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अंतरिक्ष से दिखी थी हिलती हुई जमीन, दुर्लभ सुपरशीयर भूकंप कांप उठा था म्यांमार

28 मार्च को म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया। धरती फटी, हजारों मौतें हुईं और NASA ने जमीन खिसकने की पुष्टि की।
10:41 AM Apr 22, 2025 IST | Vyom Tiwari
28 मार्च को म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया। धरती फटी, हजारों मौतें हुईं और NASA ने जमीन खिसकने की पुष्टि की।

पिछले महीने म्यांमार में एक बहुत ही भयानक भूकंप आया था। 28 मार्च को मांडले के पास ज़मीन हिल गई जब 7.7 तीव्रता का ज़ोरदार भूकंप आया। इसके ठीक 12 मिनट बाद एक और भूकंप आया, जिसकी तीव्रता 6.7 थी और यह पहले वाले से लगभग 31 किलोमीटर दूर दक्षिण की ओर था।

इन दोनों झटकों ने भारी तबाही मचाई। पांच हजार से ज़्यादा लोगों की जान चली गई और अरबों डॉलर की संपत्ति का नुकसान हुआ। भूकंप इतना ज़ोरदार था कि इसकी हलचल को अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट्स ने भी पकड़ लिया।

नासा की जेट प्रोपल्शन लैब (JPL) के वैज्ञानिकों ने रडार और ऑप्टिकल सैटेलाइट की मदद से ज़मीन में हुई हलचल को रिकॉर्ड किया। यह भूकंप सतह से सिर्फ़ 10 किलोमीटर नीचे सागाइंग फॉल्ट पर टकराई प्लेटों के कारण आया था। ज़ोरदार झटकों की वजह से कई इमारतें गिर गईं और सड़कें, पुल और बाकी ढांचे बुरी तरह से टूट गए। इसकी कंपकंपी थाईलैंड के बैंकॉक शहर तक महसूस की गई, जो वहां से लगभग एक हजार किलोमीटर दूर है।

10 फीट तक खिसक गई धरती 

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सेंटिनल-1ए रडार और सेंटिनल-2 ऑप्टिकल सैटेलाइट से मिली तस्वीरों की मदद से, जेपीएल और कैलटेक की एक टीम (ARIA) ने भंजन इलाके में जमीन के हिलने-डुलने का बारीकी से पता लगाया। इस टीम ने देखा कि कुछ जगहों पर जमीन करीब 10 फीट से भी ज्यादा खिसक गई थी। कुल मिलाकर जमीन में करीब 6 मीटर तक की हलचल दर्ज हुई, जो इस क्षेत्र में आए जोरदार झटकों की ताकत को दिखाती है।

अमेरिका की भूवैज्ञानिक संस्था USGS ने बताया कि ये भूकंप एक उत्तर-दक्षिण दिशा में फैले हुए फॉल्ट के कारण आए हैं, जिसमें दाएं तरफ की सतह दूसरी सतह के मुकाबले सरकती है। ये फॉल्ट भारतीय और यूरेशियन प्लेटों की सीमा पर आता है, जहां दो बड़ी टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकरा रही हैं।

सुपरशियर भूकंप से डोला था म्यांमार

भूकंप के बाद जो दरार ज़मीन में आई, वो करीब 550 किलोमीटर लंबी थी। ये अब तक की सबसे लंबी सतही दरारों में गिनी जा रही है। शुरुआती जांच से ये बात सामने आई है कि ये एक बेहद कम देखने वाला ‘सुपरशियर’ भूकंप था। इसका मतलब ये हुआ कि ज़मीन की दरार, भूकंप की शॉक वेव से भी तेज़ रफ्तार में आगे बढ़ी। इसी वजह से झटके बहुत ज़्यादा तेज़ महसूस हुए और नुकसान भी बहुत दूर-दूर तक हुआ यहां तक कि उस जगह से भी दूर, जहां से भूकंप की शुरुआत हुई थी।

 

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