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श्राप का असर: इस्तीफा देने पहुंची आतिशी पर दिल्ली एलजी ने कसा तंज

दिल्ली में AAP की हार के बाद सीएम पद से इस्तीफा देने पहुंची आतिशी पर दिल्ली के एलजी ने तंज कसते हुए कहा कि 'यमुना मैया का श्राप' उनकी पार्टी को ले डूबा है। पूरी खबर पढ़ें।
01:05 PM Feb 10, 2025 IST | Rohit Agrawal
दिल्ली में AAP की हार के बाद सीएम पद से इस्तीफा देने पहुंची आतिशी पर दिल्ली के एलजी ने तंज कसते हुए कहा कि 'यमुना मैया का श्राप' उनकी पार्टी को ले डूबा है। पूरी खबर पढ़ें।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की हार के बाद मुख्यमंत्री आतिशी ने 142 दिन के कार्यकाल के बाद सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। रविवार को उन्होंने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को अपना इस्तीफा सौंपा। इस बीच, एलजी वीके सक्सेना ने एक दिलचस्प टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि यमुना मैया का श्राप उनकी पार्टी को ले डूबा है। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने आतिशी से कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पहले ही इस श्राप के बारे में आगाह किया था।

आतिशी का अस्थाई सीएम कार्यकाल और इस्तीफा

आतिशी को दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर तब मिला जब अरविंद केजरीवाल को जेल भेजा गया था। 21 सितंबर 2024 को शपथ लेने के बाद, आतिशी ने खुद को अस्थाई मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत किया था। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि यह उनका पद संभालने का सिर्फ एक क्षणिक अवसर था और असली नेतृत्व अरविंद केजरीवाल का ही होगा। चुनावी हार के बाद रविवार को आतिशी ने अपना इस्तीफा सौंपते हुए कहा कि उनका कार्यकाल एक अस्थायी कदम था, और पार्टी के लिए बड़ा कार्य आगे आना है।

यमुना का ‘श्राप’ और गतिरोध के संकेत

आतिशी के इस्तीफे के साथ ही एलजी वीके सक्सेना ने तंज कसा कि यमुना मैया का श्राप उनकी राजनीति पर प्रभाव डाल रहा है। यह टिप्पणी दो साल पहले के एक महत्वपूर्ण विवाद से जुड़ी हुई है। जनवरी 2023 में, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने यमुना के प्रदूषण से निपटने के लिए एक हाई-लेवल कमेटी का गठन किया था, जिसके प्रमुख एलजी वीके सक्सेना थे। दिल्ली सरकार ने इस आदेश का विरोध किया, जिसके बाद केजरीवाल और सक्सेना के बीच कड़ी खींचतान शुरू हो गई थी। माना जाता है कि इस संघर्ष के बाद ही एलजी ने केजरीवाल से कहा था कि उन्हें यमुना के अभिशाप का सामना करना पड़ेगा।

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यमुना पर गतिरोध से APP को हुआ चुनावी नुकसान

केजरीवाल ने 2015 में दिल्ली की जनता से वादा किया था कि वे पांच साल के भीतर यमुना को साफ करेंगे, लेकिन इसके बावजूद यमुना में प्रदूषण बढ़ता रहा। भाजपा ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और चुनाव में इसे प्रमुख मुद्दा बनाया। दिल्लीवासियों को यह याद दिलाया गया कि केजरीवाल ने वादा किया था कि 2025 तक यमुना का पानी इतना साफ होगा कि लोग उसमें डुबकी लगा सकेंगे, लेकिन यह वादा अधूरा रह गया। भा.ज.पा. ने इसे एक हास्यास्पद वादा बताया, और इसकी वजह से केजरीवाल की सरकार को चुनावी नुकसान हुआ।

चुनाव में पूर्वांचल के वॉटर्स का रुझान रहा प्रमुख फैक्टर

चुनाव के बाद के विश्लेषणों से यह बात सामने आई है कि पूर्वांचल के लोगों ने AAP से अलग होकर भा.ज.पा. को समर्थन दिया। पिछले दो विधानसभा चुनावों में यह वर्ग AAP के साथ था, लेकिन प्रदूषण के बढ़ते संकट और यमुना मुद्दे पर केजरीवाल की नाकामी ने उन्हें BJP के साथ जोड़ दिया। यह बदलाव आगामी चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकता है, क्योंकि छठ पर्व के दौरान यमुना तट पर आने वाले लाखों लोगों के लिए प्रदूषण एक गंभीर चिंता का विषय है।

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