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नकलची पाकिस्तान! भारत की देखा-देखी अब PAK भी विदेश भेजेगा सांसदों की डेलिगेशन, बिलावल को सौंपी गई कमान…

पाकिस्तान ने भारत की तरह आतंकवाद पर वैश्विक मोर्चे की नकल की, लेकिन क्या दुनिया बिलावल और हिना के झूठे नैरेटिव पर भरोसा करेगी?
03:24 PM May 18, 2025 IST | Rohit Agrawal
पाकिस्तान ने भारत की तरह आतंकवाद पर वैश्विक मोर्चे की नकल की, लेकिन क्या दुनिया बिलावल और हिना के झूठे नैरेटिव पर भरोसा करेगी?

पाकिस्तान एक बार फिर भारत की "कॉपी पॉलिटिक्स" करता नजर आ रहा है। जिस तरह भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मोर्चा खोलने के लिए शशि थरूर, रविशंकर प्रसाद और असदुद्दीन ओवैसी जैसे बहुविध सांसदों की डेलिगेशन विदेश भेजने की घोषणा की, ठीक उसी फॉर्मूले को पाकिस्तान ने कॉपी कर लिया है! पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो अब एक प्रतिनिधिमंडल लेकर अमेरिका, यूरोप और रूस का दौरा करेंगे। सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान के पास आतंकवाद का पलटवार करने के लिए कोई तर्क है, या यह सिर्फ एक "डैमेज कंट्रोल" एक्सरसाइज है?

पाकिस्तानी टीम में कौन-कौन?

बिलावल भुट्टो: पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के युवा नेता, जिनके भाषण अक्सर भारत-विरोधी रंग दिखाते हैं।

हिना रब्बानी खार: वही पूर्व विदेश मंत्री, जिन्होंने भारत के साथ बातचीत के दौरान "कश्मीर" का राग अलापा था।

खुर्रम दस्तगीर खान: पाकिस्तानी सेना के समर्थक माने जाने वाले पूर्व रक्षा मंत्री।

इन नेताओं का एजेंडा साफ है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरना और पाकिस्तान की "पीड़ित" छवि गढ़ना। लेकिन क्या दुनिया अब भी उनके झूठे नैरेटिव में फंसेगी?

क्या है भारत का स्पष्ट रुख?

भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले ही साफ कर दिया है कि पाकिस्तान से बातचीत का सिर्फ एक ही एजेंडा होगा। आतंकवाद बंद करो और POK (पाक-अधिकृत कश्मीर) वापस लौटाओ। सिंधु जल संधि जैसे मुद्दे भी तब तक गौण हैं, जब तक पाकिस्तान आतंक के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता।

क्या पाकिस्तान की यह चाल काम करेगी?

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था डूब रही है, IMF से भीख मांगनी पड़ रही है, और आतंकी संगठनों को पालने का आरूप उस पर लगातार साबित हो रहा है। ऐसे में, बिलावल भुट्टो जैसे नेताओं का विदेश दौरा सिर्फ एक "प्रोपेगैंडा सर्कस" लगता है। अमेरिका और यूरोप पहले ही पाकिस्तान को "टेरर फंडिंग" के लिए ग्रे लिस्ट में डाल चुके हैं।

नकल करने के पीछे पाक का क्या मकसद है?

दरअसल पाकिस्तान की यह कोशिश महज एक "डिफ्लेक्शन टैक्टिक" है। आतंकवाद के मुद्दे से ध्यान हटाकर कश्मीर को वैश्विक एजेंडे पर लाना। लेकिन भारत इस बार पूरी तरह तैयार है। जब तक पाकिस्तान आतंक की फैक्ट्री बंद नहीं करता, तब तक उसकी हर डेलिगेशन विदेशों में "बेनकाब" होती रहेगी। अब देखना यह है कि क्या बिलावल की टीम कोई नया ड्रामा रच पाएगी, या फिर दुनिया एक बार फिर पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश कर देगी!

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