जर की अपील का नतीजा था, जिन्होंने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए ईको-फ्रेंडली ईद मनाने का सुझाव दिया था। इस पहल को लोनी के डाबर तालाब और नसबंदी कॉलोनी समेत कई इलाकों में उत्साह के साथ अपनाया गया। विधायक गुर्जर ने इसे ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव की मिसाल है।

बकरे की जगह केक काटकर दी गई ईद की कुर्बानी

लोनी के मुस्लिम परिवारों ने इस बार बकरीद के मौके पर जानवरों की बलि देने की परंपरा से हटकर एक नया रास्ता अपनाया। उन्होंने केक काटकर सांकेतिक कुर्बानी दी और इस तरह से त्योहार को पर्यावरण के अनुकूल बनाया।

इस दौरान लोगों ने एक-दूसरे को बधाइयां दीं और शांति व भाईचारे का संदेश फैलाया। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस तरह के आयोजन से न सिर्फ पर्यावरण को फायदा होता है बल्कि सामाजिक सद्भाव भी मजबूत होता है। उन्होंने विधायक की इस पहल की सराहना करते हुए इसे आने वाले समय के लिए एक बेहतरीन उदाहरण बताया।

'लोनी के मुसलमानों ने दिखाई प्रगतिशील सोच': नंदकिशोर गुर्जर

लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने मुस्लिम समुदाय के इस फैसले को राष्ट्रहित से जोड़ते हुए इसकी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि लोनी के मुसलमानों ने यह साबित कर दिया कि वे राष्ट्रवादी सोच रखते हैं और देशहित को सबसे ऊपर रखते हैं।

गुर्जर ने आगे कहा कि यह पहल पूरे देश के लिए प्रेरणा बनेगी और आपसी भाईचारे को मजबूत करेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में और भी लोग इस तरह के सकारात्मक बदलावों को अपनाएंगे। विधायक ने इस अवसर पर सभी धर्मों के लोगों से एकजुटता और सद्भाव बनाए रखने की अपील भी की।

लोनी ने देश को दिखाया एक नया रास्ता

लोनी में मनाई गई इस ईको-फ्रेंडली बकरीद ने न सिर्फ स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना दिया है। लोगों का कहना है कि इस तरह के आयोजन समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं और लोगों के बीच एकता को बढ़ावा दे सकते हैं। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस पहल की सराहना करते हुए इसे आधुनिक समय की जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने वाले ऐसे कदम हर त्योहार पर अपनाए जाने चाहिए। लोनी की यह पहल अब दूसरे इलाकों के लिए भी एक उदाहरण बन गई है और लोगों को नए तरीके से त्योहार मनाने के लिए प्रेरित कर रही है।

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