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इस कांग्रेस नेता ने ट्रंप पर की तीखी प्रतिक्रिया, कहा - कश्मीर बाइबिल का 1000 साल पुराना झगड़ा नहीं

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश करने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
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नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश करने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह कोई "बाइबिल का 1000 साल पुराना संघर्ष" नहीं है। यह तो सिर्फ 78 साल पहले शुरू हुआ था। यानी 78 साल पहले पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर पर हमला किया था। महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को इसे भारत को सौंप दिया था। इसमें वो इलाका भी शामिल है, जिस पर पाकिस्तान ने कब्ज़ा कर रखा है। क्या इस बात को समझना इतना मुश्किल है?"

कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक की मांग की

वहीं, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम को लेकर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है। जयराम रमेश ने कहा, "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक बार फिर यह मांग करती है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए और पहलगाम, ऑपरेशन सिंदूर, और पहले वॉशिंगटन डीसी और उसके बाद भारत और पाकिस्तान की सरकारों द्वारा घोषित किए गए संघर्षविराम के विषय पर संसद का विशेष सत्र आयोजित किया जाए, ताकि इन सभी मुद्दों पर व्यापक चर्चा हो सके।"

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम का स्वागत

कांग्रेस का यह बयान तब सामने आया है राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि अगर शांति नहीं होती तो लाखों लोग मर सकते थे। अमेरिकी राष्ट्रपति का इशारा दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध की संभावना की ओर था। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था, "मुझे भारत और पाकिस्तान के मजबूत नेतृत्व पर गर्व है। उन्होंने यह समझने की ताकत दिखाई कि मौजूदा लड़ाई को रोकना जरूरी है। इससे बहुत से लोगों की जान बच सकती थी।

लाखों निर्दोष लोग मर सकते थे! आपके इस साहसी कदम से आपकी विरासत और भी मजबूत होगी।" ट्रंप ने यह भी कहा कि वह कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने को भी तैयार है। बता दें कि भारत ने हमेशा से जम्मू और कश्मीर के मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को नकारा है। भारत ने हमेशा कहा है कि यह क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है। भारत का रुख स्पष्ट है कि वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं चाहता।

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