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CJI बीआर गवई को क्यों आया गुस्सा? जानिए चीफ जस्टिस के लिए क्या है प्रोटोकॉल और सिक्योरिटी का नियम

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई महाराष्ट्र दौरे पर प्रोटोकॉल न होने से नाराज! जानिए CJI के लिए क्या हैं प्रोटोकॉल के नियम और Z+ सिक्योरिटी का पूरा माजरा। पढ़ें ताजा खबर!
06:31 PM May 19, 2025 IST | Girijansh Gopalan
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई महाराष्ट्र दौरे पर प्रोटोकॉल न होने से नाराज! जानिए CJI के लिए क्या हैं प्रोटोकॉल के नियम और Z+ सिक्योरिटी का पूरा माजरा। पढ़ें ताजा खबर!

देश में बड़े लोगों के लिए प्रोटोकॉल यानी नियम-कायदे बड़े सख्त होते हैं। हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखा जाता है। लेकिन हाल ही में देश के नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई को महाराष्ट्र में प्रोटोकॉल न फॉलो होने पर गुस्सा आ गया। हुआ यूं कि रविवार को जब वो महाराष्ट्र के दौरे पर पहुंचे, तो उनकी अगवानी के लिए ना तो राज्य के मुख्य सचिव थे, ना डीजीपी और ना ही मुंबई पुलिस कमिश्नर। ये देखकर CJI साहब का पारा चढ़ गया। फिर क्या, कुछ घंटों बाद तीनों बड़े अधिकारी कार्यक्रम में नजर आए। CJI ने तो सार्वजनिक तौर पर इन अफसरों को प्रोटोकॉल का पाठ भी पढ़ा दिया। चलिए, अब आपको बताते हैं कि आखिर CJI के लिए प्रोटोकॉल होता क्या है और उन्हें किस लेवल की सिक्योरिटी मिलती है।

CJI के लिए प्रोटोकॉल का मतलब क्या?

जब चीफ जस्टिस किसी राज्य के दौरे पर जाते हैं, तो उनका स्वागत-सत्कार बड़े शानदार तरीके से होता है। इसमें एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी से लेकर ठहरने की व्यवस्था तक, सब कुछ प्रोटोकॉल के हिसाब से होता है। नियम ये कहता है कि राज्य के बड़े अधिकारी, जैसे मुख्य सचिव, डीजीपी और बाकी सीनियर ऑफिसर, वहां मौजूद होने चाहिए। इतना ही नहीं, अगर कोई बड़ा मंत्री हो, तो वो भी समारोह में शामिल हो सकता है। यानी कुल मिलाकर CJI के दौरे को खास बनाना जरूरी है।

अधिकारियों का होना जरूरी

CJI के लिए एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थल तक कड़ी सिक्योरिटी का इंतजाम होता है। जब वो किसी इवेंट में हिस्सा लेते हैं, तो वहां राज्य के टॉप अधिकारी और प्रशासनिक अफसरों का मौजूद रहना अनिवार्य है। इसके अलावा, राज्य सरकार को उनके लिए VIP गेस्ट हाउस की व्यवस्था भी करनी पड़ती है। इन सारे नियमों का पालन करना बेहद जरूरी माना जाता है, वरना CJI साहब का गुस्सा तो बनता ही है!

CJI को मिलती है टॉप लेवल सिक्योरिटी

चीफ जस्टिस का पद देश में बहुत बड़ा और सम्मानित होता है। इसीलिए उन्हें आमतौर पर Z या Z कैटेगरी की सिक्योरिटी दी जाती है। उनके कार्यकाल के दौरान सिक्योरिटी में कोई कटौती नहीं की जाती, जब तक कि कोई खास वजह न हो। मजेदार बात ये है कि CJI को अपनी सिक्योरिटी का लेवल खुद तय करने का भी अधिकार होता है। यानी वो चाहें तो इसे बढ़ा या घटा सकते हैं।

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