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ट्रंप का अकाउंट बंद करना फेसबुक के मालिक जुकरबर्ग को पड़ा भारी, देना पड़ा 25 मिलियन डॉलर

मेटा को ट्रंप के फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट सस्पेंड करने के बाद 25 मिलियन डॉलर (216 करोड़ रुपये) का भुगतान करना पड़ा है।
06:22 PM Jan 30, 2025 IST | Girijansh Gopalan
मेटा को ट्रंप के फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट सस्पेंड करने के बाद 25 मिलियन डॉलर (216 करोड़ रुपये) का भुगतान करना पड़ा है।
ट्रंप का फेसबुक अकाउंट सस्पेंड करने पर जुकरबर्ग को पड़ा महंगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट को सस्पेंड करने का फैसला मेटा के लिए काफी महंगा साबित हुआ। ट्रंप ने इसके खिलाफ मुकदमा दायर किया था और अब इस मामले का निपटारा करने के लिए मेटा को 25 मिलियन डॉलर (करीब 216 करोड़ रुपये) का भुगतान करना पड़ा है।

मेटा और ट्रंप के बीच विवाद का अंत

6 जनवरी 2021 को यूएस कैपिटल पर हुए हमले के बाद ट्रंप का फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया था। ट्रंप ने इसे अपने विचारों को दबाने की साजिश बताया था और उन्होंने फेसबुक की आलोचना की थी। अब, मेटा ने ट्रंप के खिलाफ दायर किए गए मुकदमे का निपटारा करने के लिए 25 मिलियन डॉलर (216 करोड़ रुपये) का भुगतान करने पर सहमति जताई है। यह भुगतान ट्रंप की राष्ट्रपति लाइब्रेरी के वित्तपोषण में जाएगा, जबकि बाकी का अमाउंट कानूनी खर्चों को कवर करेगा। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, इस समझौते को ट्रंप की जीत के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि उन्हें यह समझौता मेटा से मिली कानूनी जीत के रूप में माना जा रहा है।

कैसे हुआ मेटा का ट्रंप से विवाद?

2021 में, ट्रंप समर्थकों ने यूएस कैपिटल पर हमला किया था, जिसके बाद फेसबुक और इंस्टाग्राम ने ट्रंप के अकाउंट्स को सस्पेंड कर दिया था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के इस कदम पर ट्रंप ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने यह आरोप लगाया कि सोशल मीडिया कंपनियां उनके विचारों को दबा रही हैं और उन्हें सजा दे रही हैं। इसके बाद, ट्रंप ने फेसबुक और इंस्टाग्राम के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जिसमें उनका दावा था कि उन्हें बिना किसी कारण सेंसर किया गया। अब, इस मुकदमे का निपटारा मेटा ने 25 मिलियन डॉलर का भुगतान करके किया है। ट्रंप को मिली यह राशि मेटा के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई है, लेकिन मेटा ने इसे अंततः अपनी गलती स्वीकारते हुए इस विवाद को सुलझाने का तरीका अपनाया है।

फेसबुक और ट्रंप के रिश्ते में बदलाव

जब ट्रंप का अकाउंट सस्पेंड किया गया था, तब फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने बयान दिया था कि यह कदम लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा करने के लिए उठाया गया था। लेकिन अब यह देखा जा रहा है कि जुकरबर्ग और ट्रंप के रिश्ते में बदलाव आ चुका है। हाल ही में, जुकरबर्ग ने ट्रंप के राष्ट्रपति पद के उद्घाटन समारोह में भाग लिया, जो कि दोनों के बीच दोस्ती की नई शुरुआत को दर्शाता है। पिछले हफ्ते, जुकरबर्ग और एक्स (पूर्व ट्विटर) के मालिक एलन मस्क ने ट्रंप के साथ मिलकर सोशल मीडिया पर अपनी स्थिति मजबूत करने के बारे में चर्चा की थी। यह दिखाता है कि ट्रंप और टेक दिग्गजों के बीच रिश्ते अब ज्यादा सौहार्दपूर्ण हो सकते हैं।

मेटा ने पहले भी किए हैं भुगतान

यह पहली बार नहीं है जब मेटा को ट्रंप से जुड़े कानूनी मामलों में पैसे का भुगतान करना पड़ा हो। इससे पहले दिसंबर 2023 में, मेटा को ट्रंप के खिलाफ दायर किए गए एक मानहानि मुकदमे में 15 मिलियन डॉलर का भुगतान करना पड़ा था। यह मुकदमा ABC न्यूज पर दायर किया गया था, जिसमें चैनल के एंकरों द्वारा ट्रंप के बारे में की गई टिप्पणियों को लेकर मानहानि का आरोप लगाया गया था।

जुकरबर्ग और ट्रंप के बीच चुनावी समर्थन

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान, ट्रंप को जुकरबर्ग और मस्क जैसे बड़े कारोबारी दिग्गजों का समर्थन मिला था। ट्रंप ने अमेरिकी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए कई वादे किए थे, जिसके बाद कारोबारियों ने उनका समर्थन किया था। इस चुनावी समर्थन ने जुकरबर्ग और ट्रंप के रिश्तों को और मजबूत किया, जिससे ट्रंप के साथ उनकी दोस्ती बढ़ी।

क्या है ट्रंप और टेक कंपनियों का रिश्ते का भविष्य?

इस पूरे मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिकी राजनीति और टेक कंपनियों के बीच रिश्ते कैसे बदल सकते हैं। जब कोई नेता जैसे ट्रंप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सेंसरशिप के आरोप लगाता है, तो इसका असर सिर्फ राजनीतिक ही नहीं, बल्कि व्यापारिक दृष्टिकोण से भी होता है। मेटा के लिए यह मामला एक सबक हो सकता है, क्योंकि अब तक यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं था कि सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी नीतियों को लेकर कितनी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। अब, यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप और टेक कंपनियों के बीच भविष्य में कैसे रिश्ते बनते हैं। जुकरबर्ग और मस्क जैसे टेक दिग्गजों के ट्रंप के साथ मिलकर काम करने से यह संकेत मिलता है कि टेक कंपनियों और अमेरिकी नेताओं के बीच का यह रिश्ता आगे बढ़ सकता है।

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