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ब्रिटेन की जेलों में इस्लामी कट्टरपंथी हुए हावी, शरिया अदालतें चला दे रहे ‘धर्म बदलो या मार खाओ’ का नारा

इन गिरोहों ने जेल के भीतर अपने शरिया अदालतें तक बना ली हैं, जहां कैदियों पर 'इस्लामी कानून' लागू किया जाता है। कानून तोड़ने पर सजा के तौर पर मारपीट, बहिष्कार, और यहां तक कि कोड़े मारने जैसे बर्बर तरीके अपनाए जा रहे हैं।
11:24 AM Apr 19, 2025 IST | Sunil Sharma
इन गिरोहों ने जेल के भीतर अपने शरिया अदालतें तक बना ली हैं, जहां कैदियों पर 'इस्लामी कानून' लागू किया जाता है। कानून तोड़ने पर सजा के तौर पर मारपीट, बहिष्कार, और यहां तक कि कोड़े मारने जैसे बर्बर तरीके अपनाए जा रहे हैं।

लंबे तक तक दुनिया पर राज करने वाला ब्रिटेन अब खुद सुरक्षित नहीं रह गया है। ब्रिटेन की जेलों में एक नया और बेहद खतरनाक संकट तेजी से उभर रहा है। हाई सिक्योरिटी जेलें जैसे फ्रैंकलैंड, व्हाइटमूर और फुल सटन अब केवल अपराधियों को सजा देने की जगह नहीं रह गईं— बल्कि यहां इस्लामी कट्टरपंथी गिरोहों ने अपना दबदबा कायम कर लिया है। इनका एजेंडा साफ है: गैर-मुस्लिम कैदियों पर धर्मांतरण का दबाव बनाना और इंकार करने पर उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से तोड़ना।

"ब्रदरहुड" के नाम से चलता है जेल के भीतर का आतंक नेटवर्क

इन गिरोहों को "ब्रदरहुड" के नाम से जाना जाता है, और इनका असर जेल की दीवारों तक सीमित नहीं रह गया है। यह नेटवर्क बेहद संगठित है और पूरे जेल विंग पर अपना कब्जा जमाए हुए है। नए, युवा और कमजोर कैदी इनका सबसे आसान शिकार बनते हैं। जैसे ही वे जेल में कदम रखते हैं, उन्हें या तो इस्लाम कबूल करने का विकल्प दिया जाता है या फिर हिंसा, धमकी और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है।

जेल के अंदर चल रही है शरिया कोर्ट

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, इन गिरोहों ने जेल के भीतर अपने शरिया अदालतें तक बना ली हैं, जहां कैदियों पर "इस्लामी कानून" लागू किया जाता है। कानून तोड़ने पर सजा के तौर पर मारपीट, बहिष्कार, और यहां तक कि कोड़े मारने जैसे बर्बर तरीके अपनाए जा रहे हैं। जेल कर्मचारी भी इन कट्टरपंथी कैदियों से डरे हुए हैं। मुस्लिम कैदियों को सपोर्ट मिल रहा है उदाहरण के लिए, अपनी बेटी की हत्या के लिए सजा काट रहे उरफान शरीफ को फ्रैंकलैंड जेल में इस्लामी गिरोह द्वारा सुरक्षा प्रदान की जा रही है। यह दिखाता है कि गिरोह केवल धर्म के नाम पर नहीं, बल्कि शक्ति और नियंत्रण के लिए भी काम कर रहे हैं।

इस्लामोफोबिया के आरोप से डर कर निष्क्रिय है जेल प्रशासन

स्थिति की गंभीरता के बावजूद, जेल प्रशासन इन गिरोहों के खिलाफ खुलकर कार्रवाई करने में हिचकता है। कारण? कहीं इस्लामोफोबिया या नस्लवाद के आरोप न लग जाएं। यही डर इन कैदियों को और ताकतवर बना रहा है। कई कैदियों ने कबूल किया है कि उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए इस्लाम कबूल किया। वे कहते हैं कि जैसे ही वे किसी नए विंग में पहुंचते हैं, ब्रदरहुड का सदस्य बनने का दबाव डाला जाता है। कुछ मामलों में तो पूरी मंजिल पर केवल मुस्लिम गिरोहों का कब्जा रहता है।

जेल कर्मचारी भी डरे हुए हैं

कुछ अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि वे अब अपने कार्यस्थल पर खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते। हाल ही में फ्रैंकलैंड जेल में हुए एक हमले में 2017 के मैनचेस्टर हमले के दोषी हाशेम अबेदी ने तीन अधिकारियों पर गर्म तेल और हथियार से हमला कर दिया। एक जेल अधिकारी ने बताया कि उसके ऊपर दो बार मुस्लिम कैदियों द्वारा हमला किया गया। एक बार मल फेंका गया, और दूसरी बार उसके मुंह में थूका गया। अधिकारी ने कहा, "अब हम खुद को जेल के मालिक नहीं, बल्कि बंधक जैसा महसूस करते हैं।"

अति दक्षिणपंथी गिरोहों का उभार

इस्लामी गिरोहों के प्रभाव के जवाब में अब अति दक्षिणपंथी गिरोह भी जेलों में उभरने लगे हैं, जो स्थिति को और खतरनाक बना रहे हैं। इससे जेलों में नस्लीय दंगे होने की आशंका बढ़ गई है। ब्रिटेन की न्याय व्यवस्था अब भारी दबाव में है। विपक्षी नेता रॉबर्ट जेनरिक ने मांग की है कि इस्लामी कट्टरपंथ को तुरंत रोका जाए। वहीं न्याय मंत्रालय ने भरोसा दिलाया है कि वे सेपरेशन सेंटर्स और नस्लीय असमानता को खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं।

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