Sunday, July 20, 2025
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सफेद चोगा और काले बाल...ट्रंप के स्वागत में अपने बाल खोलकर सर क्यों हिलाने लगीं ये मुस्‍ल‍िम मह‍िलाएं?

UAE में ट्रम्प के स्वागत में हुआ पारंपरिक युद्ध-नृत्य 'अल-आय्याला' वायरल, जानिए इसकी अनोखी परंपरा, महिलाओं की भूमिका और जुड़े विवाद।
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What is UAE ritual Al-Ayyala: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के UAE दौरे का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी तूफान मचा रहा है। वीडियो में सफेद चोगे पहने महिलाएं अपने लंबे काले बालों को तेजी से हिलाते हुए नजर आ रही हैं, जबकि पुरुष बांस की छड़ियों से युद्ध जैसा नृत्य कर रहे हैं। यह दृश्य किसी विदेशी फिल्म का सीन नहीं, बल्कि संयुक्त अरब अमीरात की सदियों पुरानी परंपरा 'अल-आय्याला' है, जिसे 2014 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया था। लेकिन सवाल यह है कि आखिर यह अनोखा रिवाज क्या है, और ट्रम्प जैसे नेता के स्वागत में इसे क्यों चुना गया?

क्या है अल-आय्याला की ये अनूठी परंपरा?

अल-आय्याला यूएई और ओमान की एक पारंपरिक लोक कला है, जो युद्ध और बहादुरी की कहानी कहती है। इसमें पुरुष दो पंक्तियों में खड़े होकर बांस की छड़ियों (जो तलवार या तीर का प्रतीक हैं) से एक-दूसरे पर 'हमला' करते हैं, जबकि पीछे महिलाएं तेजी से बाल हिलाकर और ढोल-नगाड़ों की थाप पर जोश भरती हैं। यह नृत्य बेडौइन जनजाति की वीरता को दर्शाता है और आमतौर पर शादियों, राष्ट्रीय उत्सवों या विशेष अतिथियों के स्वागत में किया जाता है।

महिलाएं क्यों हिलाती हैं बाल?

वीडियो में दिख रही महिलाओं का बाल हिलाना कोई आकर्षण का तरीका नहीं, बल्कि इस नृत्य का अहम हिस्सा है। मान्यता है कि यह गति नृत्य की लय को तेज करती है और योद्धाओं का हौसला बढ़ाती है। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह प्राचीन अरब में महिलाओं द्वारा युद्ध के मैदान में पुरुषों को प्रोत्साहित करने की परंपरा से जुड़ा है। सफेद चोगा (पारंपरिक वस्त्र) और खुले बालों का संयोजन शुद्धता और स्वतंत्रता का प्रतीक भी माना जाता है।

ट्रम्प के लिए क्यों खास था यह स्वागत?

यूएई ने ट्रम्प के स्वागत में अल-आय्याला को इसलिए चुना क्योंकि यह देश की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। 2017 में ट्रम्प ने सऊदी अरब में 'अर्धा' नृत्य देखा था, लेकिन अल-आय्याला उससे भी विशिष्ट है। यह नृत्य न सिर्फ यूएई और अमेरिका के बीच हुए 200 अरब डॉलर के समझौतों की पृष्ठभूमि बना, बल्कि इस्लामिक दुनिया और पश्चिम के बीच सांस्कृतिक सेतु भी बन गया।

यूनेस्को की विश्व धरोहर होने के बाबजूद विवादों के घेरे में क्यों?

हालांकि यह परंपरा यूनेस्को की सूची में शामिल है, लेकिन कुछ रूढ़िवादी समूहों ने इसे 'इस्लामिक मूल्यों के खिलाफ' बताया है। उनका तर्क है कि महिलाओं का सार्वजनिक रूप से बाल हिलाना इस्लामी संहिता के अनुरूप नहीं है। लेकिन यूएई सरकार इसे अपनी समृद्ध विरासत का हिस्सा मानती है और इसे संरक्षित करने पर जोर देती है।

प्राचीन परंपरा का राजनीतिक मिलन

अल-आय्याला नृत्य ने ट्रम्प के दौरे को सांस्कृतिक ताने-बाने में पिरो दिया। यह वीडियो साबित करता है कि खाड़ी देश अपनी परंपराओं को बचाने के साथ-साथ उन्हें वैश्विक मंच पर भी प्रदर्शित कर रहे हैं। फिर चाहे वह सफेद चोगे में महिलाओं का बाल हिलाना हो या पुरुषों का युद्ध नृत्य।यह परंपरा आज भी जिंदा है, और शायद यही कारण है कि यह वीडियो इतना वायरल हुआ।

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