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UN में यूक्रेन को छोड़ अमेरिका ने दिया रूस का साथ, भारत और चीन का किसे गया वोट?

UN में एक प्रस्ताव लाया गया, जिसमें यूक्रेन से रूसी सेना हटाने और युद्ध की निंदा करने की बात कही गई। वहीं, भारत और चीन ने इस मतदान से दूरी बनाए रखी।
05:20 PM Feb 25, 2025 IST | Vyom Tiwari
UN में एक प्रस्ताव लाया गया, जिसमें यूक्रेन से रूसी सेना हटाने और युद्ध की निंदा करने की बात कही गई। वहीं, भारत और चीन ने इस मतदान से दूरी बनाए रखी।

अमेरिका ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लेकर अपनी नीति में बड़ा बदलाव किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में जब एक नया प्रस्ताव पेश किया गया, जिसमें युद्ध खत्म करने और शांति बहाल करने की बात कही गई थी, तो अमेरिका ने रूस का समर्थन किया।

यूरोपीय संघ ने रूस के हमले की निंदा करने वाला प्रस्ताव लाया था, लेकिन जब मतदान का समय आया, तो अमेरिका ने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए रूस का साथ दिया। यह फैसला बदलते वैश्विक समीकरणों को दिखाता है और संकेत देता है कि अमेरिका अब अपनी विदेश नीति में बदलाव कर रहा है।

रूस के साथ खड़ा हुआ अमेरिका 

अमेरिका ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया, जबकि यूक्रेन ने इसका विरोध किया। ट्रंप का यह फैसला यूरोप के साथ उनके बढ़ते मतभेदों और पुतिन के साथ उनकी नजदीकी को दर्शाता है। दूसरी ओर, भारत ने इस मतदान में हिस्सा नहीं लिया और खुद को तटस्थ रखा।

भारत का वोट किसको?

भारत हमेशा शांति का समर्थक रहा है। इसी कारण उसने इस प्रस्ताव से दूरी बनाए रखी। 65 देशों ने भी मतदान से परहेज किया। इससे पहले भी भारत ने रूस विरोधी प्रस्तावों पर ऐसा ही रुख अपनाया था। भारत चाहता है कि दोनों पक्ष बातचीत और कूटनीति के जरिए समाधान निकालें।

चीन ने किसको दिया वोट?

चीन ने इस मतदान में भाग नहीं लिया। भारत, चीन और ब्राजील समेत 65 देशों ने वोटिंग से दूरी बनाए रखी। बीते तीन वर्षों में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका हमेशा यूरोपीय देशों के साथ खड़ा रहा था, लेकिन इस बार उसने अलग रुख अपनाया। यह बदलाव दिखाता है कि अमेरिका अब यूरोपीय देशों से अलग सोच रहा है और उसकी नीति में बड़ा परिवर्तन हो रहा है।

ट्रंप और पुतिन की बढ़ी नजदीकियां

डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से सीधी बातचीत शुरू कर दी है। उनका मकसद यूक्रेन से 500 बिलियन डॉलर की दुर्लभ खनिजों की डील करना है, ताकि अमेरिका ने जो पैसा युद्ध में खर्च किया है, उसकी भरपाई हो सके।

इसी बीच, सऊदी अरब में रूस और अमेरिका के बीच एक अहम बैठक हुई, जिसमें यूक्रेन को नहीं बुलाया गया। इसका मतलब साफ है कि अमेरिका अब रूस से सीधे बात करने की रणनीति अपना रहा है और यूक्रेन को नजरअंदाज किया जा रहा है।

 

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