मथुरा में पुलिस की बड़ी कार्रवाई: 28 बच्चों समेत 90 बांग्लादेशी मजदूर दबोचे गए, चल रहा था गुपचुप काम!
मथुरा के खाजपुर गांव में शनिवार को पुलिस ने एक बड़ी छापेमारी कर 90 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया, जिनमें 28 मासूम बच्चे भी शामिल हैं। ये लोग महीनों से स्थानीय ईंट भट्टों पर मजदूरी कर रहे थे और फर्जी भारतीय दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रहे थे। पूछताछ में पता चला कि ये समूह पिछले चार महीने से मथुरा में रह रहा था और इससे पहले अन्य राज्यों में भी अवैध तरीके से रह चुका है। यह कार्रवाई पहलगाम आतंकी हमले के बाद अवैध घुसपैठियों के खिलाफ चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा है, जिसमें अब तक सैकड़ों बांग्लादेशी पकड़े जा चुके हैं।
कैसे पनप रहा है अवैध प्रवासियों का नेटवर्क?
दरअसल गिरफ्तार किए गए 90 बांग्लादेशियों में 35 पुरुष, 27 महिलाएं और 28 बच्चे शामिल हैं, जो सभी बिना किसी वैध दस्तावेज के भारत में रह रहे थे। पुलिस का कहना है कि ये लोग पश्चिम बंगाल की सीमा से घुसकर मथुरा पहुंचे थे और स्थानीय ठेकेदारों की मदद से ईंट भट्टों पर काम कर रहे थे। इनमें से कई के पास फर्जी आधार कार्ड और पहचान पत्र बनाए गए थे, जिनकी जांच अब खुफिया एजेंसियों द्वारा की जा रही है। यह मामला सिर्फ मथुरा तक सीमित नहीं है। गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी ऐसे सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं।
कौन बना रहा है बांग्लादेशियों के लिए फर्जी आईडी?
पुलिस की जांच में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि भारत में एक संगठित गिरोह अवैध रूप से घुस आए बांग्लादेशियों के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर रहा है। गुजरात एटीएस ने हाल ही में मोहम्मद ददल आलम उर्फ राणा सरकार नामक एक शख्स को गिरफ्तार किया था, जो 2012 से भारत में रहकर 300 से अधिक फर्जी दस्तावेज बना चुका है।
इसी तरह, कानपुर में आठ बांग्लादेशियों को फर्जी पासपोर्ट के साथ दुबई जाने की कोशिश में पकड़ा गया था। ये सभी मामले एक बड़े सिस्टम की ओर इशारा करते हैं, जहां अवैध प्रवासियों को जाली दस्तावेज उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता के बीच क्या होगा बच्चों का?
इस पूरे मामले में सबसे चिंताजनक पहलू 28 बच्चों की गिरफ्तारी है, जो अपने माता-पिता के साथ अवैध रूप से भारत आए थे। जहां एक ओर सुरक्षा एजेंसियां इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा मानती हैं, वहीं मानवाधिकार संगठनों ने बच्चों की दुर्दशा पर सवाल उठाए हैं। क्या इन बच्चों को वापस बांग्लादेश भेज दिया जाएगा? या फिर उन्हें मानवीय आधार पर रहने दिया जाएगा? यह सवाल अभी अनुत्तरित है, लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया है कि अवैध घुसपैठ के मामलों में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।
क्या रुकेगा अवैध प्रवासियों का सिलसिला?
पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने अवैध घुसपैठियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की है। गुजरात में सैकड़ों बांग्लादेशी पकड़े जा चुके हैं, हरियाणा के हांसी में 39 लोग गिरफ्तार हुए हैं, और अब मथुरा में यह बड़ी कार्रवाई हुई है। सवाल यह है कि क्या यह सिलसिला थमेगा? विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक सीमा सुरक्षा और दस्तावेजीकरण प्रक्रिया में सुधार नहीं होता, तब तक ऐसे मामले सामने आते रहेंगे। फिलहाल, मथुरा पुलिस की यह कार्रवाई एक स्पष्ट संदेश देती है कि अवैध घुसपैठ बर्दाश्त नहीं की जाएगी!
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