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क्यों काशी विश्वनाथ मंदिर ही बना औरंगजेब का पहला निशाना? जानें बनारस और दारा शिकोह का गहरा कनेक्शन

मुगल सम्राट औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट करने का विशेष अभियान क्यों चलाया? जानें इसके पीछे की ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक वजहें।
04:39 PM Mar 06, 2025 IST | Rohit Agrawal
मुगल सम्राट औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट करने का विशेष अभियान क्यों चलाया? जानें इसके पीछे की ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक वजहें।
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मुगल सम्राट औरंगजेब का शासनकाल धार्मिक कट्टरता और हिंदू आस्था पर निर्मम हमलों के लिए कुख्यात है। उसके राज में सैकड़ों मंदिरों को तोड़ा गया, मूर्तियों को खंडित किया गया और हिंदू परंपराओं को कुचलने की कोशिश की गई। लेकिन इनमें भी एक मंदिर ऐसा था, जिससे उसे सबसे ज्यादा नफरत थी वह है बनारस का काशी विश्वनाथ मंदिर। बता दें कि औरंगजेब ने इस पवित्र मंदिर को तोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया था और यहां तक कि इसकी लूटी गई मूर्तियों से निकले सोने-चांदी को मस्जिदों में लगाने का आदेश दिया। अब सवाल उठता है कि आखिर वाराणसी के इस मंदिर से उसे इतनी घृणा क्यों थी?

काशी से औरंगजेब को विशेष नफ़रत क्यों थी?

औरंगजेब के शासनकाल में हजारों मंदिर तोड़े गए, मूर्तियों को खंडित किया गया और हिंदू परंपराओं को मिटाने की कोशिश की गई। लेकिन काशी विश्वनाथ मंदिर को गिराने के पीछे केवल धार्मिक कट्टरता ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत द्वेष और रणनीतिक सोच भी शामिल थी। इसका सबसे बड़ा कारण था उसके भाई दारा शिकोह का काशी से गहरा संबंध।

बता दें कि दारा शिकोह इस्लाम और हिंदू धर्म के बीच सामंजस्य स्थापित करने में विश्वास रखता था। उसने संस्कृत सीखी, वेदों और उपनिषदों का अध्ययन किया और उनका फारसी में अनुवाद करवाया। वह हिंदू संतों और विद्वानों से ज्ञान अर्जित करता था। यही वजह थी कि औरंगजेब उसे इस्लाम के लिए खतरा मानता था। जब उसने सत्ता हथियाने के लिए दारा शिकोह की हत्या कर दी, तब भी उसकी नफरत काशी के प्रति बनी रही। उसे लगता था कि काशी केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि हिंदू विद्वानों और आस्था का मुख्य केंद्र है, जिसे नष्ट करना उसकी सत्ता के लिए जरूरी है।

औरंग ने कैसे किया काशी विश्वनाथ मंदिर का विध्वंस?

8 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने फरमान जारी किया कि काशी विश्वनाथ मंदिर को पूरी तरह नष्ट कर दिया जाए। मंदिर को तोड़कर वहां ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई। इस मस्जिद का नाम इसलिए 'ज्ञानवापी' रखा गया क्योंकि यह स्थान पहले हिंदू धर्म के गहरे अध्ययन और शिक्षा का केंद्र था।

 

इतना ही नहीं, मंदिर से मिले सोने-चांदी को दिल्ली की जामा मस्जिद और अन्य मस्जिदों में लगाने का आदेश दिया गया। हिंदुओं का अपमान करने के लिए मंदिर की खंडित मूर्तियों को मस्जिदों की सीढ़ियों और फर्श में लगाया गया, ताकि मुसलमान जब मस्जिद में जाएं तो वे मूर्तियों पर पैर रखकर अंदर जाएं।

काशी ही क्यों बनी पहला निशाना?

औरंग ने केवल काशी ही नहीं, बल्कि मथुरा से लेकर सोमनाथ और उज्जैन तक कई मंदिरों को नष्ट कर आतंक मचाया था। लेकिन काशी उसके निशाने पर हमेशा सबसे पहले नंबर पर रही, क्योंकि:

यह हिंदू शिक्षा और संस्कृति का केंद्र था – यहां वेदों, उपनिषदों और शास्त्रों का अध्ययन होता था, जो हिंदू धर्म को मजबूत बनाते थे।

दारा शिकोह की विरासत जुड़ी थी – औरंगजेब चाहता था कि उसका नामो-निशान मिटा दिया जाए।

यह हिंदू आस्था का गढ़ था – काशी हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र तीर्थस्थल था, इसे तोड़ने से हिंदू समाज को कमजोर किया जा सकता था।

राजनीतिक शक्ति को कमजोर करने की साजिश थी – मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि हिंदू समाज को एकजुट रखने का माध्यम भी थे।

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