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'आतंकियों को पालना...इसमें कोई सीक्रेट नहीं', पाकिस्तान के काले कारनामों पर रक्षा मंत्री के बाद बिलावल भुट्टो का भी कुबूलनामा

बिलावल भुट्टो और ख्वाजा आसिफ ने माना—पाकिस्तान ने वर्षों आतंकवाद को दी शरण। भारत के आरोपों पर अब पाकिस्तान नेताओं की मुहर। क्या होगी कार्रवाई?
01:52 PM May 02, 2025 IST | Rohit Agrawal

पाकिस्तानी नेताओं के मुंह से एक के बाद एक आतंकवाद को लेकर ऐसे खुलासे हो रहे हैं जो दुनिया के सामने इस्लामाबाद की असली छवि उजागर कर रहे हैं। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने अब खुलेआम मान लिया है कि उनके देश का आतंकवाद को पनाह देने का लंबा इतिहास रहा है। यह शॉकिंग कबूलनामा उस समय आया है जब भारत पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरने में जुटा हुआ है।

क्या बोल गए भुट्टो जिसने उड़ा दिए पाकिस्तान के होश?

स्काई न्यूज को दिए इंटरव्यू में बिलावल भुट्टो ने जिस बेबाकी से पाकिस्तान के आतंकी इतिहास को स्वीकार किया, वह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भूचाल ला देने वाला है। "मुझे नहीं लगता कि यह बात सीक्रेट है कि पाकिस्तान का इतिहास रहा है। इसका नुकसान हमने भी उठाया है," यह कहते हुए भुट्टो ने अप्रत्यक्ष रूप से यह तो मान लिया कि उनका देश आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि अब उन्होंने इससे सबक लेकर सुधार किए हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई पाकिस्तान ने अपनी रणनीति बदली है?

भारत को धमकी और फिर आतंकी कबूलनामा

दिलचस्प बात यह है कि इस इंटरव्यू से ठीक पहले बिलावल भुट्टो ने मीरपुर खास में एक रैली में भारत को खुली धमकी दी थी। उन्होंने कहा था, "हम शांति चाहते हैं लेकिन अगर भारत ने सिंधु नदी पर हमला किया तो हमारी दहाड़ से सब बहरे हो जाएंगे।" यह बयान उनके ही कबूलनामे के बाद पूरी तरह से बेमानी लगता है। एक तरफ तो वे आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के इतिहास को स्वीकार कर रहे हैं, दूसरी तरफ भारत को युद्ध की धमकी दे रहे हैं। यह पाकिस्तान की उस दोहरी नीति को उजागर करता है जिसके तहत वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति की दुहाई देता है लेकिन आतंकवाद को समर्थन देने से पीछे नहीं हटता।

पाकिस्तानी नेताओं का आतंकी कन्फेशन

बता दें कि बिलावल भुट्टो का यह बयान पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के हालिया कबूलनामे के बाद आया है। आसिफ ने स्काई न्यूज को बताया था कि "पाकिस्तान ने अमेरिका और ब्रिटेन के लिए तीन दशक तक आतंकवाद का डर्टी वर्क किया। यह गलती थी और हमें इसकी कीमत चुकानी पड़ी।" उन्होंने यह भी कहा था कि अगर पाकिस्तान सोवियत संघ और 9/11 के बाद की लड़ाई में नहीं पड़ता तो उसका रिकॉर्ड साफ होता। ये दोनों ही बयान पाकिस्तान की उस रणनीति को बेनकाब करते हैं जिसके तहत वह आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का हथियार बनाता रहा है।

अब क्या होगा अंतरराष्ट्रीय समुदाय का रुख?

अब सवाल यह है कि क्या पाकिस्तानी नेताओं के इन कबूलनामों के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नींद टूटेगी? भारत लंबे समय से यह मांग करता रहा है कि पाकिस्तान को आतंकवाद के प्रायोजक देश के रूप में चिह्नित किया जाए। अब जबकि पाकिस्तान के ही नेताओं ने इस बात को स्वीकार कर लिया है, तो क्या FATF और UN जैसे संगठन पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे? विशेषज्ञों का मानना है कि ये खुलासे पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक अलग-थलग पड़ने का कारण बन सकते हैं। भारत ने पहले ही पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक मोर्चा खोल दिया है और अब ये कबूलनामे उसके हाथों को और मजबूत करेंगे।

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