Delhi Weather: दिल्ली में न समंदर न पहाड़... फिर क्यों आ रहे बार–बार आंधी-तूफान, क्या मौसम के बदल गए मिज़ाज?
Delhi-NCR Rain: दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों मौसम ने अजीबोगरीब करवट ली है। जहां मई का महीना आमतौर पर लू और 45°C तापमान के लिए जाना जाता है, वहीं इस बार 80-100 KMPH की रफ्तार से आंधी-तूफान दिल्लीवालों को हिलाकर रख दे रहे हैं। 24 मई की रात गाजियाबाद में छत गिरने से एक सब-इंस्पेक्टर की मौत हो गई, सैकड़ों पेड़ उखड़ गए, और शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर चरमरा गया। सवाल यह है कि न तो दिल्ली के पास समुद्र है, न पहाड़, फिर यहां इतने भयानक तूफान क्यों आ रहे हैं? क्या यह सिर्फ मौसम का उतार-चढ़ाव है या जलवायु परिवर्तन का खतरनाक संकेत?
दिल्ली के तूफ़ानी होने की क्या है वजह?
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली में इन अचानक आए तूफानों की वजह पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाओं का संयुक्त प्रभाव है। जब ये नम हवाएं दिल्ली की स्थानीय गर्मी से टकराती हैं, तो वातावरण में अस्थिरता पैदा होती है, जिससे तेज आंधी, बिजली और भारी बारिश होती है। इस बार यह अस्थिरता सामान्य से ज्यादा है, जिसकी वजह से हवाओं की रफ्तार 100 KMPH तक पहुंच रही है। आईएमडी (IMD) के अनुसार, यह सिलसिला अगले कुछ हफ्तों तक जारी रह सकता है।
क्या ग्लोबल वार्मिंग है जिम्मेदार?
जलवायु परिवर्तन का डरावना असर"
इन तूफानों को सिर्फ मौसमी घटना नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का नतीजा माना जा रहा है। पिछले कुछ सालों में दिल्ली का तापमान लगातार बढ़ा है, जिससे वायुमंडल में गर्मी और नमी का संतुलन बिगड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसमी चक्र अनियमित हो रहे हैं, जिससे अचानक भीषण तूफान, बेमौसम बारिश और लू जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। अगर यही हाल रहा, तो भविष्य में दिल्ली को और भी ज्यादा विनाशकारी मौसमी घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है।
दिल्ली की इमारतें और पेड़ क्यों नहीं झेल पा रहे तूफान?
इन तूफानों ने दिल्ली के इंफ्रास्ट्रक्चर की कमजोरियों को भी उजागर कर दिया है। हर बार तूफान आने पर पेड़ गिरते हैं, बिजली के खंभे टूटते हैं, और इमारतों की छतें उड़ जाती हैं। सवाल यह है कि क्या दिल्ली इस तरह के मौसम के लिए तैयार है? शहरी नियोजन (Urban Planning) में ऐसी आपदाओं को ध्यान में रखकर बनावट होनी चाहिए, लेकिन अधिकांश इमारतें और सड़कें तेज हवाओं का सामना करने में असमर्थ हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत नहीं किया गया, तो आने वाले समय में जान-माल का नुकसान और भी बढ़ सकता है।
मौसम विभाग का अलर्ट..क्या करें दिल्लीवाले?
मौसम विभाग ने दिल्लीवालों को अगले 48 घंटों के लिए सतर्क रहने की चेतावनी दी है। उनके अनुसार:
- ऊंची इमारतों, होर्डिंग्स और पेड़ों से दूर रहें।
- बिजली के खंभों और टूटे तारों से सावधान रहें।
- अनावश्यक यात्रा टालें, खासकर शाम के समय।
- घर की छतों और कमजोर संरचनाओं की जांच कराएं।
क्या दिल्ली को भविष्य के लिए तैयार होना चाहिए?
यह सिर्फ एक मौसमी घटना नहीं, बल्कि जलवायु संकट (Climate Crisis) का एक लक्षण है। दिल्ली को अब अपने शहरी ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ ग्रीन कवर बढ़ाने, जल निकासी सुधारने और आपदा प्रबंधन को दुरुस्त करने की जरूरत है। अगर अभी नहीं चेते, तो आने वाले सालों में यह शहर और भी भयानक मौसमी आपदाओं का शिकार हो सकता है। फिलहाल, दिल्लीवालों के लिए सतर्क रहना ही एकमात्र उपाय है!
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