मिसाइल फायर होने के बाद क्या उसे रोका या मोड़ा जा सकता है? जानिए मजेदार जवाब
क्या आपने कभी सोचा कि एक बार मिसाइल दागने के बाद उसे रोका जा सकता है या उसका रास्ता बदला जा सकता है? भारत-पाकिस्तान के बीच हाल ही में तनातनी के बाद ये सवाल हर किसी के दिमाग में घूम रहा है। तो चलिए, लल्लनटॉप स्टाइल में आपको बताते हैं कि मिसाइल के साथ असल में होता क्या है।
पहलगाम हमले का करारा जवाब
कुछ वक्त पहले पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने सबको हिलाकर रख दिया था। भारत ने इसका जवाब देने में देर नहीं की। पाकिस्तान और PoK में आतंकियों के ठिकानों को मिसाइलों से पिन-पॉइंट अटैक करके तबाह कर दिया। हर हमला बिल्कुल सटीक था। आतंकियों के कई अड्डे नेस्तनाबूद हुए और कई आतंकी ढेर हो गए। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या मिसाइल को दागने के बाद उस पर कंट्रोल रहता है? आइए, इसका जवाब समझते हैं।
पुरानी मिसाइलें थीं जिद्दी
पहले के जमाने में ज्यादातर मिसाइलें बैलिस्टिक टाइप की होती थीं। ये मिसाइलें एक बार दागी गईं, तो बस चली गईं। ना तो इन्हें रोका जा सकता था और ना ही इनका रास्ता बदला जा सकता था। भारत की बात करें तो अग्नि और पृथ्वी जैसी बैलिस्टिक मिसाइलें इस कैटेगरी में आती हैं। इनका रास्ता पहले से तय होता है और फायर होने के बाद ये अपने टारगेट की ओर बिना रुके बढ़ती हैं।
अब टेक्नोलॉजी ने बदला खेल
लेकिन अब वक्त बदल गया है, भाई! टेक्नोलॉजी इतनी तरक्की कर गई है कि मॉडर्न वॉरफेयर सिस्टम ने सब कुछ बदल दिया। आजकल की कुछ मिसाइलें ऐसी हैं, जिन्हें फायर करने के बाद भी कंट्रोल किया जा सकता है। जी हां, कुछ खास मिसाइलों में गाइडेड सिस्टम होता है, जिसके जरिए उनका रास्ता बदला जा सकता है। मगर ये इतना आसान भी नहीं है। ज्यादातर बैलिस्टिक मिसाइलें अब भी वही पुरानी जिद्दी वाली बात करती हैं—एक बार दागो, तो बस टारगेट पर जाकर ही दम लेती हैं।
तो क्या है निचोड़?
सीधा-सीधा जवाब ये है कि बैलिस्टिक मिसाइलों को फायर होने के बाद ना रोका जा सकता है और ना ही मोड़ा जा सकता है। लेकिन नई टेक्नोलॉजी वाली गाइडेड मिसाइलों में कुछ हद तक कंट्रोल मुमकिन है। भारत जैसे देश अब इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं, ताकि भविष्य में और सटीक और कंट्रोल्ड हमले किए जा सकें।
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