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टैरिफ मामले में ट्रंप को मिली अस्थायी राहत, लेकिन हार्वर्ड को लेकर कोर्ट ने दे दिया दूसरा झटका!

ट्रंप को टैरिफ मामले में कोर्ट से राहत मिली, लेकिन हार्वर्ड पर बैन को कोर्ट ने खारिज किया। क्या अदालतें ट्रंप की नीतियों पर लगाम कसेंगी?
10:35 AM May 30, 2025 IST | Rohit Agrawal
ट्रंप को टैरिफ मामले में कोर्ट से राहत मिली, लेकिन हार्वर्ड पर बैन को कोर्ट ने खारिज किया। क्या अदालतें ट्रंप की नीतियों पर लगाम कसेंगी?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए बीते दिन दो बड़े फैसले सामने आए। एक तरफ जहां टैरिफ मामले में उन्हें अपील कोर्ट से अस्थायी राहत मिली, वहीं दूसरी तरफ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विदेशी छात्रों पर बैन लगाने के उनके फैसले को फेडरल कोर्ट ने फिर से खारिज कर दिया। ये दोनों मामले ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट" नीति की परीक्षा हैं, लेकिन अदालतों की ओर से मिल रही मिली-जुली प्रतिक्रिया से साफ है कि ट्रंप का हर फैसला कानूनी रूप से चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। क्या ट्रंप अपनी आक्रामक नीतियों को जारी रख पाएंगे, या फिर अदालती रोक उनके राजनीतिक एजेंडे को धीमा कर देगी?

टैरिफ को लेकर ट्रंप को कैसे मिली राहत?

अपील कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन को टैरिफ मामले में बड़ी राहत देते हुए ट्रेड कोर्ट के पिछले फैसले पर रोक लगा दी है। इसका मतलब यह है कि ट्रंप द्वारा 2 अप्रैल को लगाए गए "रिसिप्रोकल टैरिफ" (पारस्परिक शुल्क) फिलहाल लागू रहेंगे।

 

ट्रंप ने इस टैरिफ को "लिबरेशन डे" (मुक्ति दिवस) का नाम दिया था, क्योंकि उनका मानना है कि यह कदम अमेरिकी व्यापार को अनुचित प्रतिस्पर्धा से बचाएगा। ट्रंप प्रशासन ने दलील दी थी कि अगर टैरिफ हटाए गए तो अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होगा। हालांकि, अदालत ने अभी अपना अंतिम फैसला सुरक्षित रखा है और दोनों पक्षों को जून तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी मामले में लगा ट्रंप को झटका

जहां एक ओर ट्रंप को टैरिफ मामले में जीत मिली, वहीं दूसरी ओर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी केस में उन्हें दूसरी हार का सामना करना पड़ा। 29 मई को एक फेडरल कोर्ट ने फैसला सुनाया कि ट्रंप प्रशासन विदेशी छात्रों के एडमिशन पर लगाए गए बैन को लागू नहीं कर सकता। यह फैसला तब आया है जब हार्वर्ड ने ट्रंप के इस आदेश को "अमेरिकी शिक्षा प्रणाली के लिए खतरा" बताते हुए चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि जब तक मामले की पूरी सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक बैन पर रोक जारी रहेगी। यह ट्रंप के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि वह लंबे समय से हार्वर्ड को "लिबरल एजेंडा का गढ़" बताकर उसकी आलोचना करते रहे हैं।

क्या ट्रंप की आक्रामक नीतियां अदालती चुनौतियों में फंस जाएंगी?

इन दोनों मामलों से साफ होता है कि ट्रंप की नीतियों को लेकर अदालतों में लगातार चुनौतियां दी जा रही हैं। टैरिफ मामले में अभी भी अंतिम फैसला बाकी है, और हार्वर्ड केस में ट्रंप की हार से उनकी "विदेशी छात्रों पर नियंत्रण" की रणनीति को झटका लगा है। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में जितनी तेजी से नीतियां बनाने की कोशिश कर रहे हैं, उतनी ही तेजी से उन्हें कानूनी लड़ाइयों का सामना करना पड़ रहा है। क्या नवंबर में होने वाले चुनावों से पहले ट्रंप इन मोर्चों पर सफलता हासिल कर पाएंगे?

क्या ट्रंप का 'अमेरिका फर्स्ट' एजेंडा अदालतों की भेंट चढ़ जाएगा?

ट्रंप की नीतियों पर अदालती फैसलों का सिलसिला जारी है, और यह साफ है कि उनके हर कदम को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। टैरिफ मामले में अस्थायी राहत मिलने से उन्हें कुछ समय तो मिल गया है, लेकिन हार्वर्ड केस में हार ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया है। अब सवाल यह है कि क्या ट्रंप इन कानूनी लड़ाइयों में जीत हासिल कर पाएंगे, या फिर उनका "अमेरिका फर्स्ट" का सपना अदालती फैसलों की भेंट चढ़ जाएगा? अगले कुछ हफ्तों में इन मामलों में होने वाले फैसले ट्रंप की राजनीतिक ताकत को नए सिरे से परिभाषित कर सकते हैं।

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