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Signal Gate: ट्रंप के अधिकारी की गलती ने की खुफिया प्लानिंग लीक, अमरीका में मचा बवाल, जानिए सीक्रेट चैटग्रुप में क्या कुछ हुआ

NSA माइक वॉल्ट्ज ने बिना सोचे-समझे *The Atlantic* के एडिटर इन चीफ, जेफ्री गोल्डबर्ग को इस ग्रुप में शामिल कर लिया। गोल्डबर्ग ने जब देखा कि इस ग्रुप में हूती विद्रोहियों पर हमले की योजना बनाई जा रही थी, तो वह चौंक गए।
01:51 PM Mar 27, 2025 IST | Sunil Sharma
NSA माइक वॉल्ट्ज ने बिना सोचे-समझे *The Atlantic* के एडिटर इन चीफ, जेफ्री गोल्डबर्ग को इस ग्रुप में शामिल कर लिया। गोल्डबर्ग ने जब देखा कि इस ग्रुप में हूती विद्रोहियों पर हमले की योजना बनाई जा रही थी, तो वह चौंक गए।
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अमेरिका में एक नया विवाद सामने आया है जिसे 'Signal Gate' के नाम से जाना जा रहा है। ये विवाद डोनाल्ड ट्रंप की कैबिनेट से जुड़ा हुआ है, जहां एक बड़ी सुरक्षा चूक ने उनका युद्ध प्लान लीक कर दिया। यह घटना इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि इस दौरान अमेरिका के अहम मंत्रियों और अधिकारियों के बीच सिग्नल चैट एप पर गुप्त युद्ध योजनाओं की चर्चा हो रही थी, जो बाद में सार्वजनिक हो गई। तो आखिर क्या हुआ था और कैसे इस गलती ने ट्रंप को मुश्किल में डाल दिया?

Signal एप पर लीक हुआ यूएस सरकार का सीक्रेट युद्ध प्लान

आपको बता दें कि सिग्नल एक मैसेजिंग ऐप है जो अपनी सुरक्षा और गोपनीयता के लिए प्रसिद्ध है। यही वो एप था, जिस पर ट्रंप की कैबिनेट के 18 उच्च पदस्थ मंत्रियों ने एक ग्रुप बनाया था, जिसका नाम था *Houthi PC Small Group*। इस ग्रुप में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ, विदेश मंत्री मार्को रुबियो, NSA माइक वॉल्ट्ज, FBI चीफ काश पटेल और अन्य कई हाई-प्रोफाइल अधिकारी शामिल थे।

लेकिन यहां एक गलती हो गई—NSA माइक वॉल्ट्ज ने बिना सोचे-समझे *The Atlantic* के एडिटर इन चीफ, जेफ्री गोल्डबर्ग को इस ग्रुप में शामिल कर लिया। गोल्डबर्ग ने जब देखा कि इस ग्रुप में हूती विद्रोहियों पर हमले की योजना बनाई जा रही थी, तो वह चौंक गए। यह जानकारी बाद में गोल्डबर्ग ने सार्वजनिक कर दी, और इस गलती ने अमेरिका में बवाल मचाया।

ऐसे लीक हुआ खुफिया प्लान

जेफ्री गोल्डबर्ग ने खुलासा किया कि 11 मार्च को उन्हें एक कनेक्शन रिक्वेस्ट मिली, जो उन्हें पहले समझ में नहीं आई। जब उन्होंने इसे स्वीकार किया, तो उन्हें यह पता चला कि वह ट्रंप की कैबिनेट के एक गुप्त ग्रुप से जुड़े हैं। कुछ समय बाद, उन्होंने देखा कि इस ग्रुप में हूती विद्रोहियों पर हमले की योजना बनाई जा रही थी, जिसमें हमले की तारीख, स्थान और हथियारों (Signal Gate) का उल्लेख किया जा रहा था। गोल्डबर्ग के मुताबिक, 13 मार्च को उन्हें सूचित किया गया कि अगले 72 घंटों में पहला हमला होने वाला था। इस हमले की पूरी योजना, जैसे कि किन अधिकारियों को क्या करना था, कैसे और कब हमला किया जाएगा, यह सारी जानकारी इस ग्रुप में शेयर की जा रही थी।

सिग्नल चैट ग्रुप में हो रही थी ये बातें

इस ग्रुप में हो रही बातचीत से साफ होता है कि युद्ध की योजना बहुत ही सीक्रेट तरीके से बनाई जा रही थी। माइक वॉल्ट्ज ने ग्रुप में लिखा, "हम हूती विद्रोहियों के खिलाफ ऑपरेशन को लेकर प्रिसिंपल ग्रुप बना रहे हैं। अगले 72 घंटों में पहला हमला होगा।" इस तरह की बातें न केवल चौंकाने वाली थीं, बल्कि यह भी दर्शाती थीं कि अमेरिकी अधिकारियों की सुरक्षा की चूक कितनी बड़ी हो सकती है। इसके बाद, इस ग्रुप में होने वाली बातचीत में, कई अधिकारियों ने अलग-अलग मुद्दों पर अपनी राय दी। जेडी वेंस ने यूरोप और अमेरिका के व्यापार के बारे में चिंता जताई, जबकि पीट हेगसेथ ने यूरोप के प्रति अपनी नफरत व्यक्त की।

हमले के बाद की प्रतिक्रिया भी आई सामने

यमन में हूती विद्रोहियों पर हमले के बाद, ग्रुप (Signal Gate) में अधिकारी एक दूसरे को बधाई देते हुए दिखाई दिए। NSA माइक वॉल्ट्ज ने इमोजी भेजे—मुट्ठी, अमेरिकी झंडा और आग के प्रतीक, जो उनकी ताकत और गुस्से को दर्शाते थे। इसके बाद, अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने भी इमोजी भेजे, जिनमें बाइसेप्स और अमेरिकी झंडे शामिल थे, जो उनकी राजनीतिक ताकत को दिखाते थे।

पूरी घटना को लेकर ट्रंप ने कही यह बात

जब ट्रंप से इस पूरी घटना के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। साथ ही, उन्होंने The Atlantic को निशाने पर लेते हुए कहा कि वह उस पत्रिका के फैन नहीं हैं और उनके लिए यह पत्रिका जल्द ही बंद होने वाली है। अब चाहे सरकार इस पर कुछ भी कहे, लेकिन यह घटना अमेरिका में एक बड़े विवाद का कारण बनी है, क्योंकि एक गुप्त चैट ग्रुप में इतने महत्वपूर्ण मुद्दों की योजना बनाई जा रही थी और वह भी एक असुरक्षित मैसेजिंग ऐप पर। इस मामले ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या ट्रंप की कैबिनेट ने सही सुरक्षा उपायों का पालन किया था या नहीं। यह चूक ना केवल अमेरिका के भीतर, बल्कि पूरी दुनिया में चिंता का कारण बन गई है।

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