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केरल समुदाय ने दुबई में किया शाहिद अफरीदी का जोरदार स्वागत, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के खिलाफ उगला था जहर

भारत विरोधी बयान देने वाले शाहिद अफरीदी का दुबई में केरल समुदाय ने भव्य स्वागत किया। जानिए क्यों यह मामला सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है।
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पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शाहिद अफरीदी एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं, लेकिन इस बार वजह उनका भारत विरोधी बयान नहीं, बल्कि दुबई में केरल के एक समुदाय द्वारा किया गया उनका भव्य स्वागत है। यह वही अफरीदी हैं, जिन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना को "निकम्मा" बताकर तूफान खड़ा कर दिया था। अब सवाल यह है कि जिस शख्स ने भारत के खिलाफ जहर उगला, उसका भारतीयों द्वारा इतने जोश से स्वागत क्यों किया जा रहा है? क्या यह सिर्फ एक क्रिकेटर का सम्मान है या फिर देशद्रोह की सीमा को पार करने वाली घटना?

ऑपरेशन सिंदूर के बाद अफरीदी क्या बोले थे?

पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। इसके जवाब में शाहिद अफरीदी ने एक टीवी शो में भारतीय सेना को निशाना बनाते हुए कहा था, "तुम लोगों की 8 लाख की फौज कश्मीर में बैठी है और ये हमला हो गया? मतलब तुम निकम्मे हो, सुरक्षा तक नहीं दे सकते! यह बयान सुनते ही भारत में उनके खिलाफ आग भड़क उठी थी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि उसी अफरीदी को आज दुबई में भारतीयों का एक समूह फूल मालाओं से लाद रहा है। क्या यह भारतीयों की भावनाओं का अपमान नहीं है?

दुबई में केरल समुदाय ने आफरीदी का किया गर्मजोशी से स्वागत

दुबई में केरल के एक प्रवासी समुदाय ने शाहिद अफरीदी का भव्य स्वागत किया, जहां उन्होंने लोगों से मुलाकात की और केरल के व्यंजनों की तारीफ भी की। लेकिन यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर आते ही आग में घी का काम कर गईं। कई लोगों ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह उन शहीदों के साथ धोखा है, जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ते हुए अपनी जान गंवाई। वहीं, कुछ लोगों ने इसे सिर्फ "खेल और मनोरंजन" बताकर टालने की कोशिश की, लेकिन क्या वाकई खेल और देशद्रोह के बीच की लकीर इतनी धुंधली हो चुकी है?

क्या अफरीदी का सम्मान करना देश के शहीदों का अपमान है?

इस पूरे विवाद में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या एक ऐसे खिलाड़ी का सम्मान करना उचित है, जिसने भारतीय सेना और शहीदों के बलिदान को नीचा दिखाने की कोशिश की? अफरीदी ने न सिर्फ सेना बल्कि पूरे देश को निशाना बनाया था। ऐसे में उनका इस तरह स्वागत करना क्या भारतीयता को कमजोर करने वाला कदम नहीं है? कुछ लोगों का तर्क है कि खेल को राजनीति से अलग रखना चाहिए, लेकिन जब खिलाड़ी खुद राजनीति करने लगे, तो क्या यह तर्क वाजिब रह जाता है?

भारत-पाक तनाव को कैसे हवा देते रहे हैं अफरीदी?

शाहिद अफरीदी का यह विवाद कोई नया नहीं है। वह पहले भी कई बार भारत विरोधी बयान दे चुके हैं। लेकिन इस बार उनका दुबई में भारतीयों द्वारा किया गया स्वागत एक नया मोड़ लेकर आया है। यह घटना दिखाती है कि कुछ लोगों के लिए "मनोरंजन" देशभक्ति से ऊपर हो गया है। जबकि दूसरी ओर, यह विवाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को भी उजागर करता है। क्या अब समय आ गया है कि भारतीय अपने ही देश के दुश्मनों को पहचानें और उनका बहिष्कार करें?

shahid afridi controversial speech

क्या खेल और देशद्रोह के बीच की लकीर मिटती जा रही?

शाहिद अफरीदी का केरल समुदाय द्वारा किया गया स्वागत एक गंभीर मुद्दा है, जो हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम अपनी राष्ट्रीय एकता और सम्मान को खेल के नाम पर कुर्बान करने लगे हैं? अगर एक खिलाड़ी देश के खिलाफ जहर उगल सकता है और फिर भी उसका सम्मान हो सकता है, तो फिर उन शहीदों का क्या, जिन्होंने इस देश की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया? यह सवाल सिर्फ अफरीदी तक सीमित नहीं, बल्कि हर उस भारतीय के लिए है, जो देशद्रोह और मनोरंजन के बीच फर्क नहीं कर पा रहा।

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