भारत-पाक सीजफायर पर ट्रंप का छठा यू–टर्न! बोले – “न्यूक्लियर जंग मैंने टाली, मगर तालियां कोई और लूट ले गया”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक बार फिर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में अहम भूमिका निभाई थी, और दोनों देश N-वर्ड (परमाणु युद्ध) के बेहद करीब पहुंच गए थे। लेकिन क्या वाकई ट्रम्प ने यह कारनामा किया था? या फिर यह उनकी एक और बयानबाजी है, जिसका भारत-पाकिस्तान के बीच हुए ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर से कोई लेना-देना नहीं है?
6 दिन में 6 बार पलट गए पलटूराम ट्रंप?
10 मई: "मैंने सीजफायर कराया"
ट्रम्प ने अपने पहले बयान में दावा किया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में मध्यस्थता की थी। उन्होंने कहा कि"भारत और पाकिस्तान सीजफायर के लिए राजी हो गए हैं। मैं दोनों देशों को कॉमनसेंस, समझदारी से भरा फैसला लेने के लिए बधाई देता हूं।"
11 मई: "कश्मीर मुद्दे पर हल निकालूंगा"
अगले दिन, ट्रम्प ने अपने बयान को और बढ़ाते हुए कहा कि वह कश्मीर विवाद का स्थायी समाधान निकालेंगे: "मुझे भारत और पाकिस्तान की मजबूत लीडरशिप पर बहुत गर्व है... यह तनाव लाखों लोगों की मौत का कारण बन सकता था।"
12 मई: "मैंने परमाणु युद्ध रोका"
इस दिन ट्रम्प ने सबसे विवादास्पद दावा किया: "मैंने परमाणु जंग रोक दी है। दोनों देशों के पास बहुत सारे परमाणु हथियार हैं, इससे एक भीषण जंग छिड़ सकती थी।
13 मई: "बिजनेस से शांति कराई"
अब ट्रम्प ने अपनी "बिजनेस डील" वाली थ्योरी पेश की: "मैंने काफी हद तक बिजनेस का इस्तेमाल किया। मेरा सबसे बड़ा सपना शांति स्थापित करने का है।"
15 मई: "मैंने सिर्फ मदद की, मध्यस्थता नहीं की"
अंत में, ट्रम्प ने अपने ही दावों से पलटी मारते हुए कहा: "मैंने मध्यस्थता नहीं कराई, लेकिन मैंने मदद की है। ये पक्का है कि पिछले हफ्ते जो हुआ, मैंने उसे सेटल करने में मदद की।
परमाणु युद्ध का दावा: क्या वाकई भारत-पाक इतने करीब थे?
ट्रम्प ने दावा करते हुए कहा कि हालात बहुत गंभीर हो गए थे। अगला कदम क्या होता, आप जानते हैं... 'N वर्ड'। लेकिन भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह दावा पूरी तरह से निराधार है। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर सटीक स्ट्राइक की थी, लेकिन परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कभी भी विकल्प नहीं था। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी खुद स्वीकार किया था कि भारतीय मिसाइलों ने नूरखान एयरबेस को निशाना बनाया था, लेकिन उन्होंने भी परमाणु युद्ध की कोई बात नहीं की।
क्या ट्रम्प ने वाकई सीजफायर कराया?
ट्रम्प ने अपने इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने "बिजनेस का इस्तेमाल करके शांति स्थापित की" और भारत-पाकिस्तान को "ट्रेड का प्रस्ताव देकर जंग रोकने के लिए राजी किया।" लेकिन दिलचस्प बात यह है कि भारत सरकार ने कभी भी ट्रम्प की मध्यस्थता की पुष्टि नहीं की। वास्तव में, ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुए सीजफायर का श्रेय भारतीय सैन्य कूटनीति को जाता है, न कि ट्रम्प को। क्या यह ट्रम्प की उसी आदत का हिस्सा है, जहां वह अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपनी भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं?
क्या ट्रम्प को मिला क्रेडिट?
भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीजफायर को अपनी सैन्य सफलता बताया था, न कि किसी बाहरी मध्यस्थता का नतीजा। वहीं, पाकिस्तान ने भी ट्रम्प के दावों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। कांग्रेस ने तो सीधे कहा कि सरकार ने शशि थरूर को विदेश भेजकर पाकिस्तान की पोल खोली।
क्या सेल्फ मार्केटिंग कर रहे हैं ट्रम्प?
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने कार्यकाल में कई बार अतिशयोक्तिपूर्ण दावे किए हैं। भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर उनका यह बयान भी उसी कड़ी में लगता है। सच यह है कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया था, और सीजफायर भारतीय रणनीति का हिस्सा था, न कि ट्रम्प की "बिजनेस डील" का नतीजा। फिलहाल, ट्रम्प के इन दावों को उनकी "सेल्फ-मार्केटिंग" से ज्यादा कुछ नहीं माना जा रहा है।
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