Tuesday, June 10, 2025
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चमोली ग्लेशियर हादसा: 60 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन, 8 की मौत, सेना ने बचाईं 46 जिंदगियां

मोली ग्लेशियर हादसा में 60 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन में 8 की मौत, सेना ने बचाईं 46 जिंदगियां।
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उत्तराखंड के चमोली जिले में माणा के पास एक बड़ा हादसा हो गया। ग्लेशियर टूटने से हुए भूस्खलन में कई मजदूर दब गए। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमों ने मिलकर करीब 60 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। इस ऑपरेशन में 46 लोगों को जिंदा निकाला गया, जबकि 8 मजदूरों की जान चली गई।

रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत

ग्लेशियर टूटने की खबर मिलते ही राहत दल हरकत में आ गया। मौसम खराब था, तापमान -12 से -15 डिग्री के बीच था, लेकिन जवानों ने अपनी जान पर खेलकर ऑपरेशन जारी रखा। स्निफर डॉग्स, थर्मल इमेजिंग तकनीक और हेलीकॉप्टरों की मदद से फंसे लोगों को खोजने की हरसंभव कोशिश की गई। आखिरकार रविवार शाम ऑपरेशन पूरा होने का ऐलान कर दिया गया।

कौन थे हादसे के शिकार?

माणा में श्रमिक निर्माण कार्य कर रहे थे, तभी ग्लेशियर उनके ऊपर आ गिरा। पहले 55 मजदूरों के दबे होने की सूचना थी, बाद में यह संख्या 54 बताई गई। मृतकों की पहचान उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हिमाचल के मजदूरों के रूप में हुई।

आखिरी लापता मजदूर की भी हुई पहचान

रविवार को देहरादून के क्लेमेंट टाउन निवासी अरविंद कुमार सिंह (43) का शव बरामद किया गया। इससे पहले जिन शवों को निकाला गया, उनमें रुद्रपुर के अनिल कुमार (21), फतेहपुर के अशोक (28) और हिमाचल के ऊना निवासी हरमेश शामिल हैं। शवों को हेलीकॉप्टर से ज्योतिर्मठ लाया गया और पोस्टमार्टम कराया गया।

कैसे चला ऑपरेशन?

रेस्क्यू ऑपरेशन में स्निफर डॉग्स, थर्मल इमेजिंग डिवाइस और उन्नत खोज तकनीक का इस्तेमाल किया गया। बर्फीले तूफान और खराब मौसम के बावजूद, जवानों ने डटे रहकर अभियान सफल बनाया।

मुख्यमंत्री ने लिया जायजा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और बचाव दलों की सराहना की। उन्होंने हादसे में जान गंवाने वाले मजदूरों के परिवारों को हरसंभव मदद देने का भरोसा दिलाया।

ऑपरेशन की मुख्य बातें:

46 मजदूरों को सुरक्षित निकाला गया
8 मजदूरों की दर्दनाक मौत
-12 से -15 डिग्री के बीच चला रेस्क्यू
थर्मल इमेजिंग और खोजी कुत्तों की मदद ली गई

आईटीबीपी, सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ का संयुक्त ऑपरेशन

यह हादसा एक बार फिर याद दिलाता है कि पहाड़ी इलाकों में निर्माण कार्य कितना जोखिम भरा हो सकता है। लेकिन हमारे बहादुर जवानों ने अपनी सूझबूझ और बहादुरी से दर्जनों जिंदगियां बचाईं।

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