रूस-यूक्रेन शांति वार्ता में नया मोड़, पुतिन ने जेलेंस्की का ऑफर ठुकराया
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में एक नया मोड़ तब आया जब तुर्की के इस्तांबुल में होने वाली शांति वार्ता के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की द्वारा दी गई सीधी मुलाकात की पेशकश को ठुकरा दिया। इस कदम से रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता की दिशा में कई सवाल खड़े हो गए हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह पुतिन के साथ आमने-सामने बैठकर शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन पुतिन ने उनकी यह पेशकश मानने के बजाय एक नया प्रतिनिधिमंडल नियुक्त किया है, जिससे वार्ता का स्वरूप और भी जटिल हो गया है।
सीधी मुलाकात की बजाय नया रास्ता
पुतिन ने जेलेंस्की के साथ सीधी बातचीत करने के बजाय रूस के प्रमुख सलाहकार व्लादिमीर मेडिंस्की के नेतृत्व में एक नई टीम की घोषणा की है। मेडिंस्की के साथ रूस के उप विदेश मंत्री मिखाइल गालुजिन, रूसी सेना के निदेशक इगोर कोस्तिकोव और उप रक्षा मंत्री एलेक्जेंडर फोमिन जैसे शीर्ष अधिकारी शांति वार्ता में शामिल होंगे। रूस के इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया कि पुतिन फिलहाल सीधे बातचीत से बचना चाहते हैं और वह शायद शांति वार्ता के पहले दौर में सकारात्मक परिणामों का इंतजार कर रहे हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पहले ही कहा था कि वे पुतिन के साथ सीधे बैठकर युद्ध के अंत के लिए समाधान खोजने के लिए तैयार हैं, लेकिन अब पुतिन के प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत होगी, जो जेलेंस्की की उम्मीदों से बिल्कुल अलग है।
अमेरिका की भूमिका: पर्दे के पीछे से समर्थन
अमेरिका की भूमिका भी इस शांति वार्ता में महत्वपूर्ण बन गई है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो तुर्की में नाटो देशों के विदेश मंत्रियों के साथ मुलाकात करेंगे, और यूक्रेन के विदेश मंत्री एंद्रि सिबिहा पहले ही उनसे मिल चुके हैं। यह मुलाकात रूस और यूक्रेन के बीच शांति लाने के लिए एक अहम कदम हो सकती है।
डोनाल्ड ट्रंप कर रहे रूस-यूक्रेन युद्ध को बंद करने का प्रयास
रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता के संदर्भ में अमेरिका का पर्दे के पीछे सक्रिय रहना कई रणनीतिक दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कई बार रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को खत्म करने के प्रयास किए हैं। हालांकि, ट्रंप की शांति पहल के बारे में भी विभिन्न प्रतिक्रिया आई है।
क्या है शांति वार्ता का भविष्य?
2019 के बाद से, जेलेंस्की और पुतिन के बीच कोई सीधी मुलाकात नहीं हुई है। हालांकि, मार्च 2022 में इस्तांबुल में रूस और यूक्रेन के बीच एक शांति वार्ता हुई थी, लेकिन इसके तुरंत बाद ही रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण शुरू कर दिया था। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या पुतिन के इस नए कदम से शांति की कोई राह निकलेगी, या युद्ध की स्थिति और भी खराब हो जाएगी? विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पुतिन को लगेगा कि वार्ता सही दिशा में बढ़ रही है, तो वह इसमें शामिल हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल ऐसा लग रहा है कि शांति की ओर कोई ठोस कदम उठाने की संभावना कम है।
आसान नहीं युद्ध समाप्ति की राह
इस पूरी घटना से रूस-यूक्रेन शांति वार्ता एक बाऱ फिर खतरे में पड़ गई है। जहां एक ओर जेलेंस्की सीधे बातचीत के लिए तैयार थे, वहीं पुतिन ने खुद को वार्ता से कुछ हद तक अलग रखा। अब देखने वाली बात यह होगी कि यह वार्ता किस दिशा में जाती है और क्या इस युद्ध के अंत का कोई समाधान निकलता है। रूस और यूक्रेन के बीच शांति की उम्मीद अब भी बाकी है, लेकिन पुतिन के इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि युद्ध के समाप्ति की राह आसान नहीं होगी।
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