मोदी की रणनीति का मास्टरस्ट्रोक, ‘दायें मुड़ने वाला बायां इशारा देकर किया पाकिस्तान को हैरान’
7 मई की सुबह जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय वायुसेना ने नियंत्रण रेखा पार कर नौ टारगेट को सफलतापूर्वक निशाना बनाया, तो पाकिस्तान एक बार फिर चौंका हुआ था। लेकिन अगर उसने अतीत से कुछ सीखा होता—खासकर 2019 के बालाकोट हमले से—तो शायद आज की तस्वीर कुछ और होती।
गलत इशारा देकर उठाया सही कदम
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति बेहद दिलचस्प है। वो जो दिखाते हैं, वही हकीकत नहीं होती। उनका अंदाज़ बिल्कुल वैसा है जैसे कोई खिलाड़ी बाएं इशारा करे और दाएं मुड़ जाए। और यही चाल पाकिस्तान बार-बार समझ नहीं पाता।
बालाकोट से पहले की कहानी दोहराई गई
2019 की 26 फरवरी को जब भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया, उससे ठीक 48 घंटे पहले पीएम मोदी बिल्कुल सामान्य गतिविधियों में व्यस्त थे। 25 फरवरी को उन्होंने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक राष्ट्र को समर्पित किया, सशस्त्र बलों की बहादुरी की प्रशंसा की, लेकिन एक शब्द भी पाकिस्तान या संभावित हमले का जिक्र नहीं किया। उसी रात जब लड़ाकू विमान टेकऑफ की तैयारी कर रहे थे, पीएम मोदी एक बड़े मीडिया कार्यक्रम में भारत के विकास और आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से खड़े रहने की बातें कर रहे थे—बिल्कुल सहज, बिना किसी तनाव के।
ऑपरेशन सिंदूर से पहले भी दिखी वही शांत मुद्रा
6 मई की रात और 7 मई की सुबह, वही दृश्य दोहराया गया। एक बार फिर मोदी एक मीडिया कार्यक्रम में दिखे, देश की आकांक्षाओं और भारत को 2047 तक आर्थिक महाशक्ति बनाने के सपने पर बात करते हुए। पाकिस्तान को इस बार भी लगा कि भारत शायद अभी 'तैयारी के मोड' में है। लेकिन असल में, सर्जिकल स्ट्राइक स्टाइल में कार्रवाई की स्क्रिप्ट तैयार हो चुकी थी।
नेतृत्व की कला: जहां चुप्पी ही सबसे तेज़ आवाज़ होती है
राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक विश्लेषक इस शैली को "मास्टरक्लास इन पॉलिटिकल डीसप्शन" कहते हैं। मोदी जब बात करते हैं तो शब्दों से ज़्यादा उनके हावभाव, उनकी चुप्पी, और उनका आत्मविश्वास संदेश देते हैं। 2019 हो या 2025—दोनों बार मोदी ने सामने कोई तनाव नहीं आने दिया। उनकी बॉडी लैंग्वेज एकदम संतुलित, उनके शब्दों में कोई संकेत नहीं, और सबसे बड़ी बात—पाकिस्तान को इस भ्रम में रखा कि अभी भारत "सोच रहा है"।
रणनीति की सबसे बड़ी चाल: दायें मोड़ पर बाएं इंडिकेटर
"युद्ध की सबसे बड़ी कला है, दुश्मन को भ्रम में रखना"—और यही मोदी ने बखूबी किया। ऑपरेशन सिंदूर से पहले भारत में सैन्य अभ्यास की घोषणा कर दी गई थी। सबको लगा कि कार्रवाई अभी दूर है। पर असल में वह एक रणनीतिक परदा था, जिससे पाकिस्तान को तैयार होने का समय भी न मिले।
एक पहेली जिसका हल दुश्मन आज भी नहीं जानता
मोदी अब सिर्फ एक नेता नहीं हैं, वे एक रणनीति हैं। एक 'कोड', जिसे पाकिस्तान अभी तक डिकोड नहीं कर सका है। वो बाएं इशारा करते हैं, दाएं मुड़ते हैं—और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। और अब, जब इतिहास खुद को दोहरा चुका है, पाकिस्तान शायद यही सोच रहा होगा—"काश हमने पिछली बार कुछ सीखा होता।"
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