Friday, July 25, 2025
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पनामा में फंसे 299 निर्वासित लोग, खिड़की से दिखाए मदद के प्लेकार्ड, भारतीय भी शामिल

पनामा में भारत, नेपाल, श्रीलंका समेत कई देशों के 299 लोग एक होटल में बंद हैं। उन्हें बाहर जाने की इजाजत नहीं है और यहीं से उन्हें वापस भेजा जाएगा।
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डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की पॉलिसी के तहत अमेरिका से निकाले गए 299 लोग इस समय पनामा में फंसे हुए हैं। इनमें ज्यादातर लोग एशियाई देशों से हैं। पनामा प्रशासन ने इन्हें एक होटल में रखा है, जहां से वे बाहर नहीं जा सकते। होटल में बंद ये लोग खिड़कियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं। कुछ ने 'हमारी मदद कीजिए' और 'हम अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं' लिखे प्लेकार्ड लहराए हैं।

पनामा प्रशासन का कहना है कि जब तक अंतरराष्ट्रीय अधिकारी इनकी स्वदेश वापसी का इंतज़ाम नहीं कर लेते, तब तक इन्हें होटल में ही रहना होगा। अधिकारियों के मुताबिक, 40% लोग अपने देश लौटना ही नहीं चाहते।

ज्यादातर लोग एशियाई देशों से 

पनामा के एक होटल में 299 प्रवासी ठहराए गए हैं, जिनमें ज्यादातर लोग एशियाई देशों जैसे ईरान, भारत, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन से हैं। अमेरिका को इन प्रवासियों को सीधे उनके देश भेजने में दिक्कत हो रही थी, इसलिए उसने पनामा को एक ट्रांजिट पॉइंट (अस्थायी पड़ाव) के रूप में इस्तेमाल किया। अब पनामा और अमेरिका के बीच हुए समझौते के तहत इन प्रवासियों को उनके देश वापस भेजा जाएगा।

अमेरिका-पनामा में प्रवासियों को लेकर समझौता

पनामा के सुरक्षा मंत्री फ्रैंक अब्रेगो ने बताया कि पनामा और अमेरिका के बीच एक समझौता हुआ है, जिसके तहत प्रवासियों को भोजन और जरूरी सुविधाएं दी जा रही हैं। इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की यात्रा के बाद इस समझौते की घोषणा हुई थी। इसके तहत पनामा सरकार अमेरिका से निर्वासित लोगों के लिए एक पारगमन देश के रूप में काम करने को तैयार हुई है। इस पूरी प्रक्रिया का खर्च अमेरिका उठा रहा है।

कुछ प्रवासी ऐसे देशों से हैं, जहां से अमेरिका सीधे उन्हें वापस नहीं भेज सकता। इसलिए पनामा को एक ट्रांजिट पॉइंट के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी तरह, अमेरिका प्रवासियों को कोस्टा रिका भी भेज सकता है।

इस बीच, पनामा में एक होटल में ठहराए गए निर्वासित प्रवासियों की मदद मांगती तस्वीरों ने हड़कंप मचा दिया है। होटल के कमरों की खिड़कियों से बाहर झांकते और मदद की गुहार लगाते प्रवासियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिससे पनामा सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

171 लोगों की होगी वापसी 

पनामा के मंत्री अब्रेगो ने सफाई दी कि वहाँ रुके लोग सिर्फ अपना होटल नहीं छोड़ना चाहते, लेकिन उन पर कोई जबरदस्ती नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि 299 निर्वासित लोगों में से 171 ने अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी की मदद से स्वेच्छा से अपने देश लौटने का फैसला किया है। जो लोग अभी वापस नहीं जाना चाहते, उन्हें अस्थायी रूप से दूर स्थित डेरियन प्रांत के एक सुविधा केंद्र में रखा जाएगा।

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