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सिंधु नदी पर बन रही नहरों पर मचा है भारी बबाल, क्यों पाकिस्तान के सिंध प्रांत में उबल रहा है आक्रोश?

सिंधु नदी पर नई नहरों के खिलाफ सिंध में विरोध तेज़, लोग बोले—सेना और पंजाब सरकार हमारा पानी छीन रही, प्रांत का अस्तित्व खतरे में।
04:43 PM May 02, 2025 IST | Rohit Agrawal

सिंधु नदी के पानी को लेकर पाकिस्तान में एक नया संकट पैदा हो गया है। सिंध प्रांत के लाखों लोग सड़कों पर उतरकर सरकार की महत्वाकांक्षी नहर परियोजनाओं के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। यह विवाद तब और गहरा गया जब पता चला कि इन परियोजनाओं में पाकिस्तानी सेना का सीधा हाथ है। 3.3 बिलियन डॉलर की इस 'ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव' के तहत सिंधु नदी पर पांच और सतलुज पर एक नई नहर बनाई जानी है, जिससे सिंध प्रांत को अपने हिस्से का पानी नहीं मिल पाएगा।

क्या है पूरा मामला..सेना को क्यों देना पड़ा दखल?

पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने इस साल फरवरी में 'चोलिस्तान परियोजना' का उद्घाटन किया था। इस परियोजना का मकसद दक्षिण पंजाब के चोलिस्तान क्षेत्र में 4.8 मिलियन एकड़ बंजर जमीन को उपजाऊ बनाना है। लेकिन सिंध प्रांत के लोगों का आरोप है कि इससे उनके हिस्से का पानी छिन जाएगा। सिंध विधानसभा ने तो मार्च में ही इस परियोजना के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया था। अब स्थिति यह है कि पिछले 14 दिनों से सिंध के लोग सड़कों पर हैं और नेशनल हाइवे को ब्लॉक कर दिया है।

 

क्यों खतरे में है सिंध प्रांत का अस्तित्व?

सिंधु नदी पाकिस्तान की जीवनरेखा है जो देश के 80% सिंचाई और 90% खाद्य उत्पादन का स्रोत है। विशेषज्ञों के मुताबिक सिंध प्रांत को पहले से ही आवंटित पानी से 20% कम मिल रहा है। नई नहरों के बन जाने से यह संकट और गहरा जाएगा। सिंध के किसानों का कहना है कि पानी की कमी से उनकी फसलें बर्बाद हो जाएंगी और इलाके की मिट्टी बंजर हो जाएगी। यही वजह है कि प्रदर्शनकारी 'परियोजना स्थगन तक आंदोलन जारी रखने' की घोषणा कर चुके हैं। कराची बंदरगाह से माल की आवाजाही ठप पड़ गई है और लगभग एक लाख ट्रक राजमार्गों पर फंसे हुए हैं।

भारत के निलंबन के बाद पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ीं

यह विवाद तब और जटिल हो गया जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। पाकिस्तान पहले से ही इस निलंबन से परेशान था कि अब उसके सामने यह नया संकट खड़ा हो गया है। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह से मुलाकात करके इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करनी पड़ी।

लेकिन अब तक सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई है। पुलिस के बल प्रयोग और गिरफ्तारियों के बावजूद आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है।

क्या पाकिस्तानी सेना रोक रही है सिंध का पानी?

यह मामला पाकिस्तानी सेना के बढ़ते व्यावसायिक हितों को भी उजागर करता है। सेना न सिर्फ इस परियोजना में शामिल है बल्कि पाकिस्तान में रियल एस्टेट, विनिर्माण, एयरलाइंस से लेकर बैंकिंग तक कई क्षेत्रों में अपना प्रभुत्व जमाए हुए है। सिंध के लोगों का आरोप है कि सेना और पंजाब सरकार मिलकर उनके हिस्से का पानी छीन रही है। यह विवाद पाकिस्तान के संघीय ढांचे में गहरे दरार को भी दिखाता है जहां पंजाब का वर्चस्व और छोटे प्रांतों की उपेक्षा साफ देखी जा सकती है। अब सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान सरकार इस जल विवाद का कोई समाधान निकाल पाएगी या यह संकट और गहराता जाएगा?

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