'युद्ध भड़काकर पैसे कमाता है अमेरिका', वायरल हो रहे वीडियो में बोलते दिख रहे पाकिस्तानी मंत्री ख्वाजा आसिफ, क्या तिलमिला जाएंगे ट्रंप?
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक ऐसा बयान देकर सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया है, जिसे सुनकर अमेरिका के कान खड़े हो गए होंगे। दरअसल एक वायरल वीडियो में आसिफ ने सीधे अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कह दिया है कि "अमेरिका पिछले 100 साल से दुनिया भर में युद्ध भड़काकर अपने हथियार उद्योग को चमकाता रहा है!" उन्होंने दावा किया कि अमेरिका ने 260 युद्ध लड़े, जबकि चीन सिर्फ तीन में शामिल हुआ। यह बयान सिर्फ पाकिस्तान की ही नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति की उस कड़वी सच्चाई को उजागर करता है, जिस पर आमतौर पर पर्दा डाला जाता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान, जो खुद अमेरिका से F-16 जैसे हथियार खरीदता है, इस मामले में नैतिकता की लेक्चर देने का हकदार है?
कैसे संघर्षों से US कमाता है ट्रिलियन डॉलर?
ख्वाजा आसिफ ने अपने बयान में अमेरिका के हथियार उद्योग को "स्थापित कारोबार" बताया, जो युद्धों से पनपता है। उन्होंने अफगानिस्तान, सीरिया, लीबिया और मिस्र का उदाहरण देते हुए कहा कि ये देश कभी समृद्ध थे, लेकिन अमेरिकी हस्तक्षेप ने उन्हें तबाह कर दिया। आंकड़े भी उनके दावे का समर्थन करते हैं।
🚨HUGE: Pakistan Defence Minister Khawaja Asif says that US fuels war between two countries to sell weapon & make money.
Doland @realDonaldTrump ye sahi bol raha hai? pic.twitter.com/9HaTJKfnIl
— BALA (@erbmjha) May 24, 2025
अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा हथियार निर्यातक है, जिसका सालाना कारोबार 200 अरब डॉलर से अधिक है। लॉकहीड मार्टिन, बोइंग और रेथियॉन जैसी कंपनियां अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, और इनका मुनाफा सीधे युद्धों से जुड़ा है। लेकिन क्या यह सच्चाई पाकिस्तान के लिए भी लागू नहीं होती, जिसकी सेना और आतंकी गुट भी अमेरिकी हथियारों पर निर्भर हैं।
F-16 खरीदने वाला पाक अब US को क्यों दे रहा है सबक?
सोशल मीडिया पर आसिफ के बयान को लेकर मजेदार बहस छिड़ गई है। एक यूजर ने लिखा कि जब पाकिस्तान को F-16 चाहिए थे, तब तो अमेरिका 'दोस्त' था, अब जब हथियार मिलने के बाद काम निकल गया, तो वह 'शैतान' बन गया।दरअसल, बता दें कि पाकिस्तान ने अमेरिका से अब तक 70 से ज्यादा F-16 लड़ाकू विमान खरीदे हैं, और अरबों डॉलर की सैन्य सहायता ली है।
यही नहीं, आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी फंडिंग से ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चलती रही है। तो फिर, अचानक अमेरिका पर यह हमला क्यों? क्या यह पाकिस्तान का चीन की ओर झुकाव है, या फिर अमेरिकी दबाव से बचने की रणनीति?
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री के बयान के क्या हैं मायने?
आसिफ का बयान सच्चाई का एक पहलू तो दिखाता है, लेकिन पाकिस्तान की मंशा पर सवाल भी खड़े करता है। एक तरफ, पाकिस्तान अमेरिकी हथियारों पर निर्भर है, दूसरी तरफ, वह आतंकवाद को भी बढ़ावा देता रहा है। क्या यह बयान भारत-अमेरिका बढ़ते रिश्तों को निशाना बनाने की कोशिश है? या फिर पाकिस्तान अपनी असफलताओं का ठीकरा अमेरिका पर फोड़ रहा है? जबकि हकीकत यह है कि पाकिस्तान खुद कश्मीर और अफगानिस्तान में अशांति फैलाने का आरोपी रहा है।
क्या अमेरिका वाकई है 'युद्ध का सौदागर'?
अमेरिका पर युद्ध भड़काने के आरोप नए नहीं हैं। वियतनाम युद्ध से लेकर इराक तक, अमेरिका ने कई संघर्षों में हस्तक्षेप किया है, जिनमें उसके हथियार निर्माताओं को भारी मुनाफा हुआ। लेकिन क्या यह सिर्फ अमेरिका की समस्या है? रूस, चीन और फ्रांस जैसे देश भी हथियारों के बड़े निर्यातक हैं। असली सवाल यह है कि क्या दुनिया युद्ध के बिना चल सकती है? और अगर नहीं, तो फिर पाकिस्तान जैसे देशों को दूसरों पर उंगली उठाने का कोई हक नहीं।
क्या पाकिस्तान का बयान सिर्फ राजनीतिक दिखावा है?
ख्वाजा आसिफ का बयान भले ही सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा हो, लेकिन यह पाकिस्तान की उस दोहरी नीति को छुपा नहीं पाता, जिसमें वह एक तरफ अमेरिकी हथियार खरीदता है और दूसरी तरफ उसकी आलोचना करता है। अगर पाकिस्तान को वाकई शांति चाहिए, तो उसे पहले अपने घर में बैठे आतंकियों से निपटना होगा। वरना, यह बयान सिर्फ एक "मिर्ची लगाने" की नाकाम कोशिश भर है, जिससे अमेरिका के बजाय पाकिस्तान की ही छवि धूमिल होती है!
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