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दिल्ली में बैठा था ISI का जासूस: ‘दानिश’ के नाम से चल रही थी पाकिस्तान की बड़ी साजिश!

भारत की राजधानी दिल्ली से एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जो शख्स खुद को पाकिस्तानी राजनयिक बताकर दिल्ली में खुलेआम घूम रहा था, वह दरअसल पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का एजेंट निकला। नाम था — एहसान-उर-रहमान उर्फ दानिश।...
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भारत की राजधानी दिल्ली से एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जो शख्स खुद को पाकिस्तानी राजनयिक बताकर दिल्ली में खुलेआम घूम रहा था, वह दरअसल पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का एजेंट निकला। नाम था — एहसान-उर-रहमान उर्फ दानिश। यह वही दानिश है, जिसका नाम हाल ही में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के कबूलनामे में सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक, दानिश इस्लामाबाद में ISI से जुड़ा हुआ था और उसे भारत में जासूसी फैलाने की विशेष जिम्मेदारी दी गई थी।

वीजा के जरिए दाखिल, राजनयिक के वेश में जासूस

जानकारी के मुताबिक, दानिश को भारत आने का वीजा 21 जनवरी 2022 को जारी किया गया था। लेकिन उसका असली मकसद राजनयिक कार्य नहीं, बल्कि भारत में जासूसी नेटवर्क फैलाना था। आईएसआई का ये पुराना तरीका है — अपने एजेंट्स को पाकिस्तान हाई कमीशन, नई दिल्ली में विभिन्न पदों पर तैनात करना, ताकि वे वीज़ा के लिए आने वाले भारतीय नागरिकों से संपर्क कर सकें। फिर शुरू होता है हनी ट्रैप, पैसे का लालच, या फिर ब्लैकमेलिंग — जिसके जरिए इन मासूम लोगों को भारत विरोधी कामों में झोंक दिया जाता है।

ज्योति मल्होत्रा का खुलासा: कैसे बना संपर्क

ज्योति मल्होत्रा, जो यूट्यूब पर सक्रिय थीं और अक्सर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बोलती थीं, उन्होंने पूछताछ के दौरान बताया कि साल 2023 में वह पाकिस्तान जाने के लिए वीजा लेने पाकिस्तान हाई कमीशन पहुंची थीं। वहीं उनकी मुलाकात हुई — “दानिश” से। धीरे-धीरे दोनों के बीच संवाद बढ़ा और फिर व्हाट्सएप और कॉल पर बातचीत होने लगी। इसी दौरान दानिश ने ज्योति को पाकिस्तान यात्रा के लिए राज़ी किया। ज्योति ने दो बार पाकिस्तान की यात्रा की, और दोनों बार वहां दानिश के बताए व्यक्ति अली हसन ने उन्हें रिसीव किया।

पाकिस्तान में हुई मुलाकातें: ISI के बड़े अफसरों से संपर्क

ज्योति ने यह भी बताया कि पाकिस्तान में अली हसन ने उन्हें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के अधिकारियों से मिलवाया। वहां उनकी मुलाकात शाकिर और राणा शहबाज जैसे संदिग्ध अधिकारियों से हुई, जो ISI से जुड़ाव रखते हैं। इन मुलाकातों का मकसद था — भारत की रणनीतिक जानकारियाँ हासिल करना।

कौन है ‘दानिश’ असल में?

दानिश का असली नाम एहसान-उर-रहमान है और उसका पासपोर्ट सीधे इस्लामाबाद से जारी किया गया था। ये साबित करता है कि वह कोई सामान्य राजनयिक नहीं, बल्कि पूर्व-नियोजित ISI ऑपरेशन का हिस्सा था। यह कोई पहला मामला नहीं है जब ISI ने हाई कमीशन की आड़ में अपने एजेंट्स भारत भेजे हों, लेकिन यह मामला खास है क्योंकि इसमें सोशल मीडिया और आम नागरिक को फंसाकर बड़ा जाल बिछाया गया।

भारत की सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

इस खुलासे के बाद भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान हाई कमीशन पर निगरानी और तेज़ कर दी है। माना जा रहा है कि ऐसे कई और नाम जल्द सामने आ सकते हैं जो ‘राजनयिक’ की आड़ में खुफिया नेटवर्क चला रहे हैं। पाकिस्तान द्वारा दिल्ली में बिछाया गया यह जासूसी जाल साफ संकेत देता है कि भारत के खिलाफ उसकी गतिविधियां अब डिजिटल से राजनयिक गलियारों तक फैल चुकी हैं। यूट्यूबर से लेकर राजनयिक तक, अब सुरक्षा एजेंसियों के लिए किसी को भी नजरअंदाज करना मुश्किल है।

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