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अमेरिकी डीप स्टेट और पाकिस्तान के बीच हो रही ये बड़ी डील, क्या है इसके पीछे की वजह?

जेंट्री थॉमस बीच नाम का इन्वेस्टर पाकिस्तान जाकर सोने की डील कर रहा है, ट्रंप से करीबी बताकर विदेशी नेताओं से मीटिंग कर रहा है।
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भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे टेंशन के बीच एक नाम बार-बार सुनने को मिल रहा है – जेंट्री थॉमस बीच। अब लोग पूछ रहे हैं कि ये बंदा है कौन? असल में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को लेकर कुछ बयान दिए, तो उसी के बाद जेंट्री का नाम चर्चा में आ गया। कहा जा रहा है कि जेंट्री थॉमस बीच टेक्सास का एक इन्वेस्टर है और ट्रंप जूनियर का कॉलेज वाला दोस्त भी रह चुका है।

कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि जेंट्री शुरू से ही पाकिस्तान, तुर्की और बांग्लादेश जैसे देशों से जुड़े मामलों में एक्टिव रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि जब ट्रंप राष्ट्रपति बने, तो उनके शपथ लेने के सिर्फ 10 दिन बाद यानी 30 जनवरी को जेंट्री पाकिस्तान के इस्लामाबाद में देखा गया।

बताया जा रहा है कि वो खुद को ट्रंप का "करीबी" बताता है। और इसी करीबी का इस्तेमाल करते हुए उसने पाकिस्तान में कुछ संभावित इन्वेस्टरों की टीम के साथ एंट्री मारी थी। ये टीम "वाइट ब्रिज ग्लोबल" नाम की कंपनी के नाम पर वहां गई थी।

पाकिस्तान अमेरिका के बीच गोल्ड डील

पाकिस्तान की मीडिया में खूब चर्चा हो रही है कि अमेरिका के एक बड़े अफसर बीच ने पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि बीच ने कहा – "अमेरिका को पाकिस्तान की बहुत फिक्र है।" उन्होंने पाकिस्तान को अमेरिका का फ्रंट फेस यानी सामने वाला चेहरा बताया, और कराची और इस्लामाबाद की तस्वीर बदल देने का वादा भी किया। साथ ही अरबों डॉलर की इनवेस्टमेंट का भी झांसा दिया।

बीच ने एक बड़ी डील की भी तैयारी कर ली है। खबरों के मुताबिक, वो पाकिस्तान की कंपनी एपेक्स एनर्जी के साथ मिलकर एक सोने की डील साइन कर रहे हैं। इस डील में सिंधु नदी के किनारे मिले सोने यानी ‘प्लेसर गोल्ड’ को निकालने और डेवलप करने की बात हो रही है।

पाकिस्तान के रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस सोने की कीमत करीब 50 ट्रिलियन डॉलर हो सकती है। साल की शुरुआत में पाकिस्तान की नेशनल इंजीनियरिंग सर्विसेज ने भी दावा किया था कि अटक इलाके में सिंधु नदी के पास उन्हें एक बहुत बड़ा प्लेसर गोल्ड ब्लॉक मिला है, जिसकी वैल्यू 80 हजार करोड़ रुपये बताई गई थी।

पाकिस्तान और अमेरिका मिलकर निकालेंगे सोना 

असल में ये सोना हिमालय की पहाड़ियों से बहकर आता माना जाता है। लेकिन इसे नदी से निकालना कोई आसान काम नहीं है। इसी वजह से पाकिस्तान को भी अमेरिकी कंपनियों की मदद लेनी पड़ रही है। यहां तक कि पाक सरकार ने अमेरिका के डिफेंस डिपार्टमेंट वाले ट्रस्टेड पार्टनर प्रोग्राम में शामिल होने के लिए कुछ खास खदानों की मिलकर खुदाई करने की बात भी कही थी।

भारत के दुश्मनों से बना रहा रिश्ते

बीच सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, बांग्लादेश और तुर्किये का भी दौरा कर चुके हैं। पाकिस्तान से निकलकर वो सीधे ढाका पहुंचे, जहां उन्होंने बांग्लादेश के बड़े अफसरों से मुलाकात की — जैसे कि वहां के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, जमात-ए-इस्लामी के नेता और बांग्लादेश इन्वेस्टमेंट डेवलपमेंट अथॉरिटी के अधिकारी। बातचीत में उन्होंने साफ किया कि उन्हें बांग्लादेश के ऊर्जा और खनिज सेक्टर में पैसा लगाना है।

इसके बाद उनकी कंपनी, वाइट ब्रिज ग्लोबल ने तुर्किये की टेरा होल्डिंग्स नाम की कंपनी के साथ मिलकर दुबई में एक बड़ी डील कर ली। डील फिफ्टी-फिफ्टी पार्टनरशिप में हुई। अब जब भारत इन देशों के साथ पहले से ही तनाव में है, तो ट्रंप के नजदीकी किसी शख्स का वहां जाकर इस तरह की मीटिंग्स करना, सबका ध्यान खींच रहा है।

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