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क्लीनिक में मौत का कारखाना खुला, 125 किडनियां निकालीं, देवेंद्र शर्मा बना ‘डॉक्टर डेथ’ का काला सच!

125 लोगों की किडनी चोरी का मामला सामने आया, देवेंद्र शर्मा का क्लीनिक अब मौत का अड्डा साबित हुआ
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Doctor Death Devendra Sharma News:  लोग डॉक्टर में भगवान का रूप देखते हैं क्योंकि, जब इंसान जिंदगी और मौत के बीच जूझता है तो उसे डॉक्टर भगवान लगने लगते हैं। ऐसे में डॉक्टर ही होते हैं तो इंसान को बचाने की पूरी कोशिश करते हैं। लेकिन सोचिए अगर डॉक्टर ही जल्लाद बन जाए तो क्या होगा? दिल्ली की क्राइम ब्रांच की टीम ने एक ऐसे ही डॉक्टर को गिरफ्तार किया है जो, (Doctor Death Devendra Sharma News) डॉक्टर नहीं बल्कि जल्लाद है! डॉक्टर देवेंद्र शर्मा 100 से ज्यादा हत्या के मामलों में शामिल रहा है। इसे एक मामले में फांसी की सजा भी हो चुकी है।

9 साल में 100 से ज्यादा हत्याएं

कुख्यात सीरियल किलर डॉक्टर की पहचान थाना छबड़ा, गांव पुरैनी अलीगढ़ निवासी डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा के रूप में हुई है। उसे डॉक्टर डेथ के नाम से भी जाना जाता था। पुलिस की जांच में पता चला कि आरोपी देवेंद्र शर्मा ने गिरोह के साथ मिलकर वर्ष 1995 से 2004 के बीच 100 से ज्यादा हत्याएं की थीं। इतना ही नहीं बल्कि वह लाशों को कासगंज की हजारा नहर में फेंक देता था, जहां उन लाशों को मगरमच्छ खा जाते थे। इस घटना का खुलासा होने पर हर कोई हैरान है।

मगरमच्छों को खिलाता था लाशें

उसके संपर्क कई राज्यों के डॉक्टरों और बिचौलियों से थे। किडनी ट्रांसप्लांट के बदले उसे 5 से 7 लाख रुपये मिलते थे। इतना सब करने के बाद भी, जब उसका मन नहीं भरा तो उसने अब टैक्सी ड्राइवरों को निशाना बनाकर उनकी हत्या करना शुरू कर दिया। वह दिल्ली से टैक्सी किराए पर लेता और रास्ते में मौका पाकर ड्राइवरों की हत्या कर देता। हत्या के बाद लाशों को वह यूपी के कासगंज में बहने वाली हजारा नहर में फेंक देता था, ताकि किसी को कोई सबूत ना मिले।

2 साल पहले आया था गांव

हत्या के एक मामले में वर्ष 2020 में ताउम्र सजायाफ्ता देवेंद्र शर्मा को जयपुर की सेंट्रल जेल से जनवरी में 20 दिन के पैरोल मिली थी। तब वह छर्रा थाने में नियमित हाजिरी लगाने आता था। इसी दौरान वह एक दिन कार से गांव गया था। आधा घंटा ही रहा होगा। इसके बाद वह लापता हो गया। बताया गया कि पैरोल पर बाहर आने के बाद उसने पुलिस से बचने के लिए दिल्ली में एक विधवा से शादी कर ली थी और उसके साथ रहते हुए प्रॉपर्टी का काम करने लगा था। छह माह बाद दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे दिल्ली से गिरफ्तार किया था। वहीं, गांव के लोगों का कहना है कि पुस्तैनी मकान में कोई नहीं रहता। पिताजी के नाम 14 बीघा खेती है। तब उसने खेती और मकान बेचने के बारे में लोगों से चर्चा की थी। इसके बाद वह गांव नहीं आया।

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