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पाकिस्तान पर अमेरिका की मेहरबानी का खुला राज! सामने आई ट्रंप-असीम मुनीर की सीक्रेट डील

हाल के महीनों में आपने भी महसूस किया होगा कि अमेरिका कुछ ज़्यादा ही पाकिस्तान पर मेहरबान नजर आ रहा है। कभी आर्थिक मदद, तो कभी कूटनीतिक समर्थन। लेकिन सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या बदल गया? क्या कोई...
12:51 PM May 16, 2025 IST | Sunil Sharma
हाल के महीनों में आपने भी महसूस किया होगा कि अमेरिका कुछ ज़्यादा ही पाकिस्तान पर मेहरबान नजर आ रहा है। कभी आर्थिक मदद, तो कभी कूटनीतिक समर्थन। लेकिन सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या बदल गया? क्या कोई...

हाल के महीनों में आपने भी महसूस किया होगा कि अमेरिका कुछ ज़्यादा ही पाकिस्तान पर मेहरबान नजर आ रहा है। कभी आर्थिक मदद, तो कभी कूटनीतिक समर्थन। लेकिन सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या बदल गया? क्या कोई बड़ा राज छुपा हुआ था? अब इस रहस्य से पर्दा उठ चुका है। मामला सिर्फ कूटनीति का नहीं, बल्कि क्रिप्टोकरेंसी, फाइनेंशियल डील और ट्रंप फैमिली के निजी हितों का है। और इस पूरे खेल के केंद्र में हैं — पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर।

एक गुप्त सौदा, जिसने बदला समीकरण

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की एक बड़ी प्राइवेट क्रिप्टो फर्म 'वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल' और पाकिस्तान की एक नई गठित 'क्रिप्टो काउंसिल' के बीच हुआ एक बड़ा समझौता इस पूरे खेल की जड़ में है। इस डील में खास बात यह है कि इस कंपनी के पीछे है डोनाल्ड ट्रंप का परिवार। कंपनी में ट्रंप के बेटे एरिक, डोनाल्ड जूनियर और दामाद जैरेड कुश्नर की कुल 60% हिस्सेदारी है।

असीम मुनीर और ट्रंप का क्रिप्टो कनेक्शन

इस समझौते को अंतिम रूप देने के लिए अमेरिका से एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल इस्लामाबाद पहुंचा, जिसका नेतृत्व ज़ैकरी विटकॉफ़ ने किया — जो ट्रंप के पुराने व्यापारिक साथी और वर्तमान अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ के बेटे हैं। बताया जा रहा है कि इस प्रतिनिधिमंडल का सीधा स्वागत जनरल असीम मुनीर ने किया, और प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ भी इस बैठक में शामिल हुए। इसके बाद बंद कमरे में डील पर हस्ताक्षर किए गए।

डील की शर्तें क्या थीं?

संयुक्त प्रेस रिलीज़ के अनुसार, इस डील के तहत वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल को पाकिस्तान में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के तहत निम्न सुविधाएं दी जाएंगी।

पाकिस्तान की क्रिप्टो काउंसिल का कहना है कि वे इस्लामाबाद को "साउथ एशिया की क्रिप्टो कैपिटल" बनाना चाहते हैं।

सवाल खड़े क्यों हो रहे हैं?

इस डील की टाइमिंग बेहद संदेहास्पद मानी जा रही है। एक तरफ पहलगाम में आतंकी हमला और दूसरी तरफ भारत की सर्जिकल प्रतिक्रिया ऑपरेशन सिंदूर के बाद, अमेरिका की यह पाकिस्तान पर नरमी बहुत कुछ कहती है। इस पूरे सौदे को लेकर अब अमेरिकी प्रशासन और ट्रंप फैमिली पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि कंपनी ने प्रेस बयान में सफाई दी है कि "इस डील का कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है", मगर ट्रंप परिवार और असीम मुनीर की निकटता कई संदेहों को जन्म दे रही है।

पाकिस्तान को पहले झेलनी पड़ी थी अमेरिकी सख्ती

याद कीजिए ट्रंप का पिछला कार्यकाल — जब अमेरिका ने पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में डालते हुए आतंकवादियों को मिल रही फंडिंग रोक दी थी और और पाकिस्तान की आर्थिक रीढ़ तोड़ दी। पाकिस्तान उस वक्त कर्ज़ और महंगाई से बेहाल था। लेकिन अब वही अमेरिका, उसी पाकिस्तान के साथ क्रिप्टो पार्टनरशिप कर रहा है — वो भी ट्रंप फैमिली की निजी कंपनी के ज़रिए। इत्तेफाक... या कोई रणनीति?

मेहरबानी नहीं, स्वार्थ है?

अमेरिका की ‘दरियादिली’ के पीछे साफ तौर पर निजी आर्थिक और रणनीतिक फायदे छिपे हैं। पाकिस्तान को बचाकर शायद ट्रंप फैमिली अपने बिजनेस हितों की सुरक्षा कर रही है। और असीम मुनीर जैसे शक्तिशाली फिगर इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं। भारत के लिए यह संकेत है कि रणनीति सिर्फ बॉर्डर पर नहीं, बोर्डरूम में भी तय होती है।

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