असम सरकार का बड़ा फैसला, सीमावर्ती इलाकों के मूल निवासियों को मिलेगा हथियार लाइसेंस
असम सरकार ने एक ऐतिहासिक और सुरक्षा से जुड़ा अहम फैसला लेते हुए सीमावर्ती और संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले स्वदेशी और मूल निवासियों को हथियार लाइसेंस देने का रास्ता साफ कर दिया है। यह फैसला राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि यह कदम असम के उन मूल निवासियों की सुरक्षा की पुरानी मांग को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, जो बांग्लादेश की सीमा से सटे जिलों में रह रहे हैं और वर्षों से असुरक्षा की भावना झेल रहे हैं।
किन जिलों में लागू होगा यह निर्णय?
सरकार की योजना के मुताबिक, यह फैसला असम के धुबरी, मोरीगांव, नागांव, बारपेटा और दक्षिण सलमारा-मनकाचर जैसे जिलों में लागू होगा। इन क्षेत्रों में स्थानीय स्वदेशी समुदाय अल्पसंख्यक हैं और बांग्लादेश मूल के प्रवासी मुस्लिमों की संख्या अधिक है। ऐसे में कई असमिया परिवारों को वर्षों से संरक्षा की चुनौती झेलनी पड़ रही थी।
क्या बोले मुख्यमंत्री सरमा?
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने साफ कहा कि असम एक संवेदनशील राज्य है और कुछ सीमावर्ती इलाके ऐसे हैं, जहां हमारे मूल निवासी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते। ये लोग लंबे समय से हथियार लाइसेंस की मांग कर रहे थे। अब समय आ गया है कि उन्हें आत्मरक्षा का कानूनी अधिकार मिले। सरमा ने कहा कि पात्र नागरिकों को उदारता से गन लाइसेंस दिए जाएंगे, बशर्ते वे असम के मूल निवासी हों और संवेदनशील क्षेत्रों में रहते हों।
1985 से चल रही थी ये मांग
सरमा ने यह भी बताया कि यह मांग कोई नई नहीं है, बल्कि 1985 से लंबित है। “अगर ये फैसला पहले लिया गया होता, तो कई परिवारों को अपनी जमीनें नहीं बेचनी पड़तीं और उन्हें पलायन नहीं करना पड़ता,” उन्होंने कहा।
कौन होंगे पात्र और कैसे होगी पहचान?
- केवल मूल निवासी और स्वदेशी समुदाय से आने वाले लोगों को ही प्राथमिकता दी जाएगी।
- सरकार संवेदनशील क्षेत्रों की खुद पहचान और परिभाषा करेगी।
- ऐसे सभी चिन्हित क्षेत्र इस योजना के अंतर्गत कवर किए जाएंगे।
- गुवाहाटी का हाटीगांव इलाका भी जल्द ही संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया जा सकता है।
स्वदेशी संगठनों ने की सराहना
राज्य सरकार के इस फैसले को असम के कई स्वदेशी संगठनों और नागरिक समूहों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। अब देखना यह है कि हथियार लाइसेंस की यह नीति किस तरह से जमीनी स्तर पर अमल में लाई जाती है और इससे वास्तव में स्थानीय लोगों की सुरक्षा कितनी सुदृढ़ हो पाती है।
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