दीक्षा लेने चित्रकूट पहुंचे थे इंडियन आर्मी के चीफ़, जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने दक्षिणा में ऐसा क्या मांग लिया सब हो गए हैरान?
चित्रकूट के पवित्र तुलसी पीठ में एक अनूठा इतिहास रचा गया। भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य से वही दीक्षा ली, जो माता सीता ने हनुमान को दी थी। और जब गुरुजी ने दक्षिणा मांगी, तो उनकी मांग ने देशभक्ति की भावना को झंकृत कर दिया कि मुझे PoK चाहिए!" यह कोई सामान्य संवाद नहीं था, बल्कि उस रामकथा का आधुनिक अध्याय था, जहां धर्म और राष्ट्र रक्षा एक साथ आ गए। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद सेना प्रमुख का यह आध्यात्मिक दौरा सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत के संकल्प का प्रतीक बन गया।
क्या PoK पर जल्द फहराएगा तिरंगा?
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने सेना प्रमुख को दिए आशीर्वाद में एक ऐतिहासिक संदेश छुपा था। उन्होंने कहा, "यह वही दीक्षा है जिसने हनुमान को लंका जीतने की शक्ति दी। आज मैंने आपको वही मंत्र दिया है।" इसके बाद जब उन्होंने दक्षिणा में PoK की मांग की, तो यह सिर्फ एक संत की इच्छा नहीं, बल्कि भारत की जनभावना का प्रतिनिधित्व था।
गुरुजी ने साफ कहा कि"अब आतंक के अड्डों को पूरी तरह खत्म करने का समय आ गया है। भारत का झंडा PoK में लहराना चाहिए।" क्या यह संयोग है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना प्रमुख ने यह आध्यात्मिक यात्रा की? या फिर यह कोई बड़े संकल्प का संकेत है?
PoK को भारत में मिलाने की दिशा में एक सांस्कृतिक-सैन्य अभियान
जनरल द्विवेदी ने चित्रकूट में न सिर्फ जगद्गुरु से आशीर्वाद लिया, बल्कि दिव्यांग छात्रों को सम्मानित भी किया। तुलसी पीठ में उनकी मौजूदगी ने एक स्पष्ट संदेश दिया कि "भारत की शक्ति केवल तलवार में नहीं, बल्कि संस्कृति और आध्यात्म में भी है। गुरुजी ने कहा कि"हम शास्त्रों से लड़ेंगे, आप शस्त्रों से।" यह वही दर्शन है जिसने भारत को सदियों तक अजेय बनाए रखा। सेना प्रमुख के इस दौरे को कई लोग रणनीतिक पहल भी मान रहे हैं।
#WATCH | Madhya Pradesh | On Chief of Army Staff General Upendra Dwivedi visiting his Ashram in Chitrakoot yesterday, Spiritual Leader Jagadguru Rambhadracharya says, "I gave him the same Diksha (initiation) with the Ram Mantra which Lord Hanuman had received from Maa Sita and… pic.twitter.com/C7Sc3sDTUb
— ANI (@ANI) May 29, 2025
PoK की मांग पर क्या हैं सरकार के इशारे?
जगद्गरु रामभद्राचार्य की PoK की मांग सिर्फ एक संत की भावना नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय इच्छा है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने संसद में PoK को भारत का अभिन्न अंग बताया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा था कि "PoK पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है, इसे वापस लिया जाएगा।" अब जब सेना प्रमुख ने खुद इस मांग को आध्यात्मिक समर्थन दिया है, तो क्या सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी? क्या ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब PoK को लेकर कोई बड़ी रणनीति बन रही है?
क्या अब PoK की वापसी का समय आ गया है?
जब एक संत ने दक्षिणा में PoK मांगा, तो यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक घटना नहीं रह गई। यह भारत के सामूहिक संकल्प की अभिव्यक्ति है। सेना प्रमुख का चित्रकूट दौरा, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और सरकार के बयान, सब कुछ एक ही दिशा में इशारा कर रहा है। अब सवाल यह है कि क्या भारत PoK को वापस लेने के लिए सैन्य, कूटनीतिक और सांस्कृतिक तीनों मोर्चों पर कार्रवाई करेगा? जगद्गुरु ने जिस 'हनुमान वाली दीक्षा' का जिक्र किया, क्या वह भारतीय सेना को नया बल देगी? एक बात तय है कि अब PoK की चर्चा सिर्फ राजनीतिक भाषणों तक सीमित नहीं रहने वाली!
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