'मोदी साहब, हमें बचा लीजिए!' – लंदन से पाक नेता अल्ताफ हुसैन की भावुक पुकार
भारत-पाकिस्तान के बीच जब तनाव चरम पर हो, ऐसे में अगर कोई पाकिस्तानी नेता भारतीय प्रधानमंत्री से मदद की गुहार लगाए, तो यह अपने आप में एक बड़ी खबर बन जाती है। लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के संस्थापक अल्ताफ हुसैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक बेहद भावुक अपील की है – “हमें बचा लीजिए।” इस अपील में कोई राजनीतिक चाल नहीं, बल्कि एक समुदाय के अस्तित्व की पुकार छुपी है – मुहाजिर समुदाय, जो भारत से पाकिस्तान गए उर्दूभाषी शरणार्थियों का प्रतिनिधित्व करता है।
क्यों मांगी मदद पीएम मोदी से?
लंदन में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अल्ताफ हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान ने आज तक मुहाजिरों को “पूरा नागरिक” नहीं माना। उनका दावा है कि लाखों मुहाजिर आज भी पाकिस्तान में उत्पीड़न, भेदभाव और हिंसा का शिकार हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अब तक 25,000 से अधिक मुहाजिरों को सैन्य कार्रवाई में मार दिया गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की है कि वह इस मसले को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएं और भारत सरकार इन शरणार्थियों की आवाज बने। अल्ताफ ने कहा कि ये लोग बंटवारे के वक्त भारत से पाकिस्तान गए थे, लेकिन आज उन्हें न तो इज्जत मिल रही है और न ही सुरक्षा।
میں نے اپنے لائیوخطاب میں بھارتی وزیراعظم کو مخاطب کیوں کیا؟
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27،مئی 2025ءمیں نے گزشتہ روزمورخہ26،مئی 2025ء کوبھارتی وزیراعظم نریندر مودی کوکوئی خط نہیں لکھاتھا بلکہ اپنے لائیو خطاب میں نریندر مودی صاحب کو مخاطب کیاتھاجسے نریندرمودی صاحب کےنام میراخط… pic.twitter.com/yEx6YnByMx
— Altaf Hussain (@AltafHussain_90) May 27, 2025
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव
यह अपील ऐसे वक्त आई है जब भारत और पाकिस्तान के संबंध एक बार फिर तल्ख हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकी ठिकानों पर करारा प्रहार किया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने उग्र प्रतिक्रिया दी, और अपने देश में मारे गए आतंकियों को "राजकीय सम्मान" के साथ अंतिम विदाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी आलोचना करते हुए कहा था कि “6 मई को मारे गए आतंकियों को पाकिस्तानी झंडे में लपेटा गया और आर्मी अफसरों ने उन्हें सैल्यूट किया।”
मुहाजिरों की पीड़ा बन रही अंतरराष्ट्रीय मुद्दा?
अल्ताफ हुसैन की अपील सिर्फ एक राजनीतिक वक्तव्य नहीं, बल्कि एक समुदाय की दशकों पुरानी पीड़ा को उजागर करती है। क्या पीएम मोदी इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाएंगे? क्या भारत अब उन लोगों की आवाज बनेगा जो कभी इसी धरती से टूटकर पाकिस्तान चले गए थे? जब धर्म और राजनीति के नाम पर लोगों को बांटा गया, तो कई जिंदगियां हमेशा के लिए बिखर गईं। आज मुहाजिरों की पुकार हमें याद दिलाती है कि न्याय और पहचान की लड़ाई कभी खत्म नहीं होती। क्या अब समय आ गया है कि भारत उस आवाज को सुने, जो कभी उसकी थी?
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