Amit Shah Sanskrit: संस्कृत सभी भाषाओं की जननी, इसे सशक्त बनाने का कर रहे काम - अमित शाह
Amit Shah Sanskrit: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि किसी भी भाषा का विरोध नहीं है क्योंकि किसी को भी उसकी मातृभाषा से दूर नहीं किया जा सकता। संस्कृत लगभग सभी भारतीय भाषाओं की जननी है। यहां 1008 संस्कृत भाषण शिविरों के समापन समारोह को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि अधिकतर भारतीय भाषाओं की जननी के रूप में संस्कृत का प्रचार-प्रसार सिर्फ इसके पुनरुद्धार के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्र की समग्र प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए भी है।
संस्कृत सभी भाषाओं की जननी
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे संस्कृत समृद्ध और मजबूत होती जाएगी। वैसे-वैसे यह देश भर की हर भाषा और बोली को सशक्त बनाएगी। अमित शाह ने इस बात पर जोर दिया कि वेदों, उपनिषदों और अनगिनत संस्कृत पांडुलिपियों में निहित गहन ज्ञान को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचना चाहिए। अमित शाह ने कहा कि हालांकि किसी भी भाषा का विरोध नहीं है, क्योंकि किसी को भी मातृभाषा से दूर नहीं किया जा सकता है, लेकिन संस्कृत लगभग सभी भारतीय भाषाओं की जननी है। गृह मंत्री ने कहा कि संस्कृत न केवल दुनिया की सबसे वैज्ञानिक भाषा है, बल्कि इसकी व्याकरणिक संरचना भी अद्वितीय है।
संस्कृत के लिए अनुकूल माहौल
उन्होंने 1008 संस्कृत सम्भाषण शिविरों के आयोजन में संस्कृत भारती की उल्लेखनीय और साहसी पहल की सराहना करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा औपनिवेशिक शासन के युग से पहले ही सिमटने लगी थी। इसके पुनरुद्धार के लिए समय और निरंतर प्रयास की आवश्यकता होगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश में संस्कृत के पुनरुत्थान के लिए अनुकूल माहौल बना है। अमित शाह ने कहा कि सरकार, जनता और सामूहिक मानसिकता सभी संस्कृत के पुनरुद्धार और संवर्धन के लिए पूरी तरह समर्पित और प्रतिबद्ध हैं।
संस्कृत को बढ़ावा देने की पहल
गृहमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। उन्होंने बताया कि ‘अष्टदशी’ योजना के तहत करीब 18 परियोजनाएं चलायी जा रही हैं और केंद्र सरकार दुर्लभ संस्कृत ग्रंथों के प्रकाशन, थोक खरीद और पुनर्मुद्रण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। अमित शाह ने इस बात पर जोर दिया कि वेदों, उपनिषदों और अनगिनत संस्कृत पांडुलिपियों में निहित गहन ज्ञान को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचना चाहिए।
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