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पाकिस्तान की डूबती नैया: कर्ज पर जिंदा मुल्क, विकास नहीं सिर्फ आतंक का निवेश

हर बार जब पाकिस्तान पर संकट के बादल मंडराते हैं, तो उसके हुक्मरान अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और मित्र देशों के दरवाजे खटखटाने लगते हैं। देश की खुद की कमाई हो या आत्मनिर्भरता, ये शब्द पाकिस्तान की नीतियों से कोसों दूर हैं।...
10:59 AM May 11, 2025 IST | Sunil Sharma
हर बार जब पाकिस्तान पर संकट के बादल मंडराते हैं, तो उसके हुक्मरान अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और मित्र देशों के दरवाजे खटखटाने लगते हैं। देश की खुद की कमाई हो या आत्मनिर्भरता, ये शब्द पाकिस्तान की नीतियों से कोसों दूर हैं।...

हर बार जब पाकिस्तान पर संकट के बादल मंडराते हैं, तो उसके हुक्मरान अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और मित्र देशों के दरवाजे खटखटाने लगते हैं। देश की खुद की कमाई हो या आत्मनिर्भरता, ये शब्द पाकिस्तान की नीतियों से कोसों दूर हैं। ताजा मामला एक बार फिर इस बात को साबित करता है।

भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद फिर रोया पाकिस्तान

भारत में हुए पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में जब भारतीय सेना ने सख्त कार्रवाई की, तो पाकिस्तान की हालत एक बार फिर बदहाल हो गई। नतीजा – चीन से लेकर IMF तक मदद की गुहार! हालांकि चीन इस बार खामोश रहा, लेकिन शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को फिर राहत की सौगात दे दी। IMF ने मौजूदा एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी के तहत पाकिस्तान को करीब 1 अरब डॉलर की अगली किस्त जारी करने की मंजूरी दे दी। यह सुनने में जितना बड़ा आंकड़ा लगता है, हकीकत उससे कहीं ज्यादा कड़वी है – पाकिस्तान अब तक 25 बार IMF से लोन ले चुका है। फिर भी न अर्थव्यवस्था सुधरी, न जनता की हालत।

IMF के पैसे से गरीबी नहीं, आतंकवाद पनपता है

दुनिया जानती है कि पाकिस्तान की जमीन से आतंकवाद की खेती होती है। लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों की खुली छूट ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा को खतरे में डाला है। ऐसे में IMF की तरफ से पाकिस्तान को मिल रही मदद पर भारत सहित कई देशों ने कड़ी आपत्ति जताई। भारत का साफ कहना है कि यह आर्थिक सहायता आतंकी संगठनों और ISI जैसी एजेंसियों को अप्रत्यक्ष फंडिंग देती है, जो भारत पर बार-बार हमले करने में लगे हैं। फिर भी IMF ने पाकिस्तान को राहत दी, और सवाल यही उठता है – आखिर कब तक?

आंकड़े बताते हैं – पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर पर है

पाकिस्तान की GDP करीब 350 अरब डॉलर है, जो भारत की 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के आगे नगण्य नजर आती है। IMF के रिकॉर्ड बताते हैं कि 1958 से अब तक पाकिस्तान ने 44.57 अरब डॉलर की स्वीकृत सहायता ली है, जिसमें से 28.2 अरब डॉलर उसे मिल चुके हैं। फिर भी हालात जस के तस हैं। इसमें सबसे बड़ा बेलआउट 2008 में 9.78 अरब डॉलर का था, जबकि सितंबर 2024 में ताजा 7.19 अरब डॉलर का लोन मंजूर किया गया था, जो अक्टूबर 2027 तक लागू रहेगा। पाकिस्तान इस समय IMF का पांचवां सबसे बड़ा कर्जदार है और उस पर 8.3 अरब डॉलर की देनदारी बाकी है।

विकास नहीं, वोट के लिए धर्म और आतंक

पाकिस्तान का मूल संकट आर्थिक नहीं, बल्कि मानसिकता का है। विकास पर खर्च करने की बजाय वहां के शासक कट्टरपंथ और आतंक पर निवेश करते हैं। जनता भूखी है, महंगाई चरम पर है, बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं तक लापता हैं, लेकिन सरकार को चिंता सिर्फ कश्मीर की है।

कब तक चलेगा यह 'कर्ज-युक्त पाकिस्तान मॉडल'?

25 बार कर्ज लेना किसी देश के लिए कोई गर्व की बात नहीं, यह उसकी नीतिगत नाकामी का सबूत है। IMF हो या ADB, जब तक पाकिस्तान इन पैसों का सही इस्तेमाल नहीं करता, तब तक कोई भी राहत स्थायी समाधान नहीं बन सकती। ऐसे में बहुत जरूरी है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा एक्शन लें।

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