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जब रिक्शावाले बने जेम्स बॉन्ड: अजित डोभाल की स्वर्ण मंदिर में खालिस्तानियों को चकमा देने की दमदार कहानी

जानिए कैसे अजित डोभाल ने 1980 में रिक्शावाले के भेष में स्वर्ण मंदिर में घुसकर खालिस्तानियों की साजिश का भेद खोला। ऑपरेशन ब्लैक थंडर की पूरी कहानी, लल्लनटॉप स्टाइल में!
04:49 PM May 21, 2025 IST | Girijansh Gopalan
जानिए कैसे अजित डोभाल ने 1980 में रिक्शावाले के भेष में स्वर्ण मंदिर में घुसकर खालिस्तानियों की साजिश का भेद खोला। ऑपरेशन ब्लैक थंडर की पूरी कहानी, लल्लनटॉप स्टाइल में!

अमृतसर का स्वर्ण मंदिर इन दिनों चर्चा में है। बात हो रही है भारत के जेम्स बॉन्ड कहे जाने वाले अजित डोभाल की, जिन्होंने 1980 के दशक में खालिस्तानियों के कब्जे वाले स्वर्ण मंदिर में जासूसी करके ऑपरेशन ब्लैक थंडर को कामयाब बनाया था। चलिए, इस कहानी को लल्लनटॉप स्टाइल में जानते हैं कि आखिर डोभाल साहब ने ऐसा क्या कमाल किया था।

जब स्वर्ण मंदिर बन गया था उग्रवादियों का गढ़

1980 का दशक पंजाब के लिए मुश्किल वक्त था। खालिस्तानी अलग सिख राज्य बनाने के लिए हिंसक आंदोलन चला रहे थे। इस दौरान सिखों के पवित्र स्वर्ण मंदिर को उग्रवादियों ने अपना अड्डा बना लिया था। 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के जरिए सरकार ने मंदिर को खाली करवाया, लेकिन 1988 तक हालात फिर बिगड़ गए। खालिस्तानियों ने दोबारा मंदिर पर कब्जा जमा लिया। तब शुरू हुआ ऑपरेशन ब्लैक थंडर, जिसका मकसद था मंदिर को कम से कम नुकसान और आम लोगों की जान बचाते हुए उग्रवादियों को बाहर खदेड़ना। इस मिशन में अजित डोभाल का रोल गजब का था।

रिक्शावाले के भेष में डोभाल का मास्टरस्ट्रोक

उस वक्त खुफिया विभाग ने अजित डोभाल को रिक्शावाले की शक्ल में अमृतसर भेजा। वो दिन-रात स्वर्ण मंदिर के आसपास रिक्शा चलाते और आंख-कान खुले रखते। एक दिन मौका मिला और वो रिक्शावाले के भेष में मंदिर के अंदर घुस गए। लेकिन खालिस्तानियों को उन पर शक हो गया। डोभाल को पकड़ लिया गया। अब असली खेल शुरू हुआ। डोभाल ने 10 दिन तक खालिस्तानियों को यकीन दिलाया कि वो कोई जासूस नहीं, बल्कि पाकिस्तानी ISI का एजेंट हैं। उनकी उर्दू, उनका हाव-भाव, सब इतना पक्का था कि उग्रवादी उनके झांसे में आ गए।

कैसे बनी ऑपरेशन की रणनीति?

डोभाल ने मंदिर के अंदर 18 दिन बिताए। इस दौरान उन्होंने खालिस्तानियों की हर हरकत, उनके हथियारों की डिटेल और उनकी रणनीति की सारी जानकारी इकट्ठा की। ये जानकारी इतनी कीमती थी कि इसके आधार पर सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन ब्लैक थंडर को अंजाम दिया। नतीजा? मंदिर को ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना और आम लोगों को बचाते हुए उग्रवादियों को खदेड़ दिया गया। डोभाल की इस जासूसी ने सैकड़ों जिंदगियां बचाईं। और सबसे मजे की बात? किसी को कानों-कान खबर नहीं हुई कि रिक्शावाले के भेष में भारत का सुपर जासूस था।

स्वर्ण मंदिर पर अब भी खतरा!

हाल ही में खबर आई कि पाकिस्तान ने स्वर्ण मंदिर को ड्रोन और मिसाइल से निशाना बनाने की कोशिश की, जो भारत के मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम की वजह से नाकाम रही। इसके बाद अब स्वर्ण मंदिर की सुरक्षा और पुख्ता करने का फैसला लिया गया है। पहली बार मंदिर के आसपास एयर डिफेंस गन तैनात की जाएंगी। वाकई, स्वर्ण मंदिर का इतिहास और उससे जुड़ी कहानियां हमें बार-बार चौंकाती हैं।

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