Friday, July 4, 2025
  • ftr-facebook
  • ftr-instagram
  • ftr-instagram
search-icon-img

क्या अजमेर की दरगाह शरीफ थी कभी शिव मंदिर? कोर्ट ने दी सुनवाई की मंजूरी

सदियों पुरानी अजमेर दरगाह पर उठे सवाल, हिंदू संगठन ने किया शिव मंदिर होने का दावा। कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर जारी किया नोटिस, जानिए पूरा मामला
featured-img

अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। हिंदू सेना नाम के एक संगठन ने दावा किया है कि यह दरगाह असल में एक प्राचीन शिव मंदिर है। इस दावे को लेकर दायर की गई याचिका को अजमेर की एक अदालत ने स्वीकार कर लिया है। इस फैसले से यह मामला अब और गरमा गया है।

अजमेर शरीफ में था प्राचीन शिव मंदिर ?

अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर यह नया विवाद तब शुरू हुआ जब हिंदू सेना ने इसे प्राचीन शिव मंदिर बताते हुए एक याचिका दायर की। इस याचिका में दरगाह का सर्वे कराने की मांग की गई थी। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य माना।

न्यायालय ने याचिका को स्वीकार करते हुए दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कार्यालय को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। इन सभी पक्षों को अपना जवाब देने के लिए कहा गया है।

दरगाह में मौजूद है मंदिर के अवशेष 

हिंदू सेना ने अपनी याचिका में कई ऐसे सबूत पेश किए हैं, जिनके आधार पर वे दरगाह को प्राचीन शिव मंदिर बता रहे हैं। उनका कहना है कि दरगाह परिसर में कई ऐसे प्राचीन अवशेष मौजूद हैं, जो इसके मंदिर होने की पुष्टि करते हैं।

हिंदू सेना के अनुसार, दरगाह के अंदर मौजूद कुछ प्रतीक और निशान हिंदू धर्म से जुड़े हुए हैं। वे इन निशानों को शिव मंदिर के प्रमाण के रूप में पेश कर रहे हैं। हालांकि, इन दावों की पुष्टि अभी किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा नहीं की गई है।

अगली सुनवाई अब 20 दिसंबर को

इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी। इस दिन दोनों पक्ष अपने-अपने तर्क और जरूरी दस्तावेज कोर्ट में पेश करेंगे।  हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कहना है कि यह मुद्दा हिंदू समाज की धार्मिक भावनाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। उनका मानना है कि इस पर फैसला हिंदू समाज के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा।

दूसरी ओर, दरगाह के प्रतिनिधियों की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

एक किताब का दिया हवाला 

विष्णु गुप्ता ने अपने दावे के समर्थन में एक पुरानी किताब का हवाला दिया है। यह किताब अजमेर के रहने वाले हर विलास शारदा ने 1911 में लिखी थी। इसमें कहा गया है कि दरगाह की जगह पर पहले भगवान शिव का मंदिर था, जहां पूजा और जलाभिषेक होता था। याचिका में यह भी कहा गया है कि दरगाह के 75 फीट लंबे बुलंद दरवाजे में पुराने मंदिर के मलबे का इस्तेमाल किया गया है और दरगाह के नीचे एक गर्भगृह भी है।

ट्रेंडिंग खबरें

15,000+ MW क्षमता के साथ अडानी ग्रीन एनर्जी बनी भारत की सबसे बड़ी रिन्यूएबल एनर्जी फर्म

India US Trade Deal: डोनाल्ड ट्रंप के भारत-अमेरिका ट्रेड डील वाले बयान पर वित्त मंत्री की प्रतिक्रिया, '...कुछ शर्तें होंगी लागू'

कर्नाटक में सियासी उठापटक के बीच मल्लिकार्जुन खरगे का बड़ा बयान, मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर कही ये बात

Hyderabad Factory Blast: केमिकल फैक्ट्री में भीषण विस्फोट, 10 लोगों की दर्दनाक मौत

Hanuman Worship: रोज़ाना हनुमान कवच पढने से अकाल मृत्यु का हटता है भय

Shirdi Trip: शिरडी जाने का है प्लान तो इन खूबसूरत जगहों को बिल्कुल ना करें मिस

Weather Update: मूसलाधार बारिश को लेकर इन राज्यों में रेड अलर्ट, मानसून सीजन में उफान पर नदी-नाले

.

tlbr_img1 होम tlbr_img2 शॉर्ट्स tlbr_img3 वेब स्टोरीज tlbr_img4 वीडियो tlbr_img5 वेब सीरीज