'हमले तो ट्रंप ने रुकवाए, मगर उनका नाम तक नहीं लिया'... PM मोदी की स्पीच पर विदेशी मीडिया ने क्या कहा?
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-पाक तनाव पर राष्ट्र को संबोधित किया, तो अंतरराष्ट्रीय मीडिया की नजरें भी उनके हर शब्द पर टिकी थीं। बता दें कि विदेशी प्रेस ने मोदी के 'न्यू नॉर्मल' वक्तव्य और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को क्रेडिट न देने के सोची-समझी रणनीतिक फैसले को खासतौर पर नोट किया। जबकि पाकिस्तानी मीडिया 'युद्ध की धमकी' का नैरेटिव बना रहा था, पश्चिमी अखबारों ने भारत की दृढ़ स्टैंड को सैल्यूट किया है। आइए जानते हैं कि दुनिया ने कैसे देखा PM मोदी का यह ऐतिहासिक संबोधन...
'जापान टाइम्स' की रिपोर्ट: ट्रंप को दरकिनार कर मोदी ने गढ़ा 'न्यू नॉर्मल'
जापान के प्रतिष्ठित अखबार 'जापान टाइम्स' ने अपनी रिपोर्ट में खासतौर पर उस हिस्से को हाइलाइट किया जहां PM मोदी ने कहा था कि "आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई अब न्यू नॉर्मल है"। अखबार ने लिखा कि मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब किसी भी आतंकी घटना का मजबूती से जवाब देगा। रिपोर्ट में यह भी नोट किया गया कि PM मोदी ने अपने पूरे संबोधन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कोई जिक्र नहीं किया, जबकि ट्रंप ने सीजफायर का पूरा श्रेय लेने की कोशिश की थी। इससे भारत की उस नीति को बल मिलता है जो कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय रखना चाहती है।
भारत ने दिखाई रणनीतिक परिपक्वता: 'द गार्डियन'
ब्रिटिश अखबार 'द गार्डियन' ने अपनी रिपोर्ट में PM मोदी के उस बयान पर फोकस किया जहां उन्होंने कहा था कि "भारत ने सैन्य कार्रवाई केवल रोकी है, समाप्त नहीं की"। अखबार ने इसे भारत की सोची-समझी रणनीति बताया जो पाकिस्तान को यह संदेश देती है कि कोई भी उकसावे का जवाब मिलेगा। रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया कि जहां ट्रंप और पाकिस्तानी अधिकारी सीजफायर का श्रेय अमेरिका को दे रहे थे, वहीं मोदी ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ने ही बातचीत की पहल की थी। इससे भारत की उस छवि को बल मिलता है जो अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के बजाय सीधे कार्रवाई में विश्वास रखती है।
'युद्ध की धमकी' से लेकर 'ट्रंप वंदना' तक: पाक मीडिया का ड्रामा
पाकिस्तानी चैनल 'समा टीवी' ने अपनी हेडलाइन में दावा किया कि "मोदी ने फिर से पाकिस्तान को युद्ध की धमकी दी"। चैनल ने PM के उस बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जहां उन्होंने कहा था कि ऑपरेशन रुका है, खत्म नहीं हुआ।
दूसरी ओर, पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' ने सीजफायर का पूरा क्रेडिट ट्रंप को देने की कोशिश की और लिखा कि "ट्रंप ने परमाणु युद्ध रोक दिया"। यह पाकिस्तानी मीडिया की उस मानसिकता को दिखाता है जो हर मौके पर अमेरिकी हस्तक्षेप की कामना करती है, जबकि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह द्विपक्षीय रास्ते पर चलना पसंद करेगा।
अमेरिकी प्रेस 'वॉशिंगटन पोस्ट' ने नोट किया मोदी का अंदाज
'वॉशिंगटन पोस्ट' ने अपनी रिपोर्ट में PM मोदी के उस संदेश को केंद्र में रखा जहां उन्होंने कहा था कि "आतंकवाद और बातचीता एक साथ नहीं चल सकते"। अखबार ने लिखा कि मोदी ने बहुत ही सधे हुए अंदाज में पाकिस्तान को यह संदेश दिया कि भविष्य में कोई भी वार्ता केवल आतंकवाद और PoK के मुद्दे पर ही हो सकती है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि भारतीय प्रधानमंत्री ने जानबूझकर ट्रंप की मध्यस्थता का कोई जिक्र नहीं किया, जो भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को दर्शाता है। 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने भी इस बात को नोट किया कि मोदी ने पाकिस्तान में 'स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म' के सबूत पेश किए।
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