कौन है अली खान महमूदाबाद? अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ऑपरेशन सिंदूर पर किस बयान के चलते आए गिरफ्तारी की जद में?
अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद आज जेल की सलाखों के पीछे हैं, लेकिन इसकी वजह उनका शिक्षण या शोध नहीं, बल्कि फेसबुक पर लिखी गई कुछ पंक्तियां हैं। ऑपरेशन सिंदूर और कर्नल सोफिया कुरैशी पर लिखी उनकी टिप्पणी ने एक ऐसा तूफान खड़ा कर दिया, जिसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच की पुरानी बहस को फिर से जिंदा कर दिया है। भाजपा युवा मोर्चा की शिकायत पर हरियाणा पुलिस ने जिस तरह से उन्हें दिल्ली से गिरफ्तार किया, उसने पूरे शैक्षणिक जगत को हिलाकर रख दिया है।
ऑपरेशन सिंदूर पर क्या लिखा था प्रोफेसर ने?
प्रोफेसर अली खान ने अपने फेसबुक पोस्ट में ऑपरेशन सिंदूर और कर्नल सोफिया कुरैशी पर जो कुछ लिखा, वह सरकार और दक्षिणपंथी संगठनों को नागवार गुजरा। उन्होंने लिखा कि सेना के प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाए गए "एकता वाले भारत" और जमीनी हकीकत में बहुत फर्क है। उनका कहना था कि जहां एक तरफ कर्नल कुरैशी जैसी महिला सैनिकों की प्रशंसा की जाती है, वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भीड़ हिंसा और बुलडोजर एक्शन पर चुप्पी साध ली जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि सांप्रदायिकता ने भारतीय राजनीति को पूरी तरह से जकड़ लिया है।
कानून ने किन धाराओं में किया गिरफ्तार?
हरियाणा पुलिस ने प्रोफेसर अली खान को आईपीसी की धारा 153ए (साम्प्रदायिक द्वेष फैलाना) और 295ए (धार्मिक भावनाएं आहत करना) के तहत गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि उनकी टिप्पणियों से साम्प्रदायिक तनाव फैलने का खतरा था। हालांकि, उनके समर्थकों का कहना है कि यह गिरफ्तारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है और इसमें कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
कौन हैं प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद?
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद सिर्फ एक शिक्षक नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण राजपरिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनका जन्म 2 दिसंबर 1982 को लखनऊ के महमूदाबाद रियासत के राजपरिवार में हुआ था। उनके पिता राजा मोहम्मद आमिर खान मुस्लिम लीग के पूर्व कोषाध्यक्ष थे और शत्रु संपत्ति कानून के तहत जब्त हुई पैतृक संपत्ति को लेकर 40 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी। अली खान ने ला मार्टिनियर लखनऊ और किंग्स कॉलेज स्कूल यूके से पढ़ाई की है। उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इतिहास में पीएचडी की है और फिलहाल अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान पढ़ाते हैं।
विरोध और समर्थन की राजनीति
प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी के बाद से ही राजनीतिक गलियारों में तूफान मचा हुआ है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। वहीं, भाजपा के नेताओं का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और साम्प्रदायिक सद्भाव को खतरे में डालने वाली टिप्पणियों पर कार्रवाई जरूरी थी। अशोका यूनिवर्सिटी के कई शिक्षकों और छात्रों ने भी इस गिरफ्तारी का विरोध किया है।
क्या कहता है इतिहास?
प्रोफेसर अली खान का परिवार भारतीय इतिहास के कई महत्वपूर्ण पड़ावों का गवाह रहा है। उनके दादा राजा मोहम्मद अमीर अहमद खान विभाजन से पहले मुस्लिम लीग के प्रमुख नेताओं में से थे। अली खान ने अपनी किताब "मुस्लिम पॉलिटिकल डिस्कोर्स इन पोस्टकोलोनियल इंडिया" में भारत में मुस्लिम राजनीति का गहराई से विश्लेषण किया है। उनके लेख द वायर, अलजजीरा और इंडियन एक्सप्रेस जैसे प्रकाशनों में छप चुके हैं।
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