भारत में कौन सी जाति है सबसे बड़ी? जनगणना से पहले जान लो ये बातें
मोदी सरकार ने आखिरकार जाति आधारित जनगणना को हरी झंडी दे दी है। लंबे वक्त से इसकी मांग चल रही थी, और अब केंद्र के इस फैसले ने पूरे देश में सियासी हलचल मचा दी है। विपक्ष, खासकर कांग्रेस और सपा, इसे अपनी बड़ी जीत बता रहा है। उनका कहना है कि वो सालों से इसकी मांग कर रहे थे, और अब जाकर सरकार ने उनकी सुनी। खबर है कि ये जनगणना 2025 में शुरू हो सकती है और 2026 तक पूरी होगी। लेकिन उससे पहले आइए, जानते हैं कि देश में सबसे ज्यादा कौन सी जाति के लोग हैं और ये जनगणना आखिर मायने क्यों रखती है।
जाति जनगणना का मतलब क्या?
जाति जनगणना का सीधा-सा मतलब है कि देश में हर जाति के लोगों की गिनती करना और उनके बारे में साफ-साफ आंकड़े जुटाना। पहले भी भारत में जाति आधारित जनगणना हुई थी, लेकिन तब अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को इसमें शामिल नहीं किया गया था। यही वजह है कि जब भी जाति जनगणना की बात होती है, तो OBC का जिक्र सबसे पहले आता है। इस बार की जनगणना में भी OBC पर खास फोकस रहेगा।
देश में सबसे ज्यादा कौन सी जाति?
2011 की जनगणना में 46 लाख जातियां सामने आई थीं। लेकिन माना जाता है कि देश में सबसे ज्यादा आबादी OBC की है। 1931 की जनगणना के मुताबिक, पिछड़ी जातियों की आबादी 52% से ज्यादा थी। जब मंडल कमीशन लागू हुआ, तब भी इसी आंकड़े को आधार बनाया गया था। VP सिंह की सरकार ने 1931 के सेंसेस के आधार पर बताया था कि OBC 52% हैं। लेकिन ये आंकड़ा तभी पक्का माना जाएगा, जब नई जनगणना हो। अभी के लिए इतना कहा जा सकता है कि OBC देश की सबसे बड़ी जाति समूह है।
जनगणना से क्या फायदा?
जाति जनगणना के समर्थक कहते हैं कि इससे हर जाति की सही तस्वीर सामने आएगी। जनगणना के बाद सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और सियासी हालात साफ होंगे। खासकर OBC समुदाय को अपनी आबादी के हिसाब से सरकार से हक मांगने का मौका मिलेगा। ये आंकड़े आरक्षण, सरकारी योजनाओं और संसाधनों के बंटवारे में भी मदद करेंगे। साथ ही, ये पता चलेगा कि कौन सी जातियां अभी भी पीछे हैं और उन्हें कैसे आगे लाया जाए।
सियासत में क्यों है हलचल?
जाति जनगणना का फैसला सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं, बल्कि सियासी जंग का भी मैदान है। विपक्ष इसे अपनी जीत बता रहा है, तो सरकार कह रही है कि ये समाज को आर्थिक और सामाजिक तौर पर मजबूत करेगा। बिहार जैसे राज्यों में, जहां 2023 में जाति सर्वे हुआ, वहां OBC और अति पिछड़ा वर्ग 63% से ज्यादा निकला। अब पूरे देश में ऐसे आंकड़े सामने आने पर सियासी समीकरण बदल सकते हैं।
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