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चीन को भारत का दो-टूक जवाब, ‘अरुणाचल भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा’

चीन एक बार फिर अपने पुराने एजेंडे पर लौट आया है – अरुणाचल प्रदेश को लेकर दावा ठोकना। लेकिन इस बार भारत ने जो जवाब दिया है, वह उतना ही साफ, मजबूत और सटीक है: “नाम बदलने से हकीकत नहीं...
11:48 AM May 14, 2025 IST | Sunil Sharma
चीन एक बार फिर अपने पुराने एजेंडे पर लौट आया है – अरुणाचल प्रदेश को लेकर दावा ठोकना। लेकिन इस बार भारत ने जो जवाब दिया है, वह उतना ही साफ, मजबूत और सटीक है: “नाम बदलने से हकीकत नहीं...
India China border dispute (AI image)

चीन एक बार फिर अपने पुराने एजेंडे पर लौट आया है – अरुणाचल प्रदेश को लेकर दावा ठोकना। लेकिन इस बार भारत ने जो जवाब दिया है, वह उतना ही साफ, मजबूत और सटीक है: “नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलती।” हाल ही में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों के नाम बदलने की कोशिश की। यह कदम पहली बार नहीं उठाया गया है, लेकिन इस बार भारत ने तुरंत और तीखी प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने चीन को फटकार लगाते हुए कहा, "ये प्रयास न केवल निरर्थक हैं, बल्कि इनका कोई कानूनी या ऐतिहासिक आधार भी नहीं है।"

क्या है विवाद की असली जड़?

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद दशकों पुराना है। सीमा की लाइन को "वास्तविक नियंत्रण रेखा" यानी LAC कहा जाता है। भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश को मैकमोहन रेखा तिब्बत से अलग करती है, जिसे भारत मान्यता देता है — लेकिन चीन इसे खारिज करता है। चीन अरुणाचल को "जांगनान" कहकर उसे तिब्बत का हिस्सा बताने की कोशिश करता है। जबकि भारत शुरू से यही कहता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है — न केवल ऐतिहासिक रूप से, बल्कि प्रशासनिक और संवैधानिक रूप से भी।

भारत की तरफ से सख्त प्रतिक्रिया

जब मीडिया ने इस मुद्दे पर सवाल उठाए, तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दो टूक कहा, “नाम बदलने से यह निर्विवाद सच्चाई नहीं बदल सकती कि अरुणाचल प्रदेश भारत का ही हिस्सा है, और हमेशा रहेगा।” भारत ने चीन के इन कदमों को साफ तौर पर "बेकार और दिखावटी" करार दिया और कहा कि इससे न तो जमीनी सच्चाई बदलती है और न ही अंतरराष्ट्रीय मान्यता।

भारत ने दिखाई रणनीतिक परिपक्वता

इस बार भारत की प्रतिक्रिया केवल शब्दों तक सीमित नहीं रही। देश ने कूटनीतिक स्तर पर भी चीन के दावों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चुनौती देने का मन बना लिया है। इसके साथ ही भारत अब उन क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़क निर्माण, और सैन्य तैनाती को तेज़ी से मजबूत कर रहा है, जिससे किसी भी दावे को केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि भौगोलिक और रणनीतिक रूप से भी जवाब दिया जा सके।

चीन की चालें और अंतरराष्ट्रीय राजनीति

चीन अक्सर इस तरह की रणनीति अपनाकर ध्यान भटकाने की कोशिश करता है, खासकर तब जब उसके घरेलू या वैश्विक मोर्चों पर दबाव बढ़ता है। अरुणाचल पर नाम बदलने की कवायद भी इसी तरह की एक सस्ती चाल है, जिसका मकसद अधिकतर प्रोपेगेंडा फैलाना होता है। लेकिन अब भारत न तो इन चालों में उलझ रहा है, और न ही चुप बैठा है। बल्कि हर मोर्चे पर मजबूती से जवाब दे रहा है।

न केवल नक्शे पर, बल्कि दिल में भी अरुणाचल भारत का हिस्सा

चीन जो भी करे, इतिहास, भूगोल और जनता – सब यही कहते हैं कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। अब भारत केवल बातें नहीं कर रहा, बल्कि कूटनीति, सुरक्षा और विकास – तीनों मोर्चों पर चीन को करारा जवाब देने के लिए तैयार है।

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