'फुले' के विरोध के बीच अनंत महादेवन ने ब्राह्मणों से मूवी देखने का किया अनुरोध, बोले- 'पहले फिल्म देखें, फिर राय बनाएं'
प्रतीक गांधी और पत्रलेखा स्टारर फिल्म 'फुले' इस समय काफी विवादों में बनी हुई है। एक तरफ जहां ब्राह्मण समाज इसका विरोध कर रहा है, वहीं फिल्ममेकर्स किसी भी तरह मूवी को दर्शकों तक पहुंचाना चाहते हैं। ऐसे में फिल्म के निर्माता अनंत महादेवन ने ब्राह्मणों से अनुरोध किया कि वे कोई भी राय बनाने से पहले फिल्म जरूर देखें। बता दें कि ब्राह्मणों को कहना है कि फिल्म में उनकी गलत छवि पेश की गई है।
अनंत महादेवन ने ब्राह्मणों से 'फुले' देखने का किया अनुरोध
हाल ही में, आईएएनएस के साथ बातचीत में अनंत महादेवन ने फिल्म 'फुले' और इसको लेकर चल रहे विरोध के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को इस फिल्म के ट्रेलर से ठेस पहुंची है, वे पहले यह फिल्म देखें और फिर अपनी राय कायम करें। साथ ही उन्होंने बताया कि फिल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा बताए गए नियमों का पालन करने के बाद ही फाइनल किया गया है।
इसके साथ ही उन्होंने सेंसर बोर्ड द्वारा सुझाए गए नियमों के बारे में बात करते हुए कहा, "वह शायद जरूरत से ज्यादा सतर्क थे और उनके पास कुछ सिफारिशें थीं, कुछ बदलाव थे जो वह चाहते थे कि हम करें। लेकिन इन बदलावों के बावजूद फिल्म की असल कहानी और प्रभाव में कोई कमी नहीं हुई। हमने सभी नियमों का पालन किया। हम थोड़े संवेदनशील हो गए हैं। मुझे नहीं लगता कि फिल्म में इस्तेमाल किए जा रहे शब्दों से किसी को आपत्ति होगी, लेकिन फिर भी हमें नियम के अनुसार उसमें बदलाव करना पड़ा। पर फिर भी इससे फिल्म का प्रभाव कम नहीं हुआ।''
सेंसर बोर्ड से मिला 'यू' सर्टिफिकेट
बता कें कि फिल्म में इस्तेमाल किए गए 'मांग', 'महार' और 'पेशवाई' जैसे शब्द हटाने को कहा गया है। वहीं, इसमें '3000 साल पुरानी गुलामी' को बदलकर 'कई साल पुरानी' कर दिया गया। खैर, फिल्म पहले 11 अप्रैल को रिलीज होनी थी, लेकिन अब यह 25 अप्रैल को सिल्वर स्क्रीन पर दस्तक देगी। फिल्म को 'यू' सर्टिफिकेट मिला है।
फिल्म फुले की बात करें, तो यह समाज सुधारक जोड़ी ज्योतिबा राव फुले और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने जाति व्यवस्था, ऊंच-नीच की खाई को पाटने के लिए एक क्रांति की शुरुआत की थी, जो अभी भी जारी है। प्रतीक गांधी और पत्रलेखा फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं।
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