"अगर मैं कुछ मदद कर सकता हूं तो मैं उसके लिए मौजूद रहूंगा", भारत के Sindoor Operation के बाद बढ़े तनाव पर बोले ट्रंप
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेते हुए 7 मई की रात को पाक में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर भारी तबाही मचा दी। इस मिसाइल स्ट्राइक के बाद से लगातार दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर "मध्यस्थता" का प्रस्ताव रखते हुए कहा है कि "अगर मैं कुछ मदद कर सकता हूं तो मैं मौजूद हूं!" लेकिन भारत का भी रुख साफ है कि आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई अब कोई "समझौता" नहीं, बल्कि सीधी कार्रवाई है! जबकि ट्रंप ने दोनों देशों से "संघर्ष रोकने" की अपील की, भारतीय सेना ने एलओसी पर पाकिस्तानी फायरिंग का जवाब दो गुना ताकत से देना जारी रखा है।
डिप्लोमेसी कार्ड खेलते हुए क्या बोले ट्रंप?
अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में दावा किया कि "हम दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध रखते हैं... मैं चाहता हूं कि यह तनाव खत्म हो।" उन्होंने भारत-पाक के बीच दशकों पुराने विवाद को याद दिलाते हुए कहा कि "वे सदियों से लड़ रहे हैं", लेकिन साथ ही यह उम्मीद भी जताई कि "यह जल्द खत्म होगा।" हालांकि, भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह पाकिस्तान के साथ किसी "बातचीत" में नहीं बैठेगा जब तक आतंकवाद जारी है।
"कार्रवाई ही जवाब है": भारत का स्पष्ट संदेश
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की स्थिति स्पष्ट है कि"अब कोई चेतावनी नहीं, सीधी एयर स्ट्राइक!" जहां ट्रंप "शांति वार्ता" की बात कर रहे हैं, वहीं भारतीय सेना ने पाकिस्तानी छद्म युद्ध (सीजफायर उल्लंघन) का जवाब सीधे उनके आतंकी ठिकानों पर मिसाइलों से दिया है। NSA अजीत डोभाल ने UNSC को बता दिया है कि भारत ने "सिर्फ आतंकियों" को निशाना बनाया है, और अगर पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करता है तो उसे "भारी कीमत" चुकानी पड़ेगी।
अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बीच क्या है अमेरिका का डबल गेम?
ट्रंप का यह बयान उस समय आया है जब भारत ने अमेरिका समेत UNSC के सभी प्रमुख देशों को अपना पक्ष रखा है। दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका ने एक ओर जहां भारत की सर्जिकल स्ट्राइक को "सेल्फ डिफेंस" का अधिकार बताया, वहीं दूसरी ओर ट्रंप "मध्यस्थता" की पेशकश कर रहे हैं।
कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक, भारत ने अमेरिका को स्पष्ट कर दिया है कि वह "किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता" को स्वीकार नहीं करेगा, क्योंकि यह मुद्दा सीधे आतंकवाद से जुड़ा है।
ट्रंप की मध्यस्थता या भारत का अगला ऑपरेशन?
पाकिस्तान अभी तक भारत की सैन्य कार्रवाई का कोई बड़ा जवाब नहीं दे पाया है, लेकिन एलओसी पर फायरिंग जारी है। ट्रंप के बयान के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नजरें अब भारत-पाकिस्तान पर टिकी हैं। सवाल यह है कि क्या अमेरिका वास्तव में तनाव कम करने में मदद करेगा, या फिर भारत को अपनी "जीरो टॉलरेंस" नीति के तहत एक और सैन्य कार्रवाई करनी पड़ेगी? एक बात साफ है - भारत अब पाकिस्तान के "झूठे शांति प्रस्तावों" में नहीं फंसने वाला!
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